Bilaspur High Court: हत्या के आरोपियों की अपील खारिज: हाई कोर्ट ने कहा-परिस्थितिजन्य साक्ष्य मजबूत है तो आरोपी को सुनाई जा सकती है सजा

Bilaspur High Court: परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर निचली अदालत ने हत्या के आरोपियों को सुनाया था आजीवन कारावास की सजा,निचली अदालत के फैसले को आरोपियों ने हाई कोर्ट में दी थी चुनौती,अपील को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को ठहराया सही। याचिकाकर्ता आरोपियों को भुगतनी पड़ेगी आजीवन कारावास की सजा। मामला बस्तर के एक गांव का है।

Update: 2024-08-27 05:55 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य की श्रृंखला अगर मजबूत है तो यह आरोप तय करने के लिए पर्याप्त कारण बनता है। निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए हत्या के आराेपियों की अपील को खारिज कर दिया है। निचली अदालत ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी।

मामला बस्तर जिले के एक गांव का है। घटना 25 जून, 2020 की है। जमीन विवाद को लेकर आरोपी सोमडू वेत्ती, फरार भतीजा तुलाराम वेत्ती और मृतक सुखो वेत्ती में विवाद हुआ। शुरुआती विवाद के दौरान तीनों के बीच गाली-गलौज और मामूली मारपीट हुई। बीच-बचाव व समझाइश के बाद विवाद शांत हो गया और तीनों अपने घर चले गए। रात में मामूली विवाद ने घातक रूप ले लिया। सोमड़ू और उसके भतीजे तुलाराम ने योजनाबद्ध तरीके से हत्या कर दी। तुलाराम ने सुखो का पैर दबाया और सोमड़ू ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। सुखो की मौत के बाद साक्ष्य छिपाने की गरज से शव को मामडपाल पुजारी पारा नहर के पास दफना दिया। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। याचिकाकर्ताओं कीओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता एके शुक्ल ने कहा कि मामला केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। हत्या के इस मामले में याचिकाकर्ता सोमडू वेत्ती को अपराध से जोड़ने के लिए कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है। गवाहों के बयान काे लेकर भी अधिवक्ता ने कोर्ट के सामने तर्क पेश किया। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने कहा कि अभियोजन पक्ष के सबूत,जिसमें आरोपी का स्वीकारोक्ति, हथियार (खुरपा) की बरामदगी और ग्रामीणों के बयान शामिल हैं। यह ऐसा साक्ष्य है जिससे आरोपियों द्वारा अपराध करने को स्पष्ट करता है। यह दोषसिद्धी के लिए पर्याप्त साक्ष्य है। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए विधि अधिकारी ने कहा कि निचली अदालत का फैसला सही है। इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में यह लिखा

हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में साक्ष्यों की गहन समीक्षा करते हुए परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित मामलों के लिए स्थापित कानूनी सिद्धांतों पर जोर दिया। न्यायालय ने सी. चेंगा रेड्डी बनाम आंध्र प्रदेश और शरद बिर्धीचंद सरडा बनाम महाराष्ट्र के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित दोषसिद्धि के लिए घटनाओं की श्रृंखला इतनी मजबूत होनी चाहिए कि यह केवल आरोपी की दोषसिद्धि की ओर ही इशारा करे। इस टिप्पणी के साथ निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए अपील को खारिज कर दिया है।

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