Bilaspur High Court: सोना बनी छत्तीसगढ़ के50 हजार शिक्षकों का रोल मॉडल: हाई कोर्ट में क्रमोन्नति के लग गए 125 केस, हुआ ये आदेश

Bilaspur High Court सोना साहू छत्तीसगढ़ के उन 50 हजार शिक्षकों के लिए रोल माडल बन गई है जिनकी नौकरी 10 साल की पूरी हो गई है और क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ नहीं मिल पा रहा है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने सोना साहू को क्रमोन्नित वेतनमान का लाभ देने राज्य शासन को निर्देश जारी कर दिया है। इसके बाद 125 से ज्यादा शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाई कोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर कर दी है। इसी तरह के एक मामले में हाई कोर्ट के सिंगल बेंच का आदेश आया है। पढ़िए हाई कोर्ट ने अपने आदेश में राज्य शासन से क्या कहा है।

Update: 2024-10-02 14:19 GMT

Bilaspur High Court बिलासपुर। सोना साहू छत्तीसगढ़ के उन 50 हजार शिक्षकों के लिए रोल माडल बन गई है जिनकी नौकरी 10 साल की पूरी हो गई है और क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे 10 शिक्षकों की याचिका पर हाई कोर्ट का फैसला आया है। डिवीजन बेंच के फैसले की तरह सिंगल बेंच ने भी अपना फैसला सुनाया है।

बिलासपुर जिले के अंतर्गत तहसील मस्तूरी विकासखंड मस्तूरी के विभिन्न गांव में रहने वाले दिलीप भूषण कुर्रे ,बसंत कुमार जायसवाल, चमेली कुर्रे, संतोष कुमार साहू ,विकास कुमार निर्णेजक सुरेंद्र कुमार डहरिया, प्रेमलाल राय ,शांतनु कुमार भार्गव,दीशपाल सिंह ने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। दायर याचिका में कहा है कि विकासखंड मस्तूरी के अंतर्गत विभिन्न स्कूलों में सहायक शिक्षक तथा प्रधान पाठक के पद पर कार्यरत हैं। याचिका के अनुसार एक ही पद पर कार्य करते हुए 10 वर्ष की सेवावधि पूरी कर ली है। इसके बाद भी शासन के नियमानुसार क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा है। याचिकाकर्ता शिक्षकों ने राज्य शासन द्वारा बनाए गए नियमों व मापदंड के अनुसार क्रमोन्नति वेतनमान की गुहार लगाई है।

सोना साहू बनी रोल माडल

याचिकाकर्ता शिक्षकों ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा शिक्षिका सोना साहू के प्रकरण में जारी आदेश को न्याय दृष्टांत के रूप में कोर्ट के समक्ष पेश किया है। बता दें कि कांकेर की शिक्षिका सोना साहू की याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 28. फरवरी.2024 को आदेश जारी कर शासन द्वारा जारी 10.मार्च .2017 के सरकुलर के अनुसार क्रमोन्नित वेतनमान का लाभ देने राज्य शासन को निर्देशित किया था। हाई कोर्ट के इसी फैसले को आधार बनाकर याचिकाकर्ता शिक्षिकों ने 10 वर्ष की सेवा पूरी होने पर क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ की मांग की है। याचिकाकर्ता शिक्षकों ने प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा का गणना करते हुए क्रमोन्नति वेतनमान का संपूर्ण एरियर्स की राशि 18 फीसदी ब्याज के साथ 30 दिन के भीतर भुगतान की मांग की है।

हाई कोर्ट ने क्रमोन्नति वेतनमान के भुगतान के लिए शासन को दिया चार महीने का समय

मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग व जिला शिक्षाधिकारी बिलासपुर को नोटिस जारी कर हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच के फैसले और राज्य शासन के तय मापदंडों के अनुसार याचिकाकर्ता शिक्षकों को चार महीने के भीतर क्रमोन्नति वेतनमान का भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इसके लिए राज्य शासन को चार महीने का समय दिया है।

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