Chhattisgarh News: खनिज रायल्‍टी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: राज्‍यों को मिलेगी 19 साल की बकाया रायल्‍टी, छत्‍तीगसढ़ सहित खनिज उत्‍पादक राज्‍यों को होगा करोड़ों का फायदा

Chhattisgarh News: खनिज उत्‍पादक राज्‍यों को रायल्‍टी देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ 2005 के बाद से रायल्‍टी लेने की छूट दे दी है।

Update: 2024-08-14 06:24 GMT

Chhattisgarh News: रायपुर। देश की सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने आज एक अहम फैसले में खनिज उत्‍पादक राज्‍यों को रायल्‍टी वसूलने की छूट दे दी है। कोर्ट के इस आदेश से छत्‍तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड जैसे बड़े खनिज उत्‍पादक राज्‍यों के खजाने में करोड़ों रुपये आएंगे, क्‍योंकि कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ राज्‍यों को 2005 से रायल्‍टी देने की छूट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 8:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को 1 अप्रैल, 2005 से केंद्र और खनन कंपनियों से खनिज पर रॉयल्टी पर पिछले बकाये की वसूली करने की अनुमति दे दी। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को अपने एक फैसले में खनिज उत्‍पादक राज्‍यों को रायल्‍टी वसूलने का अधिकार दिया था। इस फैसले के खिलाफ अपील की गई थी, जिसमें कोर्ट से आग्रह किया गया था कि बीते वर्षों की बजाय इसे मौजूदा समय से इसे लागू किया जाए। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 9 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि 25 जुलाई के फैसले के भावी प्रभाव संबंधी तर्क को खारिज किया जाता है। पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल हैं। पीठ ने कुछ शर्तों के साथ बकाया वसूली की छूट दी है।

पीठ ने कहा कि केंद्र और खनन कंपनियों द्वारा खनिज समृद्ध राज्यों को बकाया राशि का भुगतान अगले 12 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से किया जा सकता है। पीठ ने राज्यों को बकाया राशि के भुगतान पर किसी भी तरह का जुर्माना नहीं लगाने का निर्देश दिया।

केंद्र ने 1989 से खदानों और खनिजों पर लगाई गई रॉयल्टी की वापसी की राज्यों की मांग का विरोध करते हुए कहा कि इससे नागरिकों पर असर पड़ेगा और शुरुआती अनुमान के अनुसार सार्वजनिक उपक्रमों को अपने खजाने से 70,000 करोड़ रुपये खाली करने पड़ेंगे। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस फैसले पर पीठ के 8 न्यायाधीशों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिन्होंने 25 जुलाई के फैसले पर बहुमत से फैसला सुनाया था, जिसमें राज्य को खनिज अधिकारों पर कर लगाने का अधिकार दिया गया था। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति नागरत्ना बुधवार के फैसले पर हस्ताक्षर नहीं करेंगी, क्योंकि उन्होंने 25 जुलाई के फैसले में असहमति जताई थी।

25 जुलाई को 8:1 के बहुमत वाले फैसले में पीठ ने कहा था कि खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्ति राज्यों के पास है। इस फैसले ने 1989 के उस फैसले को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि केवल केंद्र के पास खनिजों और खनिज युक्त भूमि पर रॉयल्टी लगाने का अधिकार है।

इसके बाद विपक्ष शासित कुछ खनिज समृद्ध राज्यों ने 1989 के फैसले के बाद से केंद्र द्वारा लगाई गई रॉयल्टी और खनन कंपनियों से लिए गए करों की वापसी की मांग की। रिफंड के मामले पर 31 जुलाई को सुनवाई हुई और आदेश सुरक्षित रख लिया गया।

Tags:    

Similar News