Bilaspur High Court: हाईकोर्ट में राज्‍य सरकार की बड़ी जीत: आबकारी नीति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज...

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले से राज्य सरकार को राहत मिली है। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन द्वारा राज्य में लागू नई शराब नीति को हरी झंडी दे दी है। इसके साथ ही दायर याचिका को खारिज कर दिया है।

Update: 2024-09-05 14:27 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य की आबकारी नीति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार को अपनी आबकारी नीति बनाने का पूर्ण अधिकार है। इसे चुनौती नहीं दी जा सकती।

प्रदेश में शराब की दुकानों का संचालन और वितरण पहले 10 कंपनियों को सौंपा गया था। हाल ही में राज्य सरकार ने अपनी आबकारी नीति में बदलाव करते हुए इस कार्य को स्वयं के नियंत्रण में ले लिया। शराब के वितरण और बिक्री को अपने नियंत्रण में लेने के साथ ही राज्य सरकार ने कंपनियों से जमा की गई राशि वापस लौटा दी है। साथ ही कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिया है।

राज्य शासन द्वारा आबकारी नीति में किए गए बदलाव को चुनौती देते हुए नार्थ ईस्ट फीड एंड एग्रो एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में रिट याचिका दायरकी थी। दायर याचिका में कंपनी की ओर बताया गया था कि उन्होंने मार्च 2025 तक का अनुबंध किया है और इस अवधि से पहले उनका लाइसेंस निरस्त नहीं किया जा सकता।

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि 10 में से 8 कंपनियों ने स्वेच्छा से लाइसेंस सरेंडर कर दिया है। कंपनियों द्वारा लाइसेंस सरेंडर करने की स्थिति में राज्य सरकार ने जमा राशि को वापस लौटा दिया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता के जवाब सुनने के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन की नई आबकारी नीति को सही ठहराते हुए कंपनी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि राज्य शासन को अपनी आबकारी नीति बनाने का पूरा अधिकार है। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

एफएल10 एबी लाइसेंस की व्यवस्था को कर दिया है समाप्त

विदेशी मदिरा के थोक विक्रय और भंडारण के लिए वर्तमान में प्रचलित एफएल 10 एबी लाइसेंस की व्यवस्था को समाप्त करते हुए विनिर्माण इकाइयों से सीधे विदेशी मदिरा की थोक खरीद को मंजूरी दे दी है। पहले विदेशी मदिरा की खरीदी लाइसेंसधारियों के माध्यम से की जाती थी। इस व्यवस्था को समाप्त करने के साथ ही सरकार ने अब छत्तीसगढ़ बेवरेज कॉरपोरेशन को विदेशी मदिरा की खरीद की जिम्मेदारी सौंपी है।

"पिछली प्रणाली में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं थीं, जिससे राज्य को भारी वित्तीय नुकसान हुआ और उन्होंने स्वच्छ और पारदर्शी कारोबारी माहौल पर जोर दिया। नई आबकारी नीति के पीछे "वितरण प्रक्रिया पर नियंत्रण करके, हमारा उद्देश्य प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, निर्माताओं के लिए लागत कम करना और ग्राहकों की संतुष्टि बढ़ाना है। नई नीति के लागू होने के बाद सरकार शराब के व्यापार में बिचौलियों की भूमिका को खत्म करते हुए सीधे निर्माताओं से शराब खरीदेगी और बेचेगी।

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