कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए किसी को मजबूर नहीं कर सकते'...वैक्सीन नहीं लगवाने वालों पर रोक वापस लें राज्य, सुप्रीम कोर्ट...

Update: 2022-05-02 06:43 GMT

नईदिल्ली 2 अप्रैल 2022. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वैक्सीन के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि वर्तमान कोविड-19 वैक्‍सीन नीति को स्पष्ट रूप से मनमाना नहीं कहा जा सकता है. इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने टीकाकरण के दुष्प्रभाव का ब्योरा सार्वजनिक करने का भी निर्देश दिया.

सुप्रीम कोर्ट में कोविड वैक्सीनेशन की अनिवार्यता को असंवैधानिक घोषित करने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही थी. इस दौरान यह टिप्पणी की गई.उच्चतम न्यायालय ने कहा कि नीति निर्माण पर कुछ कहना उचित नहीं है लेकिन किसी को भी टीका लगवाने को मजबूर नहीं किया जा सकता. सरकार जनहित में लोगों को जागरूक कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कोविड टीकाकरण की अनिवार्यता को असंवैधानिक घोषित करने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए ये बातें कही. कोर्ट ने कहा कि नीति निर्माण पर कुछ कहना उचित नहीं है, लेकिन किसी को भी टीका लगवाने को मजबूर नहीं किया जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार जनहित में लोगों को जागरूक कर सकती है. बीमारी की रोकथाम के लिए पाबंदियां लगा सकती है, लेकिन टीका लगवाने और किसी तरह का खास दवा लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. कुछ सरकारों ने महामारी के दौरान टीकाकरण की अनिवार्यता को लेकर जो पाबंदियां लगाई थी उन्हें फौरन हटा लेना चाहिए.

कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार से जनता और डॉक्टरों से बात कर एक रिपोर्ट प्रकाशित करने को कहा है जिसमें वैक्सीन के असर और प्रतिकूल असर का शोध सर्वेक्षण हो. केंद्र सरकार की कोविड टीकाकरण की नीति को समुचित बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि टीका लगवाना या ना लगवाना हरेक नागरिक का निजी फैसला है. किसी की भी कोई भी टीका लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.

अदालत ने जैकब पुलियेल द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुनाया। इसमें कोविड-19 टीकों और टीकाकरण के बाद के मामलों के नैदानिक परीक्षणों संबंधी डाटा को सार्वजनिक करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि हमारे ये ताजा आदेश कोविड की मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर है। महामारी तेजी से बदलने वाली स्थिति होती है। इसलिए हमारी टिप्पणी व सुझाव वर्तमान स्थिति के मद्देनजर हैं। 

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