Bilaspur High Court: हाई कोर्ट का फैसला: तलाक के बाद भी पति-पत्नी एक छत के नीचे रहेंगे, पढ़िए हाई कोर्ट ने किस तरह दी व्यवस्था...

Bilaspur High Court: फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनाैती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट ने अपना ऐतहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले को पति-पत्नी ने भी स्वीकार कर लिया है। हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने पति-पत्नी को तलाक की सशर्त मंजूरी दी है। दोनों एक ही छत के नीचे रहेंगे। पत्नी पत्नी फर्स्ट फ्लोर पर तो पति ग्राउंड फ्लोर पर रहेंगे। पढ़िए हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा है।

Update: 2025-05-14 10:37 GMT

Bilaspur High Court

Bilaspur High Court: बिलासपुर। परिवार न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच में हुई। पत्नी ने परिवार न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट की पहल पर कोर्ट के फैसले के पहले ही दोनों ने मध्यस्थता के माध्यम से विवाद को सुलझा लिया। इसके लिए दोनों के बीच लिखित सहमति भी बनी। अनुबंध की शर्तें भी तय की गई। शर्त तय करने के बाद एक कानूनी अमलीजामा पहनाते हुए एग्रीमेंट किया गया। अनुबंध पत्र में पति पत्नी के अलावा दोनों की ओर से समझौते के दौरान उपस्थित गवाहों ने अपने हस्ताक्षर भी किए।

अनुबंध पत्र को हाई कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। चूंकि यह सब कवायद डिवीजन बेंच की पहल पर ही की जा रही थी,लिहाजा कोर्ट ने याचिकाकर्ता पत्नी और पति को सशर्त तलाक की अनुमति दी। कोर्ट ने उन शर्तों का गंभीरता के साथ पालन करने कहा है जो अनुबंध के दौरान लिखे गए हैं। पति पत्नी ने इस पर अपनी सहमति दे दी है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है ऐसा सिर्फ इसलिए कि विवाह जैसे पवित्र बंधन मेे एकता व स्वायत्ता बनी रहे।

क्या है मामला

दुर्ग के परिवार न्यायालय में महिला ने कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अपने निर्णय पर विचार करने की मांग की थी। परिवार न्यायालय ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक की डिक्री को स्वीकार करते हुए विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी थी। कोर्ट ने आवेदन को खारिज कर दिया था। परिवार न्यायालय के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट में अपील लंबित रहने के दौरान पति-पत्नी ने आपसी सहमति से विवाद सुलझा लिया।

ये सब है अनुबंध पत्र में

भिलाई शहर की एक कॉलोनी में दोनों रहेंगे। पत्नी फर्स्ट फ्लोर और पति ग्राउंड फ्लोर पर रहेंगे। बिजली और पानी बिल के अलावा मेंटनेंस की राशि का दोनों बराबर-बराबर भुगतान करेंगे।

बैंक बैलेंस, पेंशन, सैलेरी और व्यक्तिगत इनकम से अपना खर्च चलाएंगे। दोनों अपनी संपत्ति का हिसाब रखेंगे। बिना अनुमति एक दूसरे की संपत्ति पर हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

अपनी मर्जी के हिसाब से यात्रा व आना जाना करेंगे। एक दूसरे के रिश्तेदार के यहां जाने के लिए एक दूसरे को बाध्य नहीं करेंगे। आपसी सहमति बनती है तो साथ-साथ आना जाना कर सकेंगे।

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