Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट को अहम फैसलाः नौकरी का विज्ञापन निकालने के बाद शर्तों में चेंज नहीं किया जा सकता

Update: 2023-02-27 13:46 GMT

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Bilaspur High Court: बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट के डबल बेंच ने अहम फैसले में कहा कि भर्ती के लिए एक बार विज्ञापन प्रकाशित होने के बाद शर्तों को नहीं बदला जा सकता। हाई कोर्ट के डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखा। तथा स्व. लखीराम अग्रवाल मेडिकल कॉलेज की रिट को खारिज कर दी।

बता दें, स्व0 लखीराम अग्रवाल स्मृति मेडिकल कालेज में वार्ड बॉय के 42 पदों के लिए 19 सितंबर 2017 को विज्ञापन जारी किया गया था। जिसके अनुसार विज्ञापित पदों पर चयन हेतु प्रवीण्य सूची लिखित परीक्षा के प्राप्तांक के आधार पर तैयार की जायेगी। याचिकाकर्ता मनराज तम्बोली ने अधिवकक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से एकलपीठ के समक्ष रिट याचिका पेष कर बताया कि अन्य पिछड़ा वर्ग से आवेदन किया एवं लिखित परीक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग से तीसरा स्थान प्राप्त किया लिखित परीक्षा का परिणाम 22 जनवरी 2018 को घोषित किया गया एवं दो दिनों बाद 24 जनवरी 2018 को चयन समिति ने निर्णय लिया कि वार्ड बॉय का पद तकनीकी प्रकार का है, इसलिये कौषल परीक्षा भी लिया जाना जरूरी है।

उक्त निर्णय को याचिकाकर्ता मनराज तंबोली ने चयन समिति के समक्ष आपत्ति किया कि विज्ञापन के अनुसार लिखित परीक्षा के अनुसार ही चयन होना था और लिखित परीक्षा में सभी प्रकार प्रश्न पूछे गये थे एवं परिणाम घेषित होने के बाद कौशल परीक्षा नहीं लिया जा सकता। किंतु आपत्ति को दरकिनार करते हुए कौशल परीक्षा लिया गया। कौषल परीक्षा की मेरिट सूची घोषित कर दावा आपत्ति मंगाया गया, जिसे मनराज तंबोली ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दिया और बताया कि एक बार विज्ञापन जारी होने के बाद चयन प्रक्रिया के दौरान विज्ञापन के शर्तो में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। जिस पर प्रतिवादीगण की ओर से कहा गया कि यह चयन समिति का विशेष अधिकार है एवं याचिकाकर्ता ने कौशल परीक्षा में भाग लिया है इस कारण वह और अब चुनौती नहीं दे सकता। इस पर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी0सेम कोशी ने निर्णय दिया कि याचिकाकर्ता ने कौशल परीक्षा के लिए शुरू में ही अपनी आपत्ति दर्ज करा दी थी। इस कारण वह याचिका प्रस्तुत कर सकता है क्योंकि उसके आपत्ति पर कोई निर्णय ही नहीं लिया गया है। चयन प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद उसे परिणाम घोषित होने के बाद विज्ञापन की शर्तो में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। भर्ती नियम में चयन समिति को इस प्रकार का कोई अधिकार नहीं दिया गया है एवं न ही न्यायालय के समक्ष ऐसा कोई अधिकार का प्रावधान शासन की ओर से बताया गया है। इस कारण कौशल परीक्षा लेने का निर्णय गलत है। परीक्षा लेने के निर्णय को निरस्त किया जाता है एवं प्रतिवादीगणों को निर्देशित किया जाता है कि वह लिखित परीक्षा के प्राप्तांको के आधार पर चयन प्रक्रिया पूर्ण करें।

चयनित अभ्यर्थियों ने एकल पीठ के आदेश को युगलपीठ के समक्ष चुनौती दी प्रारंभिक सुनवाई के समय युगलपीठ ने एकलपीठ के आदेश का रोक लगा दी थी एवं सभी पक्षों को नोटिस जारी किया था। प्रकरण की अंतिम सुनवाई के बाद युगलपीठ ने एकलपीठ के आदेश की पुष्टि करते हुए निर्णित किया कि विज्ञापन के शर्तो में गलत तरीके से परिवर्तन किया गया है एवं विज्ञापन के विरूद्व कौशल परीक्षा लिया गया है। इस कारण याचिकाकर्ता मनराज तंबोली एवं अन्य गलत तरीके से चयन से वंचित हो गये। इस कारण लिखित परीक्षा के आधार पर चयन प्रक्रिया पूर्ण करने के एकलपीठ के आदेश की पुष्टि करते हुए अपील निरस्त की जाती है।

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