E-Way Bill: टैक्स चोरों पर बड़ी मारः ई-वे बिल से व्यापारियों को टर्नओवर छिपाना अब मुश्किल, मंत्री ओपी चौधरी बोले...इंस्पेक्टर राज की वापसी नहीं

E-Way Bill: देश के टॉप 10 राज्यों में शामिल छत्तीसगढ़ के बारे में यह जानकर आपको हैरानी होगी कि जीएसटी रजिस्टर्ड व्यापारियों में छत्तीसगढ़ सबसे आखिरी पायदान पर है। छत्तीसगढ़ का इतना बुरा हाल है कि झारखंड कम ग्रोथ वाले राज्य में भी छत्तीसगढ़ से 63 हजार ज्यादा व्यापारी जीएसटी में रजिस्टर्ड हैं।

Update: 2024-05-27 15:20 GMT

E-Way Bill: रायपुर। छत्तीसगढ़ के जीएसटी विभाग ने आज टैक्स सुधार में एक बड़ा फैसला लेते हुए एक जिले से दूसरे जिले में माल परिवहन पर ई-वे बिल सिस्टम लागू कर दिया। राज्य सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। अब 50 हजार से अधिक मूल्य के माल एक जिले से दूसरे जिलों में भेजने पर व्यापारियों को ई-वे बिल जेनरेट करने होंगे। हालांकि, ये बेहद सिम्पल प्रॉसेज हैं। मोबाइल से भी ऐप के जरिये मुश्किल से दो मिनट में सामान्य जानकारी भरने पर ई-वे बिल जेनरेट हो जाएगा।

ई-वे बिल का विरोध

देश के 28 राज्यों से सिर्फ दो-तीन राज्य ऐसे हैं, जहां जिलों के बीच माल परिवहन पर ई-वे बिल लागू नहीं है। उनमें छत्तीसगढ़ भी शामिल था। पिछले साल मध्यप्रदेश सरकार ने भी इसे लागू किया और झारखंड सरकार ने भी। बता दें, ई-वे बिल सिस्टम 2018 में प्रभावशील हुआ था। मगर मगर व्यापारियों को ठीक ढंग से समझने के लिए तुरंत इसे लागू नहीं किया गया। मगर अब लगभग सभी राज्यों ने लागू कर दिया है। दरअसल, छोटे व्यापारी इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे थे, इसलिए उनका विरोध इस बात का था कि कंप्यूटर पर काम करने वाले हमारे यहां कर्मचारी नहीं होते, मैनपावर बढ़ाकर खर्च क्यों बढ़ाएं, जैसी कई बातें थी। मगर जीएसटी विभाग ने ऐसा साफ्टवेयर कि दो मिनट से कम समय में अब मोबाइल से ही ई-वे बिल जेनरेट हो जाएगा।

टर्नओवर छुपाना मुश्किल

ई-वे बिल के विरोध की बड़ी वजह टर्नओवर रहा। चूकि 20 लाख के सलाना टर्न ओवर पर जीएसटी के दायरे में व्यापारी आ जाते हैं। लिहाजा, अधिकांश ट्रेडिंग वाले सलाना टर्नओवर छिपाकर 18 लाख, 19 लाख कर देते र्हैं, ताकि जीएसटी के दायरे में न आ सकें। जानकारों का कहना है कि ऐसे व्यापारियों की संख्या ज्यादा है, इसलिए जीएसटी के दायरे में आने पर रेवेन्यू में काफी बढ़ोतरी होगी। साथ ही टैक्स चोरी पर भी अंकुश लगेगा।

झारखंड में 1.70 लाख जीएसटी वाले व्यापारी

छत्तीसगढ़ ग्रोथ में देश के कई बड़े राज्यों से होड़ कर रहा है मगर जीएसटी में रजिस्टर्ड व्यापारियों के मामले में वह झारखंड जैसे राज्य से भी फीसड्डी है। झारखंड में 1.70 लाख व्यापारी जीएसटी में पंजीकृत हैं याने जीएसटी शो कर रहे या जीएसटी जमा कर रहे। मगर छत्तीसगढ़ में यह संख्या सिर्फ 1 लाख 7 हजार है। याने झारखंड से 63 हजार कम। जबकि, छत्तीसगढ़ के रायपुर में ही जीएसटी के दायरे में आने वाले व्यापारियों की संख्या एक लाख से उपर होगी। मगर जीएसटी विभाग अब ऐसे जीएसटी चोरी करने वाले व्यापारियों पर शिकंजा कस दिया है। वहीं ओडिशा में करीब ढाई लाख व्‍यापारी हैं।

मंत्री ओपी चौधरी बोले, छोटे व्यापारियों को परेशान नहीं

ई-वे बिल पर एनपीजी न्यूज ने जीएसटी मिनिस्टर ओपी चौधरी से बात की। उन्होंने कहा कि देश में पहले से ई-वे बिल सिस्टम लागू है। भारत सरकार से भी इस बारे में लगातार निर्देश आ रहे थे। इस सवाल पर कि यह इंस्पेक्टर राज की वापसी तो नहीं है, ओपी चौधरी ने कहा कि आईटी के इस युग में अब इंस्पेक्टर राज का सवाल ही पैदा नहीं होता। सब कुछ पारदर्शिता के साथ हो रहा है। उन्होंने दो टूक कहा कि छोटे व्यापारियों को खामोख्वाह परेशान नही किया जाएगा...इसका निर्देश उन्होंने अफसरों को दे दिए हैं। जीएसटी विभाग के लोग अगर अकारण किसी व्यापारी को परेशान करेंगे, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जानिये ई-वे बिल के बारे में जीएसटी के अफसर क्या कहते हैं

राज्य में व्यवसायियों के लिए अब 50 हज़ार रुपये मूल्य से अधिक के गूड्स का परिवहन करने पर ई वे बिल जेनरेट करना आवश्यक होगा। अभी तक राज्य मे एक जिले के भीतर माल के परिवहन करने पर ई वे बिल जारी करना आवश्यक नहीं था साथ ही 15 वस्तुओं को छोड़ कर राज्य के भीतर किसी भी वस्तु के परिवहन पर ई वे बिल कि आवश्यकता नहीं थी।

वर्ष 2018 मे ई वे बिल के प्रावधानों से छूट इसलिए दी गई थी क्योंकि ये प्रावधान नए थे और व्यवसायियों / ट्रांसपोर्टर्स को इन प्रावधानों से अच्छी तरह परिचित होने के लिए समय दिया जाना जरूरी था। देश भर मे ई वे बिल के प्रावधान लागू हुए अब 6 साल का समय हो गया है और सभी इससे अच्छी तरह परिचित भी हो चुके हैं, यहां यह बात उल्लेखनीय है कि एक दो राज्यों को छोडकर देश के अधिकांश राज्यों मे राज्य के भीतर माल के परिवहन पर ई वे बिल अनिवार्य है। केंद्रीय कर विभाग द्वारा भी ई वे बिल से छूट को खत्म करने पर सहमति दी गई है।

ई वे बिल जारी करने मे दिये गए छूट का सबसे अधिक दुरुपयोग सर्क्युलर ट्रेडिंग करने वाले और बोगस बिल जारी करने वालों ने किया है इसलिए इस छूट को समाप्त किए जाने का सबसे अधिक लाभ उन व्यवसायियों को होगा जो ईमानदारी से अपना कर जमा करते हैं परंतु सर्क्युलर ट्रेडिंग या बोगस बिल जारी करने वालों के कारण उन्हे आइ टी सी का लाभ नहीं मिल पाता है। ई वे बिल के प्रावधान लागू होने से सर्क्युलर ट्रेडिंग और बोगस बिलिंग रोकने मे विभाग को मदद मिलेगी।

ई वे बिल के प्रावधानों मे दी गई छूट को समाप्त किए जाने से राज्य मे कर अनुपालन के वातावरण मे सकारात्मक प्रभाव होगा। इससे बोगस बिल जारी करने, कच्चा बिल जारी करके कर अपवंचन करने की प्रवृत्तियों पर अंकुश लगेगा ।

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