Bilaspur High Court: नपा अध्‍यक्ष की बर्खास्‍तगी के मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला: हाई कोर्ट ने दी समझाइश, कहा...

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्य सरकार को समझाइश देते हुए कहा कि मामूली अनियमितताओं के लिए जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कठोर शक्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे जनप्रतिनिधियों की छवि ना केवल खराब होती है वरन कलंक भी लगता है। पढ़िए हाई कोर्ट का आदेश जिसमें यह टिप्पणी की है।

Update: 2024-10-09 14:18 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मुंगेली नगर पालिका के अध्यक्ष की बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए अध्यक्ष की बर्खास्तगी आदेश को निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, मामूली अनियमितताओं के लिए राज्य सरकार को ऐसी शक्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

मुंगेली नगर पालिका परिषद में संतुलाल सोनकर वर्ष 2019-20 में अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। इस बीच महज एक साल के कार्यकाल के बाद नाली निर्माण के भुगतान के संबंध में अनियमितता में लिप्त होने का आरोप लगाकर कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। अपनी बर्खास्तगी आदेश को चुनौती देते हुए अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में बताया गया कि राज्य शासन ने अपने पद और अधिकारों का गलत प्रयोग करते हुए राजनीतिक दुर्भावना के चलते उसके खिलाफ कार्रवाई की है, जबकि शासन के पास उसे हटाने के लिए कोई मजबूत और ठोस कारण नहीं है। जिन आरोपों के चलते उन्हें हटाया गया है उसके लिए वो प्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार भी नहीं है।

मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ना सिर्फ बर्खास्तगी के आदेश को निरस्त किया है बल्कि शासन को इस तरह की मामूली अनियमितता के लिए ऐसी शक्ति का प्रयोग न करने कहा है। साथ ही यह भी कहा कि इस तरह से जनप्रतिनिधियों को बर्खास्त करने से उनकी छवि पर कलंक लगता है। कोर्ट ने कहा कि छत्तीसगढ़ म्यूनिस्पल्टी एक्ट 1961 की धारा 41 ए के तहत याचिकाकर्ता को नगर पालिका अध्यक्ष पद से हटाना गलत है।

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