Appointment of Chief Secretary: मुख्य सचिव की नियुक्ति: जानिये...कैसे होता है राज्य के सीएस का चयन
Appointment of Chief Secretary: मुख्य सचिव राज्य का प्रशासनिक मुखिया होते हैं। पूरी ब्यूरोक्रेसी को सीएस ही कंट्रोल करते हैं। सामान्यत: राज्य कैडर के सबसे वरिष्ठ आईएएस को सीएस बनाया जाता है, लेकिन हमेशा ऐसा हो यह जरुरी नहीं है।
Appointment of Chief Secretary: एनपीजी न्यूज डेस्क
मुख्य सचिव (सीएस) राज्य का पद राज्य के प्रशासनिक अमले का सर्वोच्च पद होता है। राज्य के प्रशासनिक अमले का मुखिया होने के साथ ही सीएस राज्य के मुख्यमंत्री का प्रमुख सलाहकार होता है। राज्य कैबिनेट की बैठक में सीएस की मौजूदगी अनिवार्य होता है। सीएस कैबिनेट के भी सचिव होते हैं। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय के साथ ही अफसरों के बीच कार्य विभाजन, राज्य में नीति निर्धारण सहित सभी प्रमुख काम मुख्यमंत्री सीएस की सलाह पर ही करते हैं।
यही वजह है कि सीएस के पद पर राज्य के सबसे वरिष्ठ आईएएस अफसर की नियुक्ति की जाती है, लेकिन ऐसा ही हो यह जरुरी नहीं है। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव बनाए गए मनोज कुमार सिंह 1988 बैच के आईएएस हैं। उत्तर प्रदेश कैडर में उनसे वरिष्ठ अफसर हैं, इसके बावजूद सरकार ने सिंह को मुख्य सचिव का पद दिया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि सीएस का चयन कौन और किस आधार पर करता है।
जानिये...कौन करता है मुख्य सचिव की नियुक्ति
किसी भी राज्य के प्रशासनिक अमले में दो पदों को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें सीएस के साथ डीजीपी का पद शामिल है। डीजीपी की नियुक्ति यूपीएससी के जरिये होता है। डीजीपी की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार राज्य के वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के नामों की सूची यूपीएससी को भेजती। यूपीएससी उसमें से तीन नामों तय करके भेज देती है। इसके बाद राज्य सरकार की बाध्यता यह हो जाती है कि वह उन्हीं तीन नामों में से किसी एक को डीजीपी नियुक्ति करे।
मुख्य सचिव के नियुक्ति की प्रक्रिया इससे पूरी तरह अलग है। किसी भी राज्य में मुख्य सचिव की नियुक्ति पूरी तरह मुख्यमंत्री के विवेक पर निर्भर करता है। मुख्यमंत्री जिसे चाहे सीएस बना सकते हैं। इसके लिए यह भी जरुरी नहीं है कि वे अपनी कैबिनेट या केंद्र सरकार से सलाह लें। मुख्यमंत्री जिस वरिष्ठ आईएएस अफसर को चाहे मुख्य सचिव बना सकते हैं।
जूनियर अफसर को सीएस बनाने वरिष्ठ को किया जाता है बाहर
वरिष्ठ अफसर के रहते उससे जूनियर अफसर को सीएस बनाया जाता है तो ऐसी स्थिति में वरिष्ठ अफसर को मंत्रालय से बाहर मुख्य सचिव के समकक्ष किसी पद पर पदस्थ कर दिया जाता है। डीजीपी की नियुक्ति के मामले में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाती है। वहां भी वरिष्ठ आईपीएस को पीएचक्यू से बाहर समकक्ष पद पर नियुक्त कर दिया जाता है।