Bihar Voter Verification: बिहार वोटर वेरिफिकेशन रहेगा जारी, सुप्रीम कोर्ट ने प्रक्रिया पर रोक लगाने से किया इनकार

Bihar Voter Verification: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के अपने कार्य को जारी रखने की अनुमति दे दी है.

Update: 2025-07-10 10:27 GMT

Supreme Court News

Bihar Voter Verification: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के अपने कार्य को जारी रखने की अनुमति दे दी है. हालाँकि कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाई है.

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ कर रही है. जस्टिस सुधांशु धूलिया ने मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया जारी रहेगी. कोर्ट ने कहा, कि प्रथम दृष्टया उसकी राय है कि न्याय के हित में, चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूचियों के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान आधार, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र आदि जैसे दस्तावेजों को भी शामिल करने पर विचार करना चाहिए. वहीँ. इसकी अगली सुनवाई 28 जुलाई को को होगी.

कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा, बिहार विधानसभा चुनाव के कुछ महीनों पहले ही इसकी शुरुआत क्यों की गई. चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया से समस्या नहीं है बल्कि चुनाव से ठीक ऐसा करना सवाल खड़े करती है. चुनाव आयोग की ओर से पैरवी कर रहे पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, "आधार नागरिकता का वैध प्रमाण नहीं है. ये केवल एक पहचान पत्र है."  इस पर कोर्ट ने कहा, नागरिकता पर बात करने का अधिकार आपका नहीं है, यह काम गृह मंत्रालय का है. नागरिकता की जांच के लिए सख्त अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया की जरूरत होती है. 

 याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा, इस प्रक्रिया में आधार, जन्म प्रमाण पत्र और मनरेगा कार्ड को शामिल नहीं किया गया है. बहुत कम लोगों के पास पासपोर्ट (2.5%), मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र (14.71%), निवास प्रमाण पत्र या अन्य दस्तावेज हैं. याचिकाकर्ताओं के वकील गोपाल शंकर ने दलील दी , "11 दस्तावेजों को अनिवार्य करना पक्षपातपूर्ण है. हर साल वोटर लिस्ट की समीक्षा होती है और इस साल यह हो चुकी है. फिर अब इसकी जरूरत क्यों?" उन्होंने इसे मनमाना और कानून के खिलाफ बताया. 

इस पर चुनाव आयोग के वकील से जस्टिस धूलिया बोले "आप जो डॉक्यूमेंट मांग रहे हैं, अगर आप मुझसे मांगते हैं, मेरे पास भी नहीं मिलेगा " कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से भी कहा, कि उन्हें यह साबित करना होगा कि आयोग का तरीका गलत है. उन्होंने कहा कि सभी दलीलें 28 जुलाई से पहले पूरी करनी होंगी. 28 जुलाई को मामले की सुनवाई होगी. 

बता दें, चुनाव आयोग के इस अभियान को 'असंवैधानिक एवं मनमाना' बताते हुए चुनौती दी गई है. इंडिया गठबंधन की पार्टियों कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, सीपीएम, एनसीपी (शरद पवार गुट), सीपीआई, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (यूबीटी) और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट पुनरीक्षण के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है.


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