Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा को नियमित जमानत पर रिहा करने करने से किया इंकार

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने शराब घोटाले में फंसे पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा को नियमित जमानत पर रिहा करने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस अरविंद वर्मा के सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख करते हुए तल्ख टिप्पणी की है। उपरोक्त अपराधों के लिए निर्धारित दंड की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए और उपरोक्त मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की बाध्यकारी टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए कि भ्रष्टाचार राष्ट्र का दुश्मन है और भ्रष्ट लोक सेवकों का पता लगाना और ऐसे व्यक्तियों को दंडित करना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 का एक आवश्यक आदेश है।

Update: 2024-12-04 14:27 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने शराब घोटाले में फंसे पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा को नियमित जमानत पर रिहा करने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस अरविंद वर्मा के सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख करते हुए तल्ख टिप्पणी की है। उपरोक्त अपराधों के लिए निर्धारित दंड की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए और उपरोक्त मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की बाध्यकारी टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए कि भ्रष्टाचार राष्ट्र का दुश्मन है और भ्रष्ट लोक सेवकों का पता लगाना और ऐसे व्यक्तियों को दंडित करना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 का एक आवश्यक आदेश है।

सिंगल बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि आगे यह ध्यान में रखते हुए कि भ्रष्टाचार वास्तव में मानव अधिकारों का उल्लंघन है, विशेष रूप से जीवन, स्वतंत्रता, समानता और भेदभाव न करने के अधिकार का और यह सभी मानव अधिकारों की प्राप्ति में एक आर्थिक बाधा है। आगे यह ध्यान में रखते हुए कि आवेदक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। आरोप की प्रकृति और अपराध की गंभीरता को देखते हुए, आवेदक पर आरोप लगाए गए हैं, जो अत्यंत गंभीर हैं, ऐसे अपराध छत्तीसगढ़ राज्य में किए गए हैं। लिहाजा अपराध की प्रकृति और गंभीर कारणों से याचिकाकर्ता को नियमित जमानत पर रिहा करने का आदेश देना उचित नहीं है।

कोर्ट की गंभीर टिप्पणी

सिंगल बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि याचिकाकर्ता सहित कई सरकारी अधिकारियों की भूमिका उजागर हुई है और अपराध में उनकी भूमिका स्थापित हुई है। जांच से पता चला है कि याचकिाकर्ता ने अन्य सह-आरोपियों के साथ मिली-भगत करके सिंडिकेट्स को रिश्वत के भुगतान की सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

 ये हैं सिंडिकेट के मुख्य कर्ताधर्ता

राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट ने कहा कि अब तक की जांच से पता चलता है कि याचिकाकताZ टूटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर के साथ सिंडिकेट का मुख्य व्यक्ति है। यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता शराब घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक था और उसने सरकारी कर्मचारी होने के नाते अपने पद का दुरुपयोग किया और अन्य आरोपियों के साथ शराब की अवैध बिक्री में शामिल रहा। जहां तक चिकित्सा मुद्दों के संबंध में समानता के आधार का संबंध है, जिसमें कहा गया है कि वह ऑस्टियोआर्थराइटिस, यकृत विकार, जीजीटीपी (यकृत क्षति), हाइपोनेट्रेमिया, उच्च रक्तचाप, हाइपोथायरायडिज्म और चिंता से पीड़ित है, ऐसी कोई गंभीर चिकित्सा समस्या नहीं है और इसलिए, वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता समानता के आधार पर जमानत देने का दावा नहीं कर सकता है।

 याचिकाकर्ता ने सिंडिकेट के सदस्यों के साथ मिलकर सरकारी खजाने को पहुंचाया नुकसान

राज्य शासन के अधिवक्ताओं ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सह-आरोपियों के साथ मिलकर राज्य के खजाने को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया है और अपराध की अनुमानित आय लगभग 1660,41,00,056/- रुपये है। यह बहुत बड़ी अघोषित धनराशि और सिंडिकेट के माध्यम से अर्जित अनुपातहीन संपत्ति है, जिससे राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचा है और जिसके लिए वर्तमान आवेदक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 12 के तहत कार्यवाही दर्ज की गई है।

 कोर्ट ने कहा,आर्थिक अपराधों का पूरे समाज पर पड़ता है गहरा असर

आर्थिक अपराध, जिनमें गहरी साजिशें शामिल हों और जिनमें सार्वजनिक धन की भारी हानि हो, उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए और गंभीर अपराध माना जाना चाहिए आर्थिक अपराधों का पूरे समाज के विकास पर गंभीर असर पड़ता है। अगर राज्य की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने वाले आर्थिक अपराधियों को उचित तरीके से सजा नहीं दी जाती है, तो पूरा समुदाय दुखी होगा।

जमानत नियम है और जेल अपवाद है' यह एक सुस्थापित सिद्धांत है, लेकिन किसी व्यक्ति को जमानत पर रिहा करने से पहले प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में मौजूद प्रतिस्पर्धी ताकतों को मापा जाना चाहिए। सामाजिक-आर्थिक अपराधों का समाज के नैतिक ताने-बाने पर गहरा असर पड़ता है और यह एक ऐसा मामला है जिस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है

 टूटेजा के खिलाफ ये मामले हैं लंबित

0 एसीबी/ईओडब्ल्यू, रायपुर द्वारा धारा 109,120-बी आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)9डी) और 13(2) के तहत अपराध के लिए एफआईआर क्रमांक 09/2015 पंजीकृत किया गया, जिसमें आरोप पत्र दायर किया गया है और विशेष न्यायाधीश, एसीबी, रायपुर के समक्ष विचारण लंबित है

0 ईडी द्वारा पीएमएलए की धारा 3 और 4 के तहत पंजीकृत ईसीआईआर संख्या 01/2-029 जिसमें आवेदक के खिलाफ जांच चल रही है।

0 एफआईआर संख्या 196/2023, पीएस कासना, ग्रेटर नोएडा, जिला गौतम बुद्ध नगर, यूपी द्वारा धारा 420.468.471,473,484 और 120-बी आईपीसी के तहत अपराध के लिए पंजीकृत।

0 ईसीआईआर/आरपीजेडओ/04/2024, ईडी द्वारा पीएमएलए की धारा 3 और 4 के तहत पंजीकृत किया गया है और मामला विद्वान विशेष न्यायाधीश पीएमएलए के समक्ष लंबित है।

0 एसीबी/ईओडब्ल्यू द्वारा धारा 420,120-बी आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत अपराध करने के लिए एफआईआर संख्या 36/2024 दर्ज की गई।

0 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7ए, 8, 13(2) और आईपीसी की धारा 182.211.193,195ए, 166ए और 120-बी के तहत अपराधों के लिए एसीबी द्वारा 4.11.2024 को एफआईआर संख्या 49/2024 दर्ज की गई।

0 वर्तमान मामले में, वह सिंडिकेट के आपराधिक कृत्यों में शामिल था आरोप पत्र के साथ संलग्न व्हाट्सएप चैट का विवरण प्रथम दृष्टया वर्तमान मामले में आवेदक की संलिप्तता को दर्शाता है।

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