Chhattisgarh Tarkash 2025: महिला IAS, तीखे तेवर...

Chhattisgarh Tarkash 2025: छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति पर केंद्रित पत्रकार संजय के. दीक्षित का पिछले 16 बरसों से निरंतर प्रकाशित लोकप्रिय साप्ताहिक स्तम्भ तरकश

Update: 2025-03-23 00:30 GMT
Chhattisgarh Tarkash 2025: महिला IAS, तीखे तेवर...
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तरकश, 23 मार्च 2025

संजय के. दीक्षित

महिला IAS, तीखे तेवर

आबकारी सचिव आर. शंगीता की हाई प्रोफाइल मीटिंग की ब्यूरोक्रेसी में बड़ी चर्चा है। नई आबकारी पॉलिसी में शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने से लेकर उससे जुड़े तमाम पहलुओं पर आबकारी सचिव ने 19 मार्च को कलेक्टर, एसपी, आईजी, कमिश्नर्स की वीडियोकांफ्रेंसिंग कर क्लास ली। संगीता कुछ पुलिस अधीक्षकों से इसलिए खफा थीं कि होली के दिन शराब दुकान वाले सुरक्षा के मद्देनजर थानों में पैसा रखवाने गए तो थानेदारों ने इंकार कर दिया। कुछ जिलों में आबकारी विभाग के मुलाजिमों के साथ दुर्व्यव्हार हुआ, तो कुछ जगहों पर कार्रवाई के नाम पर पुलिस वाले आबकारी अधिकारियों से भिड़ गए...इस पर तीन-चार एसपी साहबों की खिंचाई हुई। मसला यह भी आया कि शराब दुकानों के बाहर पुलिस वाले ताक में बैठे रहते हैं, थोड़ी-सी मात्रा अधिक हुई नहीं कि लोगों को पकड लें।

आबकारी सचिव ने कलेक्टरों से भी खरी-खरी अंदाज में ही बात की। बिलासपुर और बस्तर कलेक्टरों की जरूर तारीफ हुई कि उनके जिलों में शराब दुकानें काफी व्यवस्थित और साफ-सुथरी हैं। बहरहाल, महिला ब्यूरोक्रेट्स में सख्त एडमिनिस्ट्रेशन के लिए अभी तक रेणु पिल्ले और ऋचा शर्मा जानी जाती थीं। आर. शंगीता के प्रशासनिक तेवर देख कलेक्टर, एसपी हैरान थे। अफसरों को झेंप कुछ इसलिए भी आई कि वीडियोकांफ्रेंसिंग में जिला आबकारी अधिकारी भी कनेक्ट थे। और उनके सामने सारा कुछ हुआ...डेढ़ घंटे की मीटिंग के बाद एसी में बैठे कलेक्टर, एसपी, आईजी, कमिश्नर पसीना पोंछ रहे थे। ठीक भी है, छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक हलकों में जिस तरह लचरता आ गई है, सख्ती की जरूरत तो है। मगर इसके साथ कुछ उठते सवाल भी हैं....

प्रोटोकॉल का सवाल

आबकारी सचिव की वीडियोकांफ्रेंसिंग के बाद सवाल उठ रहा कि क्या मंत्रालय का कोई सचिव कलेक्टर, एसपी के साथ ही आईजी और कमिश्नरों की मीटिंग ले सकता है? दरअसल, छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने के बाद 25 साल में ऐसा कभी हुआ नहीं। किसी प्रमुख सचिव या अपर मुख्य सचिव को भी ऐसी बैठकें लेते देखा नहीं। हो सकता है कि ब्यूरोक्रेसी के प्रोटोकॉल की हमारी समझ थोड़ी कम हो। मुझे अभी तक ये ही पता था कि कलेक्टर, एसपी के साथ आईजी, कमिश्नरों की बैठक या तो मुख्यमंत्री लेते हैं या फिर चीफ सिकरेट्री। सीएम सचिवालय के शीर्ष अफसर भी ऐसी बैठक ले तो कोई हर्ज नहीं, क्योंकि सीएम सचिवालय को सीएम का हिस्सा समझा जाता है। ऐसे में, एक प्रसंग याद आता है। पिछली सरकार में 2022 की बात रही होगी। डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कलेक्टरों की मीटिंग लेनी चाही। ग्रामीण और पंचायत सचिव गौरव द्विवेदी ने सभी कलेक्टरों को सूचना भेज दी। मगर बाद में प्रोटोकॉल के नाम पर बैठक को रद्द कर दिया गया। खैर, सचिव कमिश्नर, आईजी की बैठक ले सकता है या नहीं, यह देखना सिस्टम का काम है।

कांग्रेस का नया पायलट

चर्चा है, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी को जल्द ही नया प्रदेश प्रभारी मिल सकता है। सचिन पायलट को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने की खबर है। उन्हें वहां अगर पीसीसी की कमान सौंप दी गई तो फिर पार्टी छत्तीसगढ में नए प्रभारी बनाकर भेजेगी। वैसे भी सचिन बेमन से ही प्रभारी थे। नगरीय निकाय चुनाव के दौरान एक बार भी वे छत्तीसगढ़ नहीं आए। सत्ता में होने के बाद भी बीजेपी के प्रदेश प्रभारी नीतीन नबीन महीने में छत्तीसगढ़ का दो चक्कर लगा जाते हैं। सचिन पायलट 25 जनवरी को महापौर प्रत्याशियों की टिकिट फायनल करने वाली मीटिंग में हिस्सा लेने रायपुर आए थे, उसके बाद पूरा चुनाव निबट गया, पायलट का कोई पता नहीं था। दो महीने बाद सीधे 19 मार्च को वे रायपुर आए। और कहीं वे राजस्थान पीसीसी के अध्यक्ष बन गए तो फिर उनका यह आखिरी दौरा ही होगा। याने छत्तीसगढ़ कांग्रेस को नया पायलट मिलेगा।

5 नामों का पेनल!

एक से बढ़कर एक दावेदारों के चलते छत्तीसगढ़ में मुख्य सूचना आयुक्त का सलेक्शन काफी हाई प्रोफाइल हो गया है। 26 मार्च को एसीएस मनोज पिंगुआ की अध्यक्षता वाली पांच आईएएस अधिकारियों की कमेटी के समक्ष 33 दावेदारों का इंटरव्यू होगा। कमेटी सभी का साक्षात्कार लेकर एक पेनल बनाएगी। हालांकि, अभी ये फायनल नहीं हुआ है कि पेनल तीन का होगा या पांच का। सूत्रों का कहना है कि कमेटी किसी तरह के विवाद से बचने कोशिश करेगी कि ज्यादा नामों का ही पेनल बनाए। ऐसे में, पांच की संभावना अधिक है। इंटरव्यू के बाद सर्च कमेटी पेनल बनाकर सामान्य प्रशासन विभाग को सौंप देगी। पेनल तैयार होने के बाद सलेक्शन कमेटी की बैठक के लिए नियमानुसार 15 दिन का समय रखा जाना चाहिए। याने 26 मार्च को इंटरव्यू लेने के बाद अगर 27 को पेनल जीएडी में जाएगा तो 11 अप्रैल से पहले सलेक्शन कमेटी की बैठक नहीं होगी। मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सीनियर मंत्री की तीन सदस्यीय कमेटी पेनल में से किसी एक नाम पर टिक लगाएगी। याने सब कुछ ठीक रहा तो 25 अप्रैल से पहले सीआईसी की नियुक्ति हो जाएगी।

चीफ सिकरेट्री पर सस्पेंस

बड़े-बड़े लोग सीआईसी के लिए अप्लाई किए हैं, सिर्फ इसलिए लोगों की इसमें उत्सुकता नहीं है। दरअसल, मुख्य सूचना आयुक्त के साथ मुख्य सचिव की नियुक्ति जुड़ी हुई है। मुख्य सचिव अमिताभ जैन अगर सीआईसी बन गए तो छत्तीसगढ़ का अगला चीफ सिकरेट्री कौन होगा, ये सवाल बड़ा है। इस समय नए सीएस के लिए पांच दावेदार हैं। सीनियरिटी की बात करें तो अमिताभ के बाद 91 बैच की आईएएस रेणु पिल्ले हैं। उनके बाद फिर 92 बैच में सुब्रत साहू। 93 बैच के अमित अग्रवाल सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं। 94 बैच में मनोज पिंगुआ और ऋचा शर्मा हैं। ये तय है कि इन पांच में से ही कोई एक छत्तीसगढ़ का नया प्रशासनिक मुखिया बनेगा। मगर वह एक कौन? इस बारे में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ही बता सकते हैं या फिर उनके प्रमुख सचिव सुबोध सिंह। दरअसल, सीएस, डीजीपी और पीसीसीएफ की नियुक्ति मुख्यमंत्री पर निर्भर करता है। विष्णुदेव केंद्र के शीर्ष नेताओ के विश्वासप्राप्त भी हैं, सो यहां यूपी, एमपी जैसा कोई सरप्राइजिंग होगा नहीं।

मनोज पिंगुआ का औरा

चीफ सिकरेट्री बनने की अर्हता रखने करने वाले पांच आईएएस अफसरों में से एक नाम एसीएस मनोज पिंगुआ का भी है। वे चीफ सिकरेट्री बनेंगे या नहीं, ये वक्त बताएगा। वैसे भी चीफ सिकरेट्री वही बनता है, जिसके माथे पर लिखा होता है। मगर ये अवश्य है कि सरकार ने सीआईसी सर्च कमेटी का चेयरमैन बनाकर मनोज पिंगुआ की हैसियत बढ़ा दी है। सिर्फ इससे समझा जाइये कि वे बड़े-बड़े लोगों का इंटरव्यू लेने वाले हैं।

घर में भी सीनियर, बैच में भी

ये जनरल परसेप्शन है कि घरों में महिलाओं की ज्यादा चलती है। पतियों के पास कोई चारा नहीं होता। बहरहाल, छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी में दो जोड़े ऐसे हैं, जो आईएएस के बैच में भी अपने पतियों से सीनियर हैं। 94 बैच की निधि छिब्बर इस बैच में अपने पति विकास शील गुप्ता से उपर हैं। इसी तरह हाल ही में एसीएस प्रमोट हुईं डॉ0 मनिंदर कौर द्विवेदी 95 बैच में अपने हसबैंड गौरव द्विवेदी से सीनियर हैं। ये दोनों आईएएस दंपती एसीएस हैं। और संयोग से चारों इस समय सेंट्रल डुपेटेशन पर हैं। अगर कभी मुख्य सचिव बनने की बारी आई तो सीनियरिटी में इन दोनों महिला अफसरों का नाम उपर होगा। और उनके पतियों को मंत्रालय से बाहर जाना होगा। क्योंकि, सेम बैच का अगर कोई चीफ सिकरेट्री बनता है तो परिपाटी के अनुसार उसके बैच के अफसरों को मंत्रालय से बाहर सीएस के समकक्ष कोई पोस्टिंग दी जाती है।

एम्स की प्रतिष्ठा

एम्स देश का एक बेहद प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान हैं। इस पर लोगों का इतना भरोसा है कि हर आदमी चाहता है कि उसके बीमार परिजन को एम्स में दाखिला मिल जाए। रायपुर एम्स भी कुछ इसी तरह का था। मगर इस समय जो सुनने में आ रहा, उससे थोड़ी हैरानी होती है। रायपुर से एक व्यक्ति हार्निया का ऑपरेशन कराने 5 सितंबर 2024 को एम्स पहुंचा तो उसे दिसंबर 2025 का टेंटेटिव डेट दिया गया। याने 16 महीने आगे का डेट। रायपुर सांसद की चिठ्ठी-पत्तरी भी इसमें कोई काम नहीं आई। एम्स में इलाज के इश्यू को रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने भी लोकसभा में उठाया है। आईएमए रायपुर के प्रेसिडेंट डॉ कुलदीप सोलंकी ने इसको लेकर एम्स प्रबंधन के खिलाफ अहम बयान दिया है. एम्स रायपुर को इसे नोटिस में लेनी चाहिए, ताकि देश की शीर्ष चिकित्सा संस्था पर लोगों का विश्वास कायम रहे।

200 करोड़ के मोड का खेला!

सीजीएमएससी ने चार मेडिकल कॉलेजों को क्लब कर घोटाले का टेंंडर निकाला था, हेल्थ सिकरेट्री अमित कटारिया की सख्ती के बाद उसे रद्द कर दिया गया है। मगर कंसलटेंट मोड के नाम पर 200 करोड़ का खेला की फाइल अभी चल रही है। ईपीसी मोड में चारों कॉलेजों को बनाने में 50 करोड़ के हिसाब से 200 करोड़ ज्यादा बैठ रहा है। याने ढाई सौ करोड़ के कालेज में डिजाइन और कंसलटेंसी के नाम पर 50 करोड़ एक्सट्रा दिया जाएगा। इस पर राजेश मूणत ने विधानसभा में सवाल किया कि तीन मेडिकल कालेज बनवाए जा रहे, वो किस मोड में है तो लिखित जवाब आया, पीएमसी मोड याने प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एंड कंसलटेंसी। ईपीसी याने इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एंड कंट्रक्शन मोड में एक कॉलेज के पीछे 50 करोड़ रुपए बढ़ा देने का मतलब सीजीएमएससी वाले ही समझा सकते हैं। हेल्थ के जिम्मेदारों को 200 करोड़ के इस खेल का समझना चाहिए कि जब तीन कॉलेज पीएमसी मोड में बन रहे तो फिर ईपीसी की जरूरत क्यों पड़ी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस मंत्री ने अपनी भांजी के नाम पर बिल्हा के पास 70 एकड़ जमीन ख़रीदा है?

2. किस जिले में कल एक विशिष्ट व्यक्ति के दौरे में पत्ता गोभी की सब्जी बनने पर अफसरों ने बवाल काट दिया?

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