Brijmohan Agarwal: बृजमोहन अग्रवाल ने छोड़ा मंत्री पद: कैबिनेट की बैठक के दौरान मुख्‍यमंत्री को सौंपा इस्‍तीफा

Brijmohan Agarwal: रायपुर संसदीय सीट से सांसद चुने गए प्रदेश के वरिष्‍ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आज मंत्री पद से इस्‍तीफा दे दिया है।

Update: 2024-06-19 12:05 GMT

Brijmohan Agarwal: रायपुर। एनपीजी की खबर पर मुहर लग गई। स्कूल शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। आज सुबह एनपीजी न्यूज ने इस आशय की खबर प्रकाशित की थी कि बृजमोहन अग्रवाल कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंप देंगे। और वही हुआ। मंत्रालय में हुई राज्‍य कैबिनेट की बैठक के दौरान प्रदेश सरकार के वरिष्‍ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आज कैबिनेट से इस्‍तीफ दे दिया। मंत्रालय में कैबिनेट की बैठक के दौरान ही उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री को अपना इस्‍तीफा सौंपा। बता दें कि दो दिन पहले उन्‍होंने विधायक पद से इस्तीफा दिया था।

इस्‍तीफा से पहले बैठक

इस्‍तीफा देने से पहले अग्रवाल ने अपने विभागों की समीक्षा बैठक ली। जिसमें शिक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए तथा विभिन्न कार्ययोजनाओं पर चर्चा की गई। बैठक में शिक्षकों की भर्ती, वेतन विसंगति, पदोन्नति, नई शालाओं के निर्माण समेत विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा कर जानकारी ली। मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में शिक्षा के स्तर को विश्व स्तरीय बनाने के लिए हम लगातार कार्य कर रहे हैं राज्य में शिक्षकों के 33 हजार रिक्त पदों पर मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से स्वीकृति के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू की जायेगी। इसके साथ ही राज्य में वेतन विसंगति और संयुक्त संचालक, उप संचालक, प्राचार्य, व्याख्याता, उच्च वर्ग शिक्षक, प्रधानपाठक (माध्यमिक शाला) की पदोन्नति के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया। मंत्री ने इन सारी विसंगतियां को जल्द से जल्द दूर करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया।

नए मंत्री अभी नहीं

बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद विष्णुदेव मंत्रिमंडल में दो मंत्रियों की जगह खाली हो जाएगी। एक मंत्री का पद पहले से खाली है और दूसरा बृजमोहन की विदाई के बाद रिक्त हो जाएगा। सूत्रों का कहना है कि फिलहाल नए मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने की कोई योजना नहीं है। लोकसभा चुनाव के बाद अभी केंद्रीय नेतृत्व भी नई सरकार में व्यस्त है। इसलिए, दो मंत्रियों की नियुक्ति में अभी वक्त लग सकता है। लिहाजा, वर्तमान मंत्रियों में से किसी को बृजमोहन अग्रवाल के विभागों को अतिरिक्त तौर पर दिया जा सकता है।

ये होंगे स्कूल, संस्कृति, पर्यटन और संसदीय कार्य मंत्री

बृजमोहन अग्रवाल के बाद सबसे सीनियर रामविचार नेताम हैं। वे रमन सरकार में 10 साल मंत्री रहने के अलावा एक बार राज्य सभा सदस्य भी रह चुके हैं। इसी महीने विधानसभा का मानसून सत्र होने वाला है। इसलिए, किसी सीनियर मंत्री को ही संसदीय कार्य मंत्रालय दिया जाएगा। हालांकि, केदार कश्यप रमन सिंह सरकार में 15 साल मंत्री रहे। मगर रामविचार नेताम को इस पद के लिए सरकार ज्यादा उपयुक्त मान रही है। रही बात शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन की तो उसे केदार कश्यप या टंकराम वर्मा में से किसी को सौंपा जा सकता है।

जानिये कौन है बृजमोहन अग्रवाल

लोकसभा चुनाव 2024 में रायपुर सीट से सांसद चुने गए बृजमोहन अग्रवाल 2023 में रायपुर दक्षिण सीट से विधायक चुने गए थे। विष्‍णुदेव साय सरकार में उन्‍हें कैबिनेट मंत्री बना गया। पहले विधानसभा फिर लोकसभा चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल प्रदेश की सबसे बड़ी लीड लेकर लगातार चुनाव जीते हैं। वे लगातार 8 बार विधायक चुने जा चुके हैं। विधानसभा चुनाव में बृजमोहन ने प्रदेश में सर्वाधिक मतों से जीत हासिल की है। उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी महंत रामसुंदर दास को 67919 मतों के अंतर से हराया है। कॉमर्स व आर्ट्स दोनों विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले बृजमोहन अग्रवाल ने एलएलबी की भी डिग्री ली है। 1990 में पहली बार विधायक निर्वाचित होने वाले बृजमोहन अग्रवाल ने अपने राजनीतिक की शुरुआत भाजपा की छात्र इकाई एबीवीपी से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की। वे कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष व भारतीय जनता युवा मोर्चा अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रदेश उपाध्यक्ष रहें हैं। अविभाजित मध्य प्रदेश में राज्य मंत्री रहने के अलावा छत्तीसगढ़ की सरकार में तीन बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं। भाजपा विधायक दल के सदन में मुख्य सचेतक भी रहे हैं। राजिम में राजिम कुंभ करवा कर उन्होंने राजिम कुंभ को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलवाई है।

राजिम को दिलाया कुंभ का दर्जा

छत्‍तीसगढ़ का राजिम तीन नदियों महानदी, पैरी नदी व सोढुर संगम स्थल है। इसे छत्‍तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है। वहां राजीव लोचन और कुलेश्‍वर महादेव का मंदिर भी हैं। वहां माघी पुन्‍नी मेला का आयोजन होता था। 2005में धर्मस्‍व मंत्री रहते बृजमोहन अग्रवाल ने इस आयोजन को कुंभी मेले की तर्ज पर शुरू कराया। पखवाड़ेभर तक चलने वाले इस आयोजन की चर्चा देश- विदेश तक होती है। इसमें देशभर के साधु-संतों आते हैं। हालांकि 2019 से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की शासन आते ही, सरकार ने फिर से आयोजन को राजिम पुन्नी मेला नाम दे दिया।

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