Paddy Procurement: CG धान खरीदी शुरू होने से पहले ही राईस मिलरों ने दे दिया झटका: धान का उठाव करने से इंकार..

Paddy Procurement: छत्‍तीसगढ़ में 14 नवंबर से धान की समर्थन मूल्‍य पर खरीदी शुरू होनी है। इससे पहले ही राईस मिलरों ने धान की मिलिंग करने से मना कर दिया है। राईस मिलरों ने अपनी समस्‍या बताते हुए धान के उठाव के साथ ही बारदाना जमा करने में भी असमर्थता जाहिर कर दी है।

Update: 2024-11-12 13:17 GMT

Paddy Procurement: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में इस बार किसानों ने रिकार्ड 160 लाख टन धान खरीदी का लक्ष्‍य सरकार ने तय किया है। धान खरीदी 14 नवंबर से शुरू होनी है, इससे पहले ही एक के बाद एक समस्‍या आती जा रही है। अब राईस मिलरों ने भी धान का उठाव और मिलिंग करने में असमर्थता जाहिर कर दी है। राईस मिलरों को पिछले सीजन का भुगतान अब तक नहीं हो पाया है। वहीं, सरकर ने मिलिंग की दर घटना के साथ ही प्रोत्‍साहन राशि में स्‍लेब भी खत्‍म कर दिया है।

बताया जा रहा है कि प्रदेश के सभी 33 जिलों में राईस मिलरों ने कलेक्‍टर को ज्ञापन सौंप कर धान का उठाव करने से मना कर दिया है। राईस मिलरों के अनुसार इस बार की धान खरीदी नीति में कई खामियां हैं। सरकार पहले उन्‍हें दूर करे उसके बाद धान के उठाव पर विचार किया जाएगा।

राइस मिलरों के अनुसार सेन्ट्रल पुल में प्रदेश का सम्पूर्ण चांवल जमा उपरांत 50% प्रोत्साहन राशी प्रदाय को समाप्त कर, जिस मिलर का चांवल जमा नहीं है उसके भुगतान पर रोक की जानी चाहिए। इसमें मिलर का 22-23 का बचत 60/- प्रदान किया जाये व वर्ष 23-24 के अनुबंध में भी इसी प्रकार से मिलर को पूर्ण भुगतान किया जाये। 24-25 में भी मिलर को सम्पूर्ण भुगतान मिलिंग राशी व प्रोत्साहन राशि का किया जाये।

आगामी वर्ष की नीति में प्रोत्साहन राशि को कम दर्शित किया गया है उसे विगत वर्ष 10+120 जैसा ही दिया जाये। मिलर द्वारा समिति/ संग्रहण में जमा सम्पूर्ण बारदाना में केन्द्रीय नीति अनुसार यूजर चार्ज दिया जाये। अतिरिक्त जमा बारदाना की सम्पूर्ण राशी दी जायें।

अनुबंध में शासन जब तक चांवल जमा लेती है। उस तारीख तक मिलर का अनुबंध वृद्धि आन लाइन हो जाना उचित है। मिलर को धान उठाव व चांवल प्रदाय में वास्तविक परिवहन राशी हमारी के साथ प्रदाय किया जाये। मिलर द्वारा अपने व्यय पर लगायें जीपीएस को मार्कफेड के किराए से मुक्त कर हमारा पूर्व वर्ष का कटौती भुगतान वापस किया जाये व वर्तमान वर्ष व आगामी वर्ष में कटौती न की जायें। एफआरके का भुगतान वर्ष पर नहीं किया जाता जिसे माह अनुकूल किया जाये।

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