Chattisgarh Scam News: 1000 करोड़ के नामंतरण के संगठित भ्रष्टाचार पर सरकार का ब्रेक...पटवारी, तहसीलदारों के साथ भूमाफिआयों को बड़ा झटका...
Chattisgarh Scam News: छत्तीसगढ़ सरकार के एक बड़े निर्णय से जमीन जायदाद के नामांतरण के खेल में शामिल राजस्व अमला और भूमाफियाओं को बड़ा झटका लगा है। नामंतरण की आड़ में सूबे में साल में 900 से 1000 करोड़ का आरगेनाइज करप्शन हो रहा था। राजस्व भूसंहिता के अनुसार नामंतरण करना पटवारी और तहसीलदार का दायित्व है, बावजूद इसके लिए रेट फिक्स कर दिया गया था। जमीन या मकान 100 परसेंट वैध हो तब भी बिना चढ़ावा चढ़ाए नामंतरण संभव नहीं था। सालों से चले आ रहे इस खुले भ्रष्टाचार की जानकारी सभी को थी मगर सिस्टम मौन था। विष्णुदेव सरकार ने इस करप्शन का कमर तोड़ने के लिए ऐतिहासिक फैसला लेते हुए नामंतरण का अधिकार अब पंजीयन अधिकारी को दे दिया है।

Chattisgarh Scam News: रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के गाइड लाइन पर नजर डालें तो जमीन की रजिस्ट्री के बाद तहसीलदार को हर हाल में 14 दिनों के भीतर नामांतरण की प्रक्रिया को पूरा करना होता है। शासन के नियमों की धज्जियां राजस्व विभाग के अफसर से लेकर बाबू और पटवारी खुलकर उड़ा रहे हैं। नियमों को दरकिनार कर जब मर्जी नामांतरण करते हैं। ऐसा भी नहीं कि आप आए और जमीन का नामांतरण हो गया। जी नहीं! इसके लिए आपको तहसीलदार से लेकर पटवारी और बाबू सभी को उनके ओहदे के अनुसार भेंट चढ़ानी पड़ेगी। तब कहीं जाकर शाम या फिर दूसरे दिन आपका काम पूरा हो पाएगा। नामांतरण का यह खेला तकरीबन 400 करोड़ का है।
छत्तीसगढ़ हर साल 4 लाख रजिस्ट्रियां होती है। रजिस्ट्री के बाद नामांतरण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। तहसीलदारों और पटवारियों की ड्यूटी का यह अहम हिस्सा है। यह काम उनको ही करना है। राजस्व अमलों और भूमाफियाओं ने नामांतरण को एक बड़ा व्यवसाय बना लिया है। नामांतरण के लिए बकायदा रेट तय कर दिया गया है। 10 हजार से एक लाख रुपये तक नजराना चढ़ाना पड़ता है। एक सवाल और उठता है कि किस रजिस्ट्री की कीमत 10 हजार और कौन सी रजिस्ट्री के बाद नामांतरण की कीमत एक लाख रुपये पहुंच जाता है। एक नंबर की संपत्ति या जमीन है और आपने खरीदी और रजिस्ट्री हो गई तब नामांतरण कराने के एवज में आपको 10 हजार रुपये देने पड़ेंगे। विवादित जमीन है या फिर तीसरे या चौथे से खरीदी हुई तब उसकी कीमत सीधे 50 हजार से एक लाख रुपये।
एसीबी की कार्रवाई से हो रहा बड़ा खुलासा
एसीबी द्वारा ट्रैप किए गए अधिकांश प्रकरणों में नामांतरण के लिए घुसखोरी का मामला सामने आया है। तहसीलदार,अतिरिक्त तहसीलदार से लेकर पटवारी तक ट्रैप हुए हैं। इन सभी मामलों में नामंतरण के लिए 25 हजार से लेकर एक लाख तक डिमांड किया गया।
नामांतरण ना होने से फर्जीवाड़ा
रजिस्ट्री के बाद नामांतरण नहीं होने से राजस्व अभिलेखों में भूमि स्वामी का नाम ही चलते रहता है। भूमाफिया या फिर फर्जीवाड़ा करने वाले इसका फायदा भी जमकर उठाते हैं। पिछले कुछ सालों में एक ही जमीन को तीन से चार लोगों को बेचने का मामला भी सामने आए। रजिस्ट्री के बाद सीधे नामांतरण होने से फर्जीवाड़ा पर रोक लगेगी। राज्य शासन के नई व्यवस्था के तहत अब जैसे ही रजिस्ट्री कंप्लीट होगी ऑनलाइन भुइयां एप में बी वन में नए भूस्वामी का नाम दिखने लगेगा।
अब रजिस्ट्री के साथ आटोमेटिक नामांतरण
छत्तीसगढ़ सरकार ने तहसीलदारों से नामांतरण का अधिकार छीन लिया है। अब ये अधिकार पंजीयन अधिकारी को दिया गया है। अब रजिस्ट्री होते ही आटोमेटिक नामांतरण हो जाएगा। राज्य सरकार ने इस संबंध में गजट नोटिफिकेशन कर दिया है। राज्य सरकार के इस फैसले से भूमाफियाओं और राजस्व अधिकारियों के गठजोड़ से जमीन की अफरा-तफरी पर रोक लगेगी।
क्या है राजपत्र में
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अविनाश चंपावत के हस्ताक्षर से जारी गजट नोटिफिकेशन के अनुसार छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्र. 20 सन् 1959) की धारा 24 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, राज्य सरकार, ने खरीद तथा बिक्री से प्राप्त भूमि अंतरण के सरलीकरण हेतु किसी भूमि स्वामी के द्वारा धारित भूमि या भूमि का भाग (खसरा/भू-खण्ड), जिनका पंजीकृत विक्रय के आधार पर अंतरण किया जाता है, ऐसे भूमि के नामांतरण हेतु प्राप्त प्रकरणों पर, उक्त संहिता की धारा 110 के अधीन तहसीलदार को प्राप्त नामांतरण की शक्तियां, जिले में पदस्थ रजिस्ट्रार/सब रजिस्ट्रार जो अपने क्षेत्राधिकार में पंजीकृत विक्रय पत्र के निष्पादन हेतु अधिकृत है, को प्रदान करती है।