Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का सख्त रवैया, पांच हजार शिक्षकों की अब जाएगी नौकरी,, कोर्ट ने राज्य शासन को दिया अल्टीमेटम

Bilaspur High Court:प्राइमरी स्कूलों में डीएलएड डिप्लोमाधारकों को शिक्षक के पद पर नियुक्ति देने के लिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जस्टिस अरविंद वर्मा की बेंच ने राज्य शासन को निर्देश जारी किया है कि सात दिनों के भीतर डिप्लोमाधारकों की चयन सूची जारी करें जिनको प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी जानी है। बता दें कि डीएलएड डिप्लोमाधारकों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में चौथी बार अवमानना याचिका दायर की है।

Update: 2024-11-29 15:21 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर।प्राइमरी स्कूलों में डीएलएड डिप्लोमाधारकों को शिक्षक के पद पर नियुक्ति देने के लिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जस्टिस अरविंद वर्मा की बेंच ने राज्य शासन को निर्देश जारी किया है कि सात दिनों के भीतर डिप्लोमाधारकों की चयन सूची जारी करें जिनको प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी जानी है। बता दें कि डीएलएड डिप्लोमाधारकों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में चौथी बार अवमानना याचिका दायर की है।

अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए सिंगल बेंच ने राज्य सरकार के रवैये को लेकर जमकर नाराजगी जताई। जस्टिस ने दो टूक कहा कि सुप्रीम कोर्ट और उसके बाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी राज्य सरकार आदेश का परिपालन करने के बजाय लगातार अवहेलना कर रही है। याचिकाकर्ताओं द्वारा लगातार न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के आरोप में अवमानना याचिका दायर की जा रही है। अवमानना याचिका की पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़कर उनकी बातें सुनी थी। विभागीय अधिकारियों के जवाब सुनने के बाद कोर्ट ने 21 दिनों के भीतर प्राइमरी स्कूलों में नौकरी कर रहे बीएड डिग्रीधारकों को बाहर निकालने और उनकी जगह मेरिट के आधार पर डीएलएड डिप्लोमाधारकों को नियुक्ति देने के लिए सूची जारी करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट द्वारा तय की गई समय सीमा बीते जाने के बाद भी जब राज्य शासन की ओर से नियुक्ति देने के संबंध में प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की गई तब डिप्लोमाधारकों ने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालीयन आदेश की अवहलेना का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के रवैये को लेकर नाराजगी जताई है।

राज्य सरकार ने दिया कुछ इस तरह का जवाब

राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसर ने बताया कि डीएलएड डिप्लोमाधारकों की मेरिट के आधार पर सूची बनाने और जारी करने की जिम्मेदारी व्यापमं को दी गई है। व्यापमं की ओर से इस संबंध में विलंब किया जा रहा है।

 कोर्ट ने कहा,जबरिया बर्बाद किया जा रहा न्यायालय का समय

लगातार निर्देश के बाद भी राज्य सरकार द्वारा प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाए जाने को लेकर कोर्ट की तल्खी सामने आई है। नाराज कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में जानबुझकर न्यायालय का समय बर्बाद किया जा रहा है। आदेश के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई है। कोर्ट ने राज्य शासन को अंतिम अवसर देते हुए सात दिनों के भीतर मेरिट के आधार पर डीएलएल अभ्यर्थियों की सूची जारी करने और नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्देश दिया है। अवमानना याचिका पर अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 10 दिसंबर की तिथि तय कर दी है।

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