High Court: हाई कोर्ट ने कहा - पति- पत्नी अपनी यौन इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए एक-दूसरे के पास नहीं जाएंगे तो कहां जाएंगे
High Court: पति की याचिका पर सुनवाई के बाद मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने क्या फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि नैतिक रूप से सभ्य समाज में पति- पत्नी अपनी यौन इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए एक-दूसरे के पास नहीं जाएंगे तो कहां जाएंगे। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने पति की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिकाकर्ता पति हांगकांग में मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत है।
High Court: बिलासपुर। पति-पत्नी के बीच विवाद को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा किया गया अत्याचार या हमला, यदि कोई था तो पत्नी द्वारा उसकी यौन इच्छाओं को पूरा करने से इनकार करने के कारण था, न कि दहेज की मांग पूरी न करने के कारण। यह देखा गया कि दहेज की मांग का आरोप झूठा और मनगढ़ंत था, जबकि विवाद का वास्तविक कारण पक्षों के बीच यौन असंगति थी।
दहेज की मांग पूरी न होने के कारण पति द्वारा प्रताड़ित करने का आरोप लगाती हुई पत्नी ने पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। हांकांग में कार्यरत पति का वीजा रद्द करने विदेश मंत्रालय को पत्र भी प्रेषित कर दी। परेशान आती ने न्याय की गुहार लगाते हुए उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी के साथ अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले से याचिकाकर्ता पति को राहत मिली है।
पति की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि पति के खिलाफ FIR में लगाए गए आरोप दहेज की वास्तविक मांग के बजाय दोनों पक्षों के बीच यौन असंगति से उत्पन्न हुआ विवाद है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यदि पति अपनी पत्नी से यौन संबंध की मांग नहीं करेगा या फिर वे नैतिक रूप से सभ्य समाज में अपनी शारीरिक यौन इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए कहां जाएंगे।
आवेदक (पति) का विवाह हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार 2015 में हुआ था। आवेदक पति के खिलाफ एफआईआर में आरोप लगाया गया कि हालांकि शादी से पहले दहेज की कोई मांग नहीं थी, लेकिन शादी के बाद ससुराल वालों (आवेदक के मात पिता) ने रीति-रिवाजों की आड़ में दहेज की मांग शुरू कर दी। पत्नी के मना करने पर उसके ससुराल वालों और पति ने उसके साथ मारपीट की और उसके साथ दुर्व्यवहार करने लगे। पत्नी की ओर से यह भी आरोप लगाया गया कि शराब के नशे में उसे मारने की कोशिश की। यह भीआरोप लगाया कि उसे उसके मायके वापस भेज दिया। पति ने दहेज के बिना उसे अपने साथ सिंगापुर ले जाने से इनकार कर दिया। पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि जब वह कुछ समय बाद उसके साथ रहने लगी तो वह शराब के नशे में उसे प्रताड़ित करता था और उसका पूरा वेतन उसकी मांगों को पूरा करने में खर्च हो जाता था। पत्नी ने बताया जब पति ने फिर मारने की कोशिश की तब नाराज पिता ने एफआईआर दर्ज कराई और विदेश मंत्रालय को इसकी जानकारी दी।
पासपोर्ट जब्त करने और वापस भारत भेजने ससुर ने एम्बेसी को लिखा था पत्र
दोनों पक्षकारों के बीच मध्यस्थता विफल होने के बाद घटना से नाराज ससुर ने याचिकाकर्ता दामाद का पासपोर्ट जब्त करने और उसे वापस भारत भेजने के लिए विदेश मंत्रालय, सिंगापुर और आवेदक की कंपनी के सीईओ को पत्र लिखा। इसके बाद आरोप पत्र दाखिल किया गया। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट, गौतम बुद्ध नगर ने विवादित आदेश के तहत समन जारी किया और मामले का संज्ञान लिया।
याचिकाकर्ता पति के वकील ने कोर्ट को बताया कि एफआईआर में लगाए गए आरोप अस्पष्ट थे। एफआईआर में किसी भी घटना की कोई विशिष्ट तिथि या समय नहीं बताया गया। यह तर्क दिया गया कि एफआईआर में लगाए गए आरोपों के आधार पर धारा 504, 506, 509 आईपीसी के तहत कोई अपराध नहीं बनता। पत्नी और उसके पिता के वकील ने कोर्ट को बताया कि चूंकि आरोप प्रथम दृष्टया सिद्ध पाए गए, इसलिए आरोप पत्र जारी किया गया था और मामले का संज्ञान लिया गया।
हाईकोर्ट का फैसला और महत्वपूर्ण टिप्पणी
कोर्ट ने अपने फैसले में लिजग है कि रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि एफआईआर में आवेदक के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं लगाए गए। हालांकि, अदालत ने देखा कि पति द्वारा किया गया अत्याचार या हमला, यदि कोई था तो पत्नी द्वारा उसकी यौन इच्छाओं को पूरा करने से इनकार करने के कारण था, न कि दहेज की मांग पूरी न करने के कारण। यह देखा गया कि दहेज की मांग का आरोप झूठा और मनगढ़ंत था, जबकि विवाद का वास्तविक कारण पक्षों के बीच यौन असंगति थी। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों से पति को राहत दी है।