Bilaspur High Court: पटवारी का खेल: दान की जमीन छह लाख में बेच दी, मामला हाई कोर्ट भी पहुंचा

Bilaspur High Court: मंशाराम ने ना जमीन खरीदी और ना ही किसी ने उसको बेची, इसके बाद भी पांच एकड़ जमीन उसके गोद में आ गिरी। हुआ ऐसा कि पटवारी ने छह लाख रुपये लेकर दान की पांच एकड़ बेशकीमती जमीन की मंशाराम के नाम पर ऋण पुस्तिका बना दिया। पटवारी ने पैसे लेते वक्त सबको हिस्सा देने की बात भी कही। छह लाा रुपये में मस्तूरी एसडीएम से लेकर तहसीलदार का हिस्सा भी गिनाया। अचरज की बात ये कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में इस जमीन का पंजीयन कर समर्थन मूल्य पर धान भी बेचते रहा।

Update: 2024-10-04 12:14 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। न्यायधानी में जमीन के नाम पर जिस तरह बीते तीन दशक से खेला चल रहा है,उससे भी कहीं ज्यादा फर्जीवाड़ा मौजूदा केस में है। बिलासपुर के साव परिवार ने अपने स्व पिता की स्मृति में मस्तूरी में प्रसूति गृह बनाने के लिए सरकार को साढ़े पांच एकड़ बेशकीमती जमीन दान में दी थी। पांच एकड़ को पटवारी ने गांव के एक ग्रामीण को छह लाख रुपये में बेच दिया। इस पूरे खेल में पटवारी भूमाफिया की माफिक काम करते नजर आए। छह लाख रुपये और दान की पांच एकड़ जमीन को गांव के मंशाराम के नाम पर राजस्व दस्तावेज में चढ़ा दिया। जमीन की ऋण पुस्तिका भी बना दी। ऋण पुस्तिका के जरिए मंशाराम समर्थन मूल्य पर धान भी बेचता रहा है।

25 सालों से गुपचुप चल रहे इस खेल का भांडा सन् 2021-22 में फूटा। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में जब समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए मंशाराम ने अपने जमीन का पंजीयन कराने गया और बैंक के अधिकारियों ने राजस्व रिकार्ड से मिलान किया तब पता चला कि जिस जमीन का मंशाराम धान बेचने के लिए पंजीयन करा रहा है वह तो राजस्व दस्तावेजों में शासकीय जमीन के रूप में दर्ज हो गया है। बैंक के खुलासे के बाद मंशाराम ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका कर पांच एकड़ जमीन को अपने नाम पर दर्ज कराने की मांग की। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पांच महीने के भीतर याचिकाकर्ता के प्रकरण का निराकरण करे का निर्देश बिलासपुर कलेक्टर को दिया। हाई कोर्ट के आदेश के मद्देनजर मंशाराम ने 06.07.2023 के परिपालन में मस्तूरी SDM के समक्ष अभ्यावेदन पेश किया। ग्राम भुरकुण्डा तहसील मस्तूरी, जिला-बिलासपुर में स्थित ख.नं. 423/2, 423/3, 423/4 रकबा क्रमशः 0.8090, 0.7280 व 0.4850 हेक्टेयर भूमि उसके नाम पर है जो शासकीय भूमि के रूप में दर्ज हो गई है। जिसे उसके नाम पर दर्ज की जाए। तहसीलदार पचपेड़ी ने राजस्व रिकार्ड के संबंध में हल्का पटवारी से प्रतिवेदन मांगा। पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में तहसीलदार को जानकारी दी कि वर्ष 1928-29 के मिसल में खसरा नंबर 423 रकबा 14.19 एकड. भूमि अयोध्या प्रसाद वगैरह के स्वामित्व में दर्ज पाया गया। पटवारी ने यह भी बताया कि अधिकार अभिलेख पंजी वर्ष 1954-55 में खसरा नंबर 423 रकबा 14.19 एकड़ भूमि मध्यप्रदेश शासन स्वास्थ्य विभाग के नाम पर दर्ज पाया गया।

 अमरनाथ साव ने अपने पिता गेंदराम साव के नाम पर किया है दान

पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अधिकार अभिलेख की प्रविष्टि के अनुसार तहसीलदार के राजरव प्रकरण कमांक 29/1-6/72-73 आदेश दिनांक 05. 07.1975 के अनुसार जूना बिलासपुर निवासी अमरनाथ साव ने अपने पिता गेंदराव साव की स्मृति में प्रसूति ग्रह निर्माण लिए दान में दिया है। दानपत्र 23.01.1960 रजिस्ट्री क्रमांक 4308 के अनुसार उक्त आदेश का विवरण अधिकार अभिलेख में दर्ज है और सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर भी है।

 पटवारी के रिपार्ट में चौंकाने वाला खुलासा

. खसरा पांचशाला वर्ष 1996-97 से 2001-02 तक में खसरा नंबर 423 रकबा 14.19 एकड़ भूमि मध्यप्रदेश सरकार के नाम पर दर्ज पाया गया।

. खसरा पांचशाला वर्ष 2006-07 से 2010-11 तक में छग सरकार स्वास्थ्य विभाग के नाम पर दर्ज पाया गया।

. खसरा पांचशाला वर्ष 2011-12 से 2015-16 में खसरा नंबर 423 छग सरकार स्वास्थ्य विभाग के नाम पर दर्ज पाया गया।

. बी 1 किश्तबंदी खतौनी वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2020-21 में वादभूमि शासकीय मद में दर्ज पाया गया।

08. बी 1 वर्ष 2013-14 में आवेदक मंशाराम पिता मोहना के नाम से खाताक्रमांक 531 एवं 532 में खसरा नंबर 423 दर्ज नहीं पाया गया।

. पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि वादभूमि मंशाराम की स्वअर्जित भूमि नहीं है और न ही किसी प्रकार से यह स्पष्ट है कि उक्त भूमि आवेदक के नाम पर कैसे दर्ज हुई है। जिससे आवेदक का आवेदन पत्र निराधार प्रतीत होने के कारण आवेदक का आवेदन पत्र खारिज किया जाता है।

मंशाराम ने पटवारी को छह लाख रुपये किया खुलासा

तहसीलदार के कोर्ट में दिए बयान में मंशाराम ने कहा है कि ख.नं. 423/2 423/3 423/4 रकबा कुल 5.00 एकड़ को पटवारी राजीव टोंडे को 6 लाख रूपये देकर अपने नाम से पर्ची बनवाया हूं।

. पटवारी पैसा लेने के बाद बोले कि छह लाख रुपये में तहसीलदार एवं एसडीएम साहब का भी हिस्सा है।इसके बाद भी जमीन तुम्हारे नाम पर दर्ज होगा। 6 लाख रूपये लेकर मेरे नाम से खसरा नंबर 423/2, 423/3 423/4 का पर्ची बनाकर दिया।

. मंशाराम ने अपने बयान में यह भी कहा कि वादभूमि ख.नं. 423/2 423/3 423/4 को न ही पट्टे से प्राप्त किया है, न ही किसी अन्य व्यक्ति या खातेदार से खरीदा है। न ही उसकी पैतृक भूमि है।

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