Vinod Shukla News: जानिए देश के सबसे प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चयनित साहित्यकार विनोद शुक्ल के बारे में...
Vinod Shukla News: छत्तीसगढ़ रायपुर के साहित्यकार विनोद शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया है। छत्तीसगढ़ में यह पहली बार है जब किसी साहित्यार को प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है।

Vinod Shukla
Vinod Shukla News: रायपुर। छत्तीसगढ़ रायपुर के साहित्यकार विनोद शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया है। यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है। ज्ञान पीठ पुरस्कार ,भारतीय भाषाओं में अनुकरणीय लेखन के लिए दिया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है।
हिंदी भाषा में ज्ञान पीठ पुरस्कार पाने वाले विनोद कुमार शुक्ल बारहवें साहित्यकार है। हिंदी भाषा की सेवा करने वालो में सुमित्रानंदन पंत1968, रामधारी सिंह दिनकर1972, सच्चिदानंद वात्स्यायन1978,महादेवी वर्मा1982, नरेश मेहता1992, निर्मल वर्मा1999, कुंवरनायण2005 ,अमरकांत2009, श्रीलाल शुक्ल2009, केदार नाथ सिंह2013, और कृष्णा सोबती2017 का नाम शामिल है। संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज 22 भाषाओं में 1967 के बाद शामिल सिंधी(1967), कोंकणी,मणिपुरी नेपाली(1992),बोडो,डोंगरी, मैथिली,संथाली(2004) भाषाओ में से केवल कोंकणी भाषा के साहित्यकार ज्ञान पीठ पुरस्कार से सम्मानित हुए है।
जानिए विनोद कुमार शुक्ल को
विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी, 1937 को राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ में हुआ। उन्होंने जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं- 'लगभग जयहिन्द', 'वह आदमी नया गरम कोट पहिनकर चला गया विचार की तरह', 'सब कुछ होना बचा रहेगा', 'अतिरिक्त नहीं', 'कविता से लम्बी कविता', 'कभी के बाद अभी', 'प्रतिनिधि कविताएँ', 'आकाश धरती को खटखटाता है' (कविता संग्रह); 'पेड़ पर कमरा' तथा 'महाविद्यालय' (कहानी संग्रह); 'नौकर की क्रमीज', 'दीवार में एक खिड़की रहती थी', 'खिलेगा तो देखेंगे', 'हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़' (उपन्यास)। मेरियोला आफ्रीदी द्वारा इतालवी में अनूदित एक कविता-पुस्तक का इटली में प्रकाशन, इतालवी में ही 'पेड़ पर कमरा' का भी अनुवाद। कई रचनाएँ मराठी, मलयालम, अंग्रेजी तथा जर्मन भाषाओं में अनुदित।
फिल्में भी बनी
मणि कौल द्वारा 1999 में 'नौकर की क्रमीज़' पर फ़िल्म का निर्माण। 'आदमी की औरत' और 'पेड़ पर कमरा' सहित कुछ कहानियों पर अमित दत्ता के निर्देशन में बनी फ़िल्म 'आदमी की औरत' को वेनिस फ़िल्म फ़ेस्टिवल के 66वें समारोह (2009) में स्पेशल इवेंट पुरस्कार। 1994 से 1996 तक निराला सृजनपीठ में अतिथि साहित्यकार रहे।
साहित्य अकादमी पुरस्कार से हुए सम्मानित
उन्हें 'गजानन माधव मुक्तिबोध फ़ेलोशिप', 'राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान', 'शिखर सम्मान' (म.प्र. शासन), 'हिन्दी गौरव सम्मान' (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान), 'रजा पुरस्कार', 'दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान', 'रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार', 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' के लिए 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' तथा अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य में उपलब्धि के लिए 2023 के 'पेन अमेरिका नाबोकोव अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया है। वे इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से कृषि-विस्तार के सह-प्राध्यापक पद से 1996 में सेवानिवृत्त हुए।
इन भाषाओं के साहित्यकारों को मिला ज्ञानपीठ पुरस्कार
हिंदी के बाद सर्वाधिक आठ बार ज्ञानपीठ पुरस्कार कन्नड़ भाषा के साहित्यकारों को मिला है। के. वी. पुट्टप्पा, दत्तात्रेय रामचंद्र बेंद्रे, के शिवराम कारंत, एम. वेंकटेश अय्यर, विनायक कृष्ण गोकाक, यू आर अनंतमूर्ति, गिरीश कर्नाड, चंद्र शेखर कांबरा, कन्नड़ भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार है। मलयालम भाषा के छह साहित्यकारों जी.शंकर कुरूप, एस. के. पोटेकट्ट , टी.शिव शंकर पिल्लई, एम. टी. वासुदेवनायर, ओ.एन.वी. कुरूप, ए.ए.नंबूदरी, को ज्ञान पीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। बंगाली, मराठी और ऊर्दू भाषा के पांच पांच साहित्यकारों को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है
- बंगाली भाषा के सेवा के लिए ताराशंकर बंदोपाध्याय, विष्णुदेव, आशापूर्णा देवी, सुभाष मुखोपाध्याय, महाश्वेता देवी सम्मानित हुई है
- मराठी भाषा के लिए विष्णु सखाराम खांडेकर, विष्णु वामन श्रीवाडकर कुसुमाग्रज, विंदा करणकर, बालचंद्र नेमादे, को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है
- उर्दू भाषा के लिए फिराक गोरखपुरी, कुर्तुल एन हैदर, असीरदार जाफरी, अख़्लाख मोहम्मद खान शायर और गुलज़ार को ये सम्मान मिला है।
- उड़िया भाषा के चार साहित्यकार गोपीनाथ मोहंती,सचिदानंद राउत्रे,सीताराम महापात्र और प्रतिभा रेखा भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।
- गुजराती और असमिया भाषा के लिए तीन तीन साहित्यकारों को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है
- गुजराती भाषा के उमाशंकर जोशी, पन्नालाल पटेल और राजेंद्र शाह को सम्मान मिला है
- असमिया भाषा के लिए वीरेंद्र कुमार भट्टाचार्य, माओनी राइसो गोस्वामी और नीलमणि फूकन को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।
- तेलुगु,तमिल,पंजाबी,कश्मीरी कोंकणी और संस्कृत भाषा के दो दो साहित्यकार भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं।
तेलुगु के विश्वनाथ सत्यनारायण, सी.नारायण रेड्डी, तमिल के अकिलानंदन , दंडपति जयकांथन और पंजाबी भाषा की सेवा के लिए अमृता प्रीतम और गुरुदयाल सिंह, कोंकणी भाषा के लिए रविन्द्र केलेकर और दामोदर माउजो को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।
संस्कृत भाषा को देवभाषा माना गया है। भारत के चार वेद सहित अठारह पुराण इसी भाषा में लिखा गया है। माना जाता है कि तमिल, तेलुगु, मलयालम भाषा की उत्पत्ति भी देवभाषा से हुई है। इस भाषा के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार सत्यव्रत शास्त्री और रामभद्राचार्य (जिनकी गवाही के चलते सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्म भूमि के अस्तित्व को स्वीकार किया) को दिया गया है।
कश्मीरी और अंग्रेजी भाषा (संविधान की भाषा सूची में शामिल नहीं ) के लिए क्रमशः रहमान राही और अमितव घोष को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।
आठ महिलाओं आशापूर्णा देवी,अमृता प्रीतम, महादेवी वर्मा, कुर्तुल एन हैदर, महाश्वेता देवी, माओमी खाईसाम गोस्वामी, प्रतिभा राय और कृष्णा सोबती ज्ञान पीठ पुरस्कार से सम्मानित हुई है।
1967,1973,2006,2009और 2023में दो दो साहित्यकारों को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।
1965से लेकर 2024के सालों में किया गया केवल 2020में कोरोना काल में स्थगित किया गया था।