Bilaspur High Court: हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर होते ही जारी कर दिया साढ़े तीन लाख का चेक
Bilaspur High Court:
Bilaspur High Court: बिलासपुर। समर्थन मूल्य पर धान बेचने के बाद बभूगतां के लिए एक किसान को 10 साल समिति के चक्कर काटने पड़े। हाई कोर्ट में गुहार लगाई। अवमानना याचिका दायर की। तब जाकर सेवा सहकारी समिति लोरमी ने किसान के नाम साढ़े तीन लाख का चेक जारी किया है।
समिति के अधिकारियों ने कोर्ट में इस तरह की जानकारी दी है। हाई कोर्ट ने किसान को छूट दी है कि चेक से भुगतान में किसी भी तरह की दिक्कत होने पर वह दोबारा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। धान बेचने के बाद भी सहकारी समिति ने किसान को भुगतान नहीं किया। 10 साल कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद ही उसे न्याय मिल सका। समिति ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद 3 लाख 45 हजार का चेक प्रदान किया।
सारधा, तहसील लोरमी, जिला मुंगेली निवासी तोपसिंह राठौर ने वर्ष 2014 में सेवा सहकारी समिति लोरमी में 525 बोरा धान तौल कराने जे बर्फ जमा किया था। इसके बाद भी कई साल तक इन्हें भुगतान के लिए भटकाया जाता रहा। दो अगस्त 2019 को उप पंजीयक सहकारी समिति मुंगेली ने पत्र द्वारा सेवा सहकारी समिति मर्यादित लोरमी के अध्यक्ष/प्रबंधक को मामले की जांच कर भुगतान करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी भुगतान नहीं किया गया। किसान तोपसिंह ने अधिवक्ता शाल्विक तिवारी के जरिये हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की सिंगल बेंच में हुई।
कोर्ट ने सेवा सहकारी समिति लोरमी को निर्देशित किया कि कोर्ट का आदेश प्राप्त होने की तिथि से 15 दिनों के भीतर बोनस के साथ वर्ष 2014 में निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य के अनुसार याचिकाकर्ता किसान को भुगतान करें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि निर्धारित अवधि बीतन जाने के बाद समिति ने भुगतान नहीं किया तो याचिकाकर्ता किसान दोबारा अपने अधिवक्ता के जरिये अवमाना याचिका पेश कर सकता है।
किसान ने दायर की अवमानना याचिका
कोर्ट के आदेश के बाद भी जब अधिकारियों ने भुगतान नहीं किया तब किसान ने न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए अपने अधिवक्ता के माध्यम से अवमानना याचिका दायर की। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में हुई।
सुनवाई के दौरान समिति के अधिकारी ने बताया कि याचिकाकर्ता किसान को 3 लाख 45 हजार 500 रूपये भुगतान किया जा चुका है। कोर्ट ने किसान को एक बार फिर राहत देते हुए कहा कि चेक से भुगतान करा लें। चेक बाउंस होने या भुगतान में किसी तरह की दिक्कत होने पर किसान दोबारा कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है।