Chhattisgarh Land Scam: 7000 रेट वाली जमीनों का 1000 रुपए सरकारी रेट, राज्य के खजाने और इंकम टैक्स को नुकसान कर बिल्डरों, भूमाफियाओं को पहुंचाया जा रहा फायदा

Chhattisgarh Land Scam: छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य होगा, जहां पिछले आठ साल से जमीनों का गाइडलाइन रेट एक रुपिया नहीं बढ़ा है। दरअसल, पिछली सरकार में बिल्डरों और भूमाफियाओं की किस्मत चमकी कि गाइडलाइन रेट बढ़ाने की बजाए उल्टे 30 परसेंट और कम कर दिया गया। सरकार के इस फैसले से उन बिल्डरों और भूमाफियाओं को सबसे ज्यादा फायदा हुआ, जो रायपुर के बाहरी हिस्सों की डेवलप कालोनियों का सरकारी रेट औने-पौने करा रखा है।

Update: 2025-03-21 13:59 GMT
Chhattisgarh Land Scam: 7000 रेट वाली जमीनों का 1000 रुपए सरकारी रेट, राज्य के खजाने और इंकम टैक्स को नुकसान कर बिल्डरों, भूमाफियाओं को पहुंचाया जा रहा फायदा
  • whatsapp icon

Chhattisgarh Land Scam: रायपुर। छत्तीसगढ़ में अफसरों की मिलीभगत से बिल्डरों और भूमाफियाओं के गठजोड़ ने ऐसा गुल खिलाया कि पिछले एक दशक में छत्तीसगढ़ के बिल्डर और भूमाफिया मालामाल हो गए। सबसे बड़ा खेला गाइडलाइन रेट में किया गया। गाइडलाइन रेट तय करने वाले अफसरों ने कचना और विधानसभा रोड की 5 से 7 हजार फुट वाली लग्जरी कालोनियों का रेट भी हजार से 12 सौ रुपए तय कर दिया।

आपको जानकर हैरानी होगी कि सड्डू के सबसे पिछड़े इलाकों में जमीनों का सरकारी रेट भी हजार रुपए है और विधानसभा रोड पर बने हाई प्रोफाइल कालोनियां का भी वही रेट।

पॉश कालोनियों में 1395 रुपए रेट

छत्तीसगढ़ में लालफीताशाही का कमाल देखिए विधानसभा रोड, कचना, आमासिवनी में गाइडलाइन रेट में 30 प्रतिशत छूट खतम होने के बाद भी 1390, 1395 रुपए से अधिक नहीं है। ये उन पॉश इलाकों की बात कर रहे हैं, जिन कालोनियों में डेढ़ करोड़ से नीचे का कोई छोटा मकान नहीं मिलता और 60 से 70 लाख से नीचे 1200 वर्ग का प्लॉट नहीं मिलेगा। मगर रजिस्ट्री होती है 1390 रुपए के रेट से। रायपुर के सबसे पॉश कालोनी और बिजनेस हब बनाने का दावा करने वाले एक बिल्डर की कालोनी और व्यवसायिक पार्क का एनपीजी न्यूज संवाददाता ने विजिट किया, वहां रेट बताया गया 7000 रुपए वर्ग फुट।

8 साल से रेट नहीं बढ़ा

एक तो रायपुर के आउटर कालोनियों का सरकारी रेट हजार, बारह सौ से उपर नहीं हुआ, उपर से पिछली कांग्रेस सरकार ने 30 परसेंट और कम कर दिया। बीजेपी की नई सरकार आने के बाद गाइडलाइन रेट की छूट को समाप्त किया गया। हालांकि, पिछले साल मई में सरकार ने गाइडलाइन रेट बढ़ाने की तैयारी की थी मगर ऐसा माहौल बनाया गया कि रियल इस्टेट बैठ जाएगा, इसलिए सरकार ने कदम पीछे खींच लिया। जानकारों का कहना है कि आखिर छत्तीसगढ़ में भी हर साल गाइडलाइन रेट बढ़ता था। देश के सभी राज्यों में भी हर साल रेट बढ़ता है। फिर छत्तीसगढ़ में ही रियल इस्टेट के बैठने का डर क्यों दिखाया जा रहा है?

बता दें, दूसरे राज्यों में हर साल गाइडलाइन रेट में बाजार के हिसाब से कुछ-न-कुछ वृद्धि की जाती है। छत्तीसगढ़ में भी 2017 तक ऐसा ही होता था। हर साल कुछ परसेंट गाइडलाइन रेट बढ़ता था। मगर अब छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य बन गया, जहां 2017 के बाद जमीनों के संपत्ति दर में एक पैसे की वृद्धि नहीं हुई। उपर से 30 परसेंट छूट दे दी गई। याने आउटर की महंगी जमीनों को सरकारी रेट वैसे ही औने-पौने और उपर से एक तिहाई का रियायत भी।

मनी मनी लॉड्रिंग का बड़ा सोर्स

जमीनों और संपत्तियां का सरकारी रेट कम करने के खेला से रायपुर मनी लॉड्रिंग का केंद्र बन गया है। महंगी जमीनों को कौडियों के भाव रजिस्ट्री करने से ब्लैक मनी का चलन तेजी से बढ़ा है। काली कमाई वाले दूसरो प्रदेशों के इंवेस्टर्स छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। नाममात्र के सरकारी रेट में जमीन या मकान बेचने से बिल्डरों और भूमाफियाओं को इंकम टैक्स का बड़ा फायदा हो रहा है। जरा सोचिए 7000 फुट की जमीन में जो प्लॉट बिल्डर बेच रहे हैं, उसका सरकारी रेट है 1300। याने पांच गुना कम। बिल्डरों को 7000 की बजाए 1300 रुपए के हिसाब से इंकम टैक्स जमा करना पड़ता है। इसमें ब्लैक मनी का फ्लो इसलिए बढ़ गया है कि एक नंबर में बहुत थोड़े पैसे देने पड़ रहे हैं, 70 से 75 परसेंट हिस्सा कैश में ले रहे बिल्डर। चूकि बिल्डरों और भूमाफियाओं को कैश में पैसे ज्यादा मिल रहा है सो दो नंबर का काम रियल इस्टेट में ज्यादा हो रहा।

कार्रवाई क्यों नहीं?

जब सभी को मालूम है कि बाजार में किस रेट से जमीनों और संपत्तियों को विक्रय किया जा रहा है, उसके बाद भी छत्तीसगढ़ के अफसर आंख मूंदकर पुराने गाइडलाइन रेट को फॉलो करते हैं। छत्तीसगढ़ में पिछले 20 साल में बाजार रेट दस गुना तक बढ़ गए हैं मगर सरकारी रेट वही है हजार, बारह सौ।

अब बढ़ाने की कवायद

आठ साल बाद छत्तीसगढ़ सरकार अब जमीनों के गाइडलाइन रेट ब्रढ़ाने पर विचार कर रही है। इसके लिए पंजीयन आईजी पुष्पेंद्र मीणा ने 15 अप्रैल तक जिलों से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। पता चला है, अब इलाके के अनुसार गाइडलाइन रेट तय किया जाएगा। अभी तक रियल इस्टेट के खिलाड़ियों के इशारे पर उनक सुविधा के अनुसार से अफसरों ने रेट तय कर दिया था। याने बिना किसी मापदंड के। आप इससे समझ सकते हैं कि कचना और विधानसभा रोड के हाई प्रोफाइल कॉलोनियों के रेट भी वही हजार रुपए और रोड दो दो किलीमीटर भीतर ग्रामीण इलाके के जमीनों का रेट भी हजार रुपए।

Tags:    

Similar News