Arpa-Bhainsajhad Land Scam: 1 प्रदेश, दंड के 2 नियम! अभनपुर मुआवजा स्कैम में 2 राप्रसे अफसर निलंबित, किसानों का पैसा व्यापारियों को देने वाले SDM को मिल गई मलाईदार कुर्सी...

Arpa-Bhainsajhad Land Scam: छत्तीसगढ़ की अफसरशाही गजबे कर रही है। एक मामले में बड़ी कार्रवाई कर दे रही तो दूसरे में कलेक्टर की दोषी करार देने वाली रिपोर्ट के बाद भी आरटीओ जैसी मलाईदार कुर्सी सौंप दी। 1131 करोड़ के अरपा-भैंसाझाड़ नहर निर्माण में एसडीएम ने फर्जीवाड़ा कर किसानों का मुआवजा बिल्डर और व्यापारियों को दे दिया। कलेक्टर की जांच में एसडीएम समेत राजस्व विभाग के आधा दर्जन मुलाजिम दोषी पाए गए। कलेक्टर ने कार्रवाई के लिए कमिश्नर और कमिश्नर ने राजस्व विभाग को पत्र लिखा। इसके बाद भी अफसरों ने किसानों का मुआवजा हड़पने वाले एसडीएम को सबसे मलाईदार पोस्टिंग देते हुए आरटीओ बना दिया। जबकि, अभनपुर मुआवजा घोटाले में राज्य प्रशासनिक सेवा के निर्भय साहू और निशिकांत कुर्रे को निलंबित कर दिया गया।

Update: 2025-05-14 07:39 GMT

Arpa-Bhainsajhad Land Scam: रायपुर। सिस्टम को आखिर और क्या सबूत चाहिए। अरपा-भैंसाझाड़ नहर परियोजना के मुआवजा वितरण में व्यापक भ्रष्टाचार मामले में कलेक्टर ने स्पष्ट तौर पर लिखा कि एसडीएम आनंद स्वरूप तिवारी समेत आधा दर्जन दोषी पाए गए हैं, इनके खिलाफ कार्रवाई अपेक्षित है। कलेक्टर ने 24 फरवरी 2024 को बिलासपुर कमिश्नर को पत्र लिखा। कमिश्नर ने इसके दो दिन बाद कार्रवाई की अनुशंसा के साथ राजस्व विभाग को पत्र प्रेषित कर दिया। इस एपिसोड को सवा साल से अधिक हो गया। कार्रवाई तो कुछ हुई नहीं, अलबत्ता, अफसरों ने दोषी एसडीएम को उल्टे बिलासपुर का आरटीओ बना दिया।

जबकि, बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण का लेटर देखिएगा नीचे, उन्होंने साफ-साफ लिखा है कि राजस्व मंत्री के विधानसभा में जांच की घोषणा के बाद जिला स्तर पर मुआवजा वितरण में भारी अनियमितता की जांच कराई गई। जांच में एसडीएम समेत छह लोग दोषी पाए गए हैं। कलेक्टर ने इनके खिलाफ अनुशासनात्मक जांच की सिफारिश की थी। मगर अफसरों ने कलेक्टर की कार्रवाई की अनुशंसा को डस्टबीन में डालते हुए एसडीएम को आरटीओ जैसी कुर्सी पर बिठा दिया।

1131 करोड़ के अरपा-भैंसाझाड़ नहर निर्माण में एसडीएम और सिंचाई अधिकारियों ने ऐसा गड़बड़झाला किया कि जिन किसानों की जमीन थी, उन्हें मुआवजा नहीं मिला। एसडीएम ने एक व्यापारी को 3.42 करोड़ दे दिया। और जिन किसानों की जमीनें नहर में गई, वे भटक रहे हैं।


बता दें, कोविड महामारी के समय लोगों के बदहवासी का फायदा उठाते हुए बिलासपुर के कोटा एसडीएम और पटवारी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर किसानों का हकों पर डाका डाल दिया। अफसरों ने किसानों की जगह एक व्यापारी को कागजों में भूस्वामी बनाकर 48 गुना अधिक रेट से 3.42 करोड़ रुपए मुआवजा दे दिया। जिन किसानों की जमीन पर नहर बनी, वे मुआवजा के लिए भटक रहे हैं।

बिलासपुर जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है, अरपा-भैंसाझाड़ नहर के मुआवजे में 30 करोड़ से उपर का इसी तरह का खेल हुआ। भंडा तब फूटा जब एक भूस्वामी की जमीन पर खुदाई के लिए जेसीबी पहुंच गई। वो भागते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचा कि मुझे न मुआवजा मिला और न ही मुझे जमीन अधिग्रहण के बारे में कुछ बताया गया। इस पर कोहराम मचा। चूकि मामला कागजों में अपराधिक कृत्य का था, इसलिए बचाना संभव नहीं था। लिहाजा, जिला स्तर पर इसकी जांच कराई गई। जांच में कोटा के एसडीएम आनंदस्वरूप तिवारी समेत राजस्व विभाग के छह और सिंचाई विभाग के पांच अधिकारी दोषी पाए गए।

कागजों में बना दिया नहर

अरपा भैंसाझार नहर निर्माण में गजब का घोटाला हुआ है। घोटाला करने वाले पटवारी व तत्कालीन कोटा एसडीएम ने कागज में नहर बना दिया और किसानों की जमीन हड़प ली। किसान आज भी दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। जमीन भी गई और मुआवजा भी नहीं मिला। किसानों की जमीन को पटवारी मुकेश साहू ने अपनी कलम की करामात से व्यवसायी मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल के नाम चढ़ा दी और 3 करोड़ 42 लाख रुपए का वारा-न्यारा कर दिया। यह पूरा खेला कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंदरूप तिवारी और पटवारी मुकेश साहू ने किया है।


कलेक्टर और कमिश्नर ने लिखा पत्र

इसमें और क्या सबूत चाहिए कि बिलासपुर कलेक्टर ने बिलासपुर कमिश्नर को सभी 11 अधिकारियों, कर्मचारियों के नामजद दोषी लिखकर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए पत्र लिखा। कलेक्टर के पत्र को कमिश्नर ने अपनी अनुशंसा के साथ राजस्व विभाग को कार्रवाई के लिए भेज दिया। मगर राजस्व विभाग ने पटवारी पर कार्रवाई कर मामले का दबा दिया। सिंचाई विभाग भी इसे नोटिस में नहीं लिया। आज तक किसी मुलाजिम के खिलाफ विभागीय जांच तक शुरू नहीं हुई।

एसडीएम को मिल गई आरटीओ की कुर्सी

वैसे कलेक्टर और कमिश्नर की जांच रिपोर्ट में कोटा के दो एसडीएम के नाम हैं। मगर बताते हैं आनंदस्वरूप तिवारी के बाद दूसरे एसडीएम कीर्तिमान सिंह राठौर की भूमिका इस केस में सीमित थी। मगर दोनों को सरकार ने आरटीओ बना दिया। कीर्तिमान रायपुर के आरटीओ बने और आनंदस्वरूप बिलासपुर के। हालांकि, रायपुर आरटीओ कीर्तिमान को सरकार ने हटाकर अब रायपुर का अपर कलेक्टर बना दिया है। मगर मुआवजा स्कैम में आनंदस्वरूप तिवारी की सबसे अहम भूमिका रही, कलेक्टर, कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में सबसे उपर उनका नाम रखा है, उन्हें कार्रवाई की बजाए बिलासपुर के आरटीओ बना दिया गया। अभी वे बिलासपुर आरटीओ की कुर्सी पर जमे हुए हैं।

गजब का खेल

अरपा-भैंसाझार नहर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में पटवारी मुकेश साहू, कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंदरूप तिवारी के अलावा राजस्व अमला और जल संसाधन विभाग के अफसरों ने गजब का खेल किया है। एनपीजी के पास उपलब्ध दस्तावेजों में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे पढ़कर आप भी हैरान रह जाएंगे। पटवारी मुकेश साहू ने नहर के एलाइमेंट को ही कागजों में बदल दिया। नहर को 200 मीटर आगे खिसका दिया और व्यवसायी मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल की बंजर जमीन से नहर निकलना बताते हुए 3 करोड़ 42 लाख रुपए का खेला कर दिया है।

मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल की जिस जमीन पर नहर निर्माण होना बताया जा रहा है वह नहर से तकरीबन 200 मीटर दूर है। नहर का एलाइमेंट बदलकर 200 मीटर पहले बने नहर को कागजों में 200 मीटर दूर बता दिया और मनोज अग्रवाल के स्वामित्व वाली जमीन खसरा नंबर 1/4, 1/6 की कुल 29 डिसमिल जमीन का पहले अधिग्रहण किया और फिर मुआवजा प्रकरण बनाकर 3 करोड़ 42 लख रुपए का भुगतान कर दिया। जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए बंजर जमीन को पटवारी ने दोफसली बता दिया। झोपड़ी को कागज में मकान बना दिया।

किसान भटक रहे, व्यापारी को मुआवजा मिल गया

राजस्व अधिकारी और सिंचाई अधिकारियों ने एक व्यापारी से मिलकर और खेल किया। जिन किसानों की जमीन नहर निर्माण की जद में आई और वर्तमान में नहर बन गया है उन किसानों को आजतलक मुआवजा नहीं मिल पाया है। ये किसान आज भी मुआवजा के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। अशोक कुमार संतोष कुमार की खसरा नंबर 4/1, 4/2 की 12 डिसमिल जमीन और तुलसीराम व अन्य किसानों की 17 डिसमिल जमीन का भुगतान नहीं किया गया।

बगैर प्रकाशन कर दिया भुगतान

मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल की जिस 29 डिसमील जमीन का मुआवजा देने के लिए नहर का एलाइमेंट बदला गया है, उस जमीन का अधिग्रहण के लिए शासन स्तर पर राजपत्र में प्रकाशन भी नहीं हुआ है। राजस्व अमले और अफसरों ने एक मनोज अग्रवाल नाम के व्यापारी को फायदा पहुंचाने के लिए कागजों में पूरा खेल कर दिया और सरकारी खजाने को चूना लगा दिया।

कलेक्टर की जांच में ये दोषी

जांच में दो तत्कालीन एसडीएम समेत पांच राजस्व कर्मी दोषी पाए गए।

1. तत्कालीन एसडीएम कोटा आनंदस्वरुप तिवारी।

2. तत्कालीन एसडीएम कोटा कीर्तिमान सिंह राठौर।

3. नायब तहसीलदार मोहरसाय सिदार।

4. आरआई हुल सिंह।

5. पटवारी दिलशाद अहमद।

6. पटवारी मुकेश साहू सकरी।

सिंचाई विभाग के पांच अधिकारियों की इस केस में भूमिका रही। इन्हें भी जांच में दोषी पाया गया।

1. तत्कालीन ईई कोटा आरएस नायडू।

2. ईई कोटा एके तिवारी।

3. तत्कालीन एसडीओ कोटा राजेंद्र प्रसाद मिश्रा।

4. तत्कालीन एसडीओ तखतपुर आरपी द्विवेदी।

5. सब इंजीनियर तखतपुर आरके राजपूत।

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