Bilaspur High Court: सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य सिस्‍टम पर हाईकोर्ट की तल्‍खी: सीजे ने कहा- मशीनें सिर्फ रखने के लिए नहीं...

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य शासन से दो टूक कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश के अस्पतालों के लिए खरीदी गई लाखों की मशीन सिर्फ रखने के लिए ना हो। जरुरतमंदों की जांच की जाए और समय पर रिपोर्ट भी दी जाए। तभी इसकी सार्थकता है। राज्य शासन ने अपने जवाब में डिवीजन बेंच को बताया कि रीएजेंट की कमी दूर करने टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है

Update: 2024-11-25 14:14 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य शासन से दोटूक कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश के अस्पतालों के लिए खरीदी गई लाखों की मशीन सिर्फ रखने के लिए ना हो। जरुरतमंदों की जांच की जाए और समय पर रिपोर्ट भी दी जाए। तभी इसकी सार्थकता है। राज्य शासन ने अपने जवाब में डिवीजन बेंच को बताया कि रीएजेंट की कमी दूर करने टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर सहित बड़े सरकारी अस्पतालों में बीते कई महीनों से थायराइड, खून-पेशाब जैसी जरूरी जांच भी नहीं हो पा रही है। मरीजों को प्राइवेट लैब का सहारा लेना पड़ रहा है। इन अव्यवस्थाओं पर हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। जनहित याचिका में सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। राज्य शासन की तरफ से मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने व्यक्तिगत शपथपत्र पेश किया। उपमहाधिवक्ता यशवंत कुमार ठाकुर ने शासन का पक्ष रखते हुए कहा कि रीएजेंट की कमी दूर करने टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वहीं जिला अस्पताल में सेमी ऑटोमेटिक मशीन से जांच की जारी है और सिम्स में भी जांच शुरू हो गई है। इस मामले में हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग में खरीदी गई लाखों की मशीनें सिर्फ रखने के लिए नहीं होनी चाहिए। इससे जांच हो और नियमित समय पर रिपोर्ट मिले, इसकी व्यवस्था सरकार और स्वास्थ्य विभाग को करनी होगी। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नरों से भी जानकारी मांगी।

 कोर्ट कमिश्नरों ने सौंपी रिपोर्ट

कोर्ट कमिश्नरों ने डिवीजन बेंच के समक्ष रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि बायोकेमेस्ट्री मशीन और हार्मोन एनालाइजर मशीन के लिए रीजेंट की कमी है। ध्यान रहे कि सीजीएमसी ने 19 अप्रैल 2024 को शपथ पत्र में अस्पतालों में रीजेंट की डिमांड और सप्लाई की जानकारी दी थी। जिसमें बायोकेमेस्ट्री मशीन के लिए 122 की डिमांड में केवल 36 की सप्लाई की गई थी। हार्माेन एनालाइजर मशीन के लिए 57 में से 39 ही सप्लाई हो पाई थी। शासन के अधिवक्ता ने इस मामले में अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए इस मामले में निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को रखी गई है।

 थायराइड, खून-पेशाब जैसे जरूरी जांच भी नहीं हो पा रही

बीते दिनों बिलासपुर जिला अस्पताल में अव्यवस्था की बात सामने आई थी। हाई कोर्ट ने इस मसले पर संज्ञान लेकर सुनवाई प्रारंभ की। डिवीजन बेंच ने प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में जांच की सुविधा और अन्य सुविधाओं की पड़ताल के लिए कोर्ट कमिश्नरों की नियुक्ति कर जांच का निर्देश दिया था। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि जिला अस्पताल में थायराइड, खून-पेशाब जैसे जरूरी जांच भी नहीं हो पा रही है। इसके चलते मरीजों को प्राइवेट लैब का सहारा लेना पड़ रहा है।

कोर्ट कमिश्नरों ने इस बात की भी जानकारी दी थी कि कुल आठ मशीनों में से चार बंद हैं तो चार से जांच हो रही है। कोर्ट ने लैब में स्थापित मशीनों का नाम एवं वर्ष, पिछले दो वर्षों में रीजेंट कब-कब प्राप्त हुआ, कुल जांच की संख्या और किन-किन मशीनों का रीजेंट समाप्त हो चुका है, उसका मांग पत्र कब भेजा गया है अथवा नहीं एवं रीजेंट की उपलब्धता की वर्तमान स्थिति पर जवाब मांगा था। गौरतलब है कि जिला अस्पताल के मातृ एवं शिशु अस्पताल में प्रतिदिन 60 से 70 मरीज आते हैं।

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