Bilaspur High Court: क्रमोन्नत वेतनमान को लेकर राज्य शासन ने हाई कोर्ट में दिया जवाब, पढ़िए क्रमोन्नत वेतनमान मिलेगा या नहीं...
Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट में राज्य शासन ने शिक्षक एलबी की वरिष्ठता और क्रमोन्नत वेतनमान को लेकर विस्तृत जवाब पेश किया है। छत्तीसगढ़ सरकार के जवाब के बाद अब आगे क्या होगा। शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान मिलेगा या नहीं, वरिष्ठता को लेकर किए जा रहे दावों का क्या होगा।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। केदारनाथ सुनहरे शिक्षक एलबी की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पंचायत विभाग के आला अफसर को अवमानना नोटिस जारी किया था। अवमानना नोटिस के जवाब में पंचायत विभाग की ओर से शिक्षाकर्मियों के कैडर, स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियिन के बाद क्रमोन्नत वेतनमान और वरिष्ठता को लेकर शुरू हुए विवाद को लेकर कोर्ट के सामने विस्तार से अपनी बातें रखी है। पंचायत विभाग ने साफ कहा कि शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति पंचायत विभाग के द्वारा की गई थी। लिहाजा कैडर के साथ ही भर्ती नियम भी अलग था। शिक्षा विभाग में संविलियन के बाद वरिष्ठता की गिनती उसी दिन से होगी जिस दिन से संविलियिन हुआ है। राज्य शासन के जवाब और पूर्व के नियमों व शर्तों की जानकारी देने के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि सोना साहू के प्रकरण में जो कुछ हुआ वह यथावत रहेगा या फिर एक लाख से अधिक शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान का लाभ उसी अनुरुप मिलेगा या नहीं।
याचिकाकर्ता शिक्षक एलबी केदारनाथ सुनहरे ने प्रथम और द्वितीय क्रमोन्नति वेतनमान के अनुदान की मांग करते हुए रिट याचिका, दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रथम और द्वितीय क्रमोन्नति वेतनमान के अनुदान के संबंध में परिपत्र जारी किया है। याचिकाकर्ता ने सोना साहू के मामले में हाई कोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वे भी प्रथम और द्वितीय क्रमोन्नति वेतनमान के लाभ के हकदार है।
राज्य शासन ने कोर्ट को कुछ इस तरह दी जानकारी
हाई कोर्ट केआदेश के अनुपालन में याचिकाकर्ता के मामले की विधिवत जांच की गई। जांच करने पर पाया गया कि याचिकाकर्ता को शुरू में संबंधित जनपद पंचायत के सक्षम प्राधिकारी द्वारा शिक्षाकर्मी के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद, राज्य सरकार ने आठ साल की निरंतर सेवा पूरी कर चुके शिक्षाकर्मियों (पंचायत शिक्षकों) को विद्यालय में समाहित करने का नीतिगत निर्णय लिया। शिक्षा विभाग ने पात्र शिक्षाकर्मियों को स्कूल शिक्षा विभाग के नियमित संवर्ग में समाहित करने के लिए 30.जून 2018 को एक आधिकारिक आदेश जारी किया गया था। उक्त आदेश के अनुपालन में, याचिकाकर्ता की सेवाओं को 01.जुलाई 2018 से स्कूल शिक्षा विभाग में समाहित कर लिया गया।
01.जुलाई.2018 से पहले सेवा लाभ के नहीं है हकदार
राज्य शासन ने कहा कि 30.जून 2018 के अवशोषण आदेश के खंड 5 के अनुसार, याचिकाकर्ता सहित संविलियन शिक्षक, उनके संविलियन से पहले की अवधि के लिए स्कूल शिक्षा विभाग से वेतन या अन्य सेवा लाभों के किसी भी बकाया का दावा करने के हकदार नहीं थे, अर्थात, 01.जुलाई.2018 से पहले। याचिकाकर्ता ने इस शर्त पर कोई आपत्ति नहीं जताई और न ही उन्होंने पंचायत विभाग के अधीन बने रहने की इच्छा व्यक्त करते हुए कोई जवाब पेश किया। इसके विपरीत, उन्होंने संविलियन के नियमों और शर्तों को बिना शर्त स्वीकार कर लिया।लिहाजा वह स्कूल शिक्षा विभाग में औपचारिक रूप से शामिल होने से पहले की अवधि के लिए किसी भी बकाया या सेवा लाभ का दावा करने का हकदार नहीं है। राज्य सरकार ने 30.जून.2018 के आदेश की एक प्रति भी अपने जवाब के साथ पेश किया है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने 10.मार्च 2017 को जारी किया था आदेश
सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश के अनुसार सहायक अध्यापक क्रमशः 10 और 20 वर्ष की अर्हक सेवा पूरी करने पर प्रथम और द्वितीय क्रमोन्नत वेतनमान (समयबद्ध पदोन्नति वेतनमान) के लिए पात्र हो जाता है। याचिकाकर्ता के मामले पर विचार करते समय यह पाया गया है कि उसने 01.07.2018 को सहायक अध्यापक का दर्जा प्राप्त किया था, वह उस पद पर अपेक्षित 10 वर्ष की सेवा पूरी करने पर 30.06.2018 से प्रथम क्रमोन्नत वेतनमान के लिए पात्र हो जाएगा।
पंचायत विभाग का अलग कैडर
राज्य सरकार ने पंचायत द्वारा संचालित विद्यालयों में नियुक्त शिक्षाकर्मियों के लिए एक अलग कैडर का गठन किया था, जो स्कूल शिक्षा विभाग के नियमित सरकारी शिक्षकों से अलग संचालित होता था। उनकी नियुक्तियाँ, सेवा शर्तें और वेतन संरचनाएँ स्थानीय निकायों द्वारा विकेंद्रीकृत प्रशासन के तहत प्रबंधित की जाती थीं। 02.नवंबर.2011 के आदेश द्वारा, राज्य ने बिना पदोन्नति के 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले शिक्षाकर्मियों को क्रमोन्नत वेतनमान (उन्नत वेतनमान) का लाभ दिया। बाद में, समानता की बढ़ती माँगों के अनुरूप, राज्य ने 17.मई.2013 के आदेश के अनुसार शिक्षाकर्मियों को नियमित शिक्षकों के बराबर संशोधित वेतनमान प्रदान किया। परिणामस्वरूप, पहले का लाभ समाप्त हो गया।
क्रमोन्नत वेतनमान की नियुक्ति 01.मई 2013 से वापस ले ली गई थी। इसके अलावा, 01.मई .2012 को 7 वर्ष के बाद समयमान वेतन का लाभ दिया गया। अंततः, 30.जून.2018 के आदेश के अनुसार, 8 वर्ष की सेवा वाले शिक्षाकर्मियों को नियमित सरकारी सेवा में शामिल कर लिया गया। इस परिवर्तन को 2019 के नियमों के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया, जिसके तहत स्कूल शिक्षा विभाग के तहत सरकारी सेवाओं, वरिष्ठता, वेतन, पेंशन और पदोन्नति का पूरा लाभ दिया गया।
पंचायत विभाग ने अभ्यावेदन को कर दिया था अस्वीकृत
वर्तमान आवेदक का अभ्यावेदन भी पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया है। अस्वीकृति को एक तर्कपूर्ण आदेश के माध्यम से संप्रेषित किया गया था, जिसमें कहा गया था कि आवेदक क्रमोन्नत वेतनमान के लाभ का हकदार नहीं है, क्योंकि उसे स्कूल शिक्षा विभाग में केवल 1999 से ही समाहित किया गया था। 01.जुलाई.2018 को, और इसलिए, उनकी पात्रता स्कूल शिक्षा विभाग के तहत सहायक शिक्षकों के लिए लागू सेवा शर्तों के अनुसार शासित होगी।