Chhattisgarh PSC Scam: अफसरों का कमालः पीएससी स्कैम के दौरान एग्जाम कंट्रोलर रही महिला अफसर का किया प्रमोशन
Chhattisgarh PSC Scam: विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंत्री ओपी चौधरी ने पीएससी की जिस परीक्षा कंट्रोलर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बस्तर भेजने को सुशासन बताया था, अफसरों ने कमाल करते हुए उन्हे प्रमोशन दे दिया। वो भी तब, जब सरकार ने पीएसी स्कैम को सीबीआई के हवाले कर दिया है।
(Chhattisgarh PSC Scam: रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा के 2008 बैच के 11 अधिकारियों को प्रमोशन देते हुए प्रवर श्रेणी वेतनमान से वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान में अपग्रेड किया है। इससे पहले मंत्रालय में हुई डीपीसी में कई सीनियर अफसर मौजूद थे, उन्होंने प्रमोशन को हरी झंडी दिया। प्रमोशन पाने वालों में आरती वासनिक भी हैं, जिन्हें सरकार ने पिछले महीने पीएससी के परीक्षा नियंत्रक पद से हटाकर बस्तर संभागीय आयुक्त कार्यालय में उपायुक्त बनाया था। आरती एडिशनल कलेक्टर रैंक की राप्रसे अधिकारी हैं।
दिलचस्प यह है कि विधायक सुशांत शुक्ला के पीएससी के अफसरों पर कार्रवाई से संबंधित सवाल पर मुख्यमंत्री की जगह जवाब दे रहे ओपी चौधरी ने परीक्षा कंट्रोलर को हटाकर बस्तर भेजने को भाजपा का सुशासन बताया था। मंत्री जब जवाब दे रहे थे, तब सामान्य प्रशासन विभाग के अफसर भी विधानसभा के अफसर दीर्घा में मौजूद थे। इसके बाद भी विभागीय पदोन्नति कमेटी में बैठे अफसरों ने सबके साथ आरती वासनिक को प्रमोशन दे डाला। ये तो यही हुआ कि जो कार्रवाई करेगी वो सीबीआई करेगी। अधिकारियों के स्तर पर कुछ नहीं।
ज्ञातव्य है, ईओडब्लू में पहले पीएससी घोटाले का केस रजिस्टर्ड हुआ था। बाद में फिर सीबीआई को केस हैंडओवर कर दिया गया है। सीबीआई जल्द ही इस केस को दर्ज करने वाली है। इसके बाद जांच प्रारंभ होगी। जाहिर है, पीएससी का एक सूत्रीय काम है परीक्षा लेना। इसमें परीक्षा कंट्रोलर की भूमिका अहम होती है। क्योंकि, प्रश्न पत्र से लेकर इंटरव्यू कमेटी तक परीक्षा नियंत्रक स्तर पर तय होता है।
ईओडब्लू में केस दर्ज
पीएससी घोटाले में ईओडब्लू में पांच अधिकारियों समेत अन्य के खिलाफ केस दर्ज है, उनमें भी तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक को आरोपी बनाया गया है। कायदे से प्रमोशन से पहले अफसरों को स्टेट की जांच एजेंसियों से एनओसी मंगाना चाहिए था।
प्रमोशन रोकने के लिए सिर्फ आरोप काफी नहीं
हालांकि, इस संबंध में जानकार अफसरों का कहना है कि सिर्फ किसी मामले में केस दर्ज होने और आरोपी बनने से प्रमोशन नहीं रोका जा सकता। केवल विभागीय जांच होने पर ही प्रमोशन रोका जा सकता है। मगर यह भी सही है कि जिस केस को सीबीआई को सुपूर्द किया गया है। उसकी गंभीरता को समझा जा सकता है। डीपीसी में बैठे अफसरों को भी मालूम होगा कि पीएससी में किस तरह का खेला हुआ था और बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में इसे किस तरह उठाया था।