CG High Court News: नक्सली हमले में घायल आरक्षक के सुकमा ट्रांसफर को हाई कोर्ट ने रोका...

CG High Court News: नक्सली हमले में सिर पर लगी थी गोली फिर भी विभाग ने कर दिया ट्रांसफर. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने तबादला आदेश पर रोक लगा दिया है.

Update: 2025-02-27 15:32 GMT
CG High Court News: नक्सली हमले में घायल आरक्षक के सुकमा ट्रांसफर को हाई कोर्ट ने रोका...

Bilaspur High Court

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CG High Court News: बिलासपुर। नक्सली हमले के दौरान एक आरक्षक के सिर पर गोली लग गई थी, इसके बाद उनका एक्सीडेंट भी हो गया। जिसकी वजह से उनका चलने व दौड़ने में परेशानी पैदा होने लगी। इसके बावजूद विभाग ने उनका ट्रांसफर बिलासपुर से सुकमा कर दिया। आरक्षक ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट से गुहार लगाई। कोर्ट ने उनके ट्रांसफर आदेश पर रोक लगा दी है।

छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की दूसरी बटालियन, सकरी में पदस्थ आरक्षक (कांस्टेबल) दिनेश ओगरे का स्थानांतरण एफ कंपनी सुकमा कर दिया गया था। दिनेश ओगरे ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय और स्वाति सराफ के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस आदेश को चुनौती दी थी। याचिका में बताया गया कि दिनेश ओगरे वर्ष 2016 में जिला बीजापुर के पामेड़ क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान तैनात थे। इसी दौरान हेलिपैड सुरक्षा के दौरान नक्सलियों ने गोलीबारी कर दी, जिसमें उनके सिर में गोली लगने से वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस हमले के बाद उनकी शारीरिक स्थिति काफी कमजोर हो गई। इसके अलावा, वर्ष 2018 में एक गंभीर सड़क दुर्घटना के कारण उनके बाएं पैर में स्टील की राड डाली गई थी, जिससे उन्हें तेज चलने और दौड़ने में परेशानी होती है।

घोर नक्सली जिले में पदस्थापना से जान का खतरा

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि सुकमा जिला घोर नक्सली इलाका है और उनकी शारीरिक स्थिति को देखते हुए वहां सेवा देना उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है। साथ ही, वह पहले ही नक्सल हमले का शिकार हो चुके हैं, जिससे वह नक्सलियों के टारगेट पर रह सकते हैं।

पुलिस मुख्यालय के सर्कुलर का उल्लंघन

अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय और स्वाति सराफ ने याचिका में पुलिस मुख्यालय द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निर्देशों का हवाला दिया। 03 सितंबर 2016 को विशेष शाखा और 18 मार्च 2021 को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रायपुर द्वारा जारी सर्कुलर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि नक्सली हमले में घायल जवानों की पदस्थापना उनकी शारीरिक क्षमता के अनुसार होनी चाहिए और उन्हें घोर नक्सली जिलों में नहीं भेजा जाना चाहिए। इसके अलावा, ऐसे जवानों के स्वास्थ्य पर नियमित निगरानी रखने के निर्देश भी दिए गए थे। हालांकि, याचिकाकर्ता के मामले में इन निर्देशों की अनदेखी करते हुए दूसरी बटालियन, सकरी के सेनानी द्वारा उनका स्थानांतरण सुकमा कर दिया गया। यह स्थानांतरण न केवल सर्कुलर का उल्लंघन है बल्कि एक घायल सुरक्षाकर्मी के जीवन को भी खतरे में डालने जैसा है।

हाई कोर्ट का हस्तक्षेप, स्थानांतरण आदेश पर रोक

हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद आरक्षक दिनेश ओगरे के स्थानांतरण आदेश एवं रिलिविंग आदेश पर स्थगन (स्टे) लगा दिया है। इस फैसले से स्पष्ट हो गया कि नक्सली हमले में घायल जवानों को उनकी स्थिति के अनुसार कार्य दिया जाना चाहिए, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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