Bilaspur High Court: बिलासपुर में 242 पेड़ काटने का मामला: चीफ जस्टिस ने रेलवे अफसरों को दी कड़ी हिदायत

Bilaspur High Court: वंदे भारत ट्रेनों के मेंटेनेंस के लिए डिपो निर्माण हेतु 242 हरे– भरे वृक्षों को रेलवे द्वारा काटने के संदर्भ में मीडिया में खबर प्रकाशित हुई थी। खबर के आधार पर इसे हाई कोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई शुरू की थी। आज हुई सुनवाई में रेलवे का पक्ष जानने के पश्चात याचिका निराकृत कर दी गई। डिवीजन बेंच ने SECR के अफसरों से कहा है कि भविष्य में पेड़ों की कटाई से पहले पर्यावरण व जनहित को भी ध्यान में रखना होगा।

Update: 2024-11-27 12:19 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। वंदे भारत ट्रेनों के मेंटेनेंस के लिए डिपो निर्माण हेतु 242 हरे– भरे वृक्षों को रेलवे द्वारा काटने के संदर्भ में मीडिया में खबर प्रकाशित हुई थी। खबर के आधार पर इसे हाई कोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई शुरू की थी। आज हुई सुनवाई में रेलवे का पक्ष जानने के पश्चात याचिका निराकृत कर दी गई। डिवीजन बेंच ने SECR के अफसरों से कहा है कि भविष्य में पेड़ों की कटाई से पहले पर्यावरण व जनहित को भी ध्यान में रखना होगा।

बुधवार को जनहित याचिका की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की ओर से डिवीजन बेंच के समक्ष पैरवी करते हुए डिप्टी सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कहा कि 25 नवंबर 2024 को इस संबंध में शपथ पत्र के साथ जवाब पेश किया गया था। जवाब में रेलवे की ओर से कोर्ट को जानकारी दी थी कि पेड़ों की कटाई से पहले रेलवे ने वन विभाग को पत्र लिखकर अनुमति मांगी थी। पेड़ों की कटाई से पहले रेलवे ने विशेषज्ञों से भी सलाह ली थी। वानिकी व वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ नेहा बंसोड़ से 8 जुलाई 2024 को रिपोर्ट मांगी गई और 15 जुलाई 2024 को उन्होंने रिपोर्ट सौंपी है। इसके पहले डीएफओ को पत्र लिखकर पेड़ कटाई की अनुमति मांगी गई थी। दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि भविष्य में निर्माण कार्य के संबंध में रेलवे को अगर पेड़ों की कटाई करनी पड़ी तो सावधानी बरती जाएगी। जनहित के साथ ही पर्यावरण संतुलन का ध्यान रखना होगा। इस टिप्पणी और जरुरी हिदायतों के साथ डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका को निराकृत कर दिया है।

 क्या है मामला, क्यों नाराज हुआ था हाई कोर्ट

वंदे भारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए एसईसीएल के अफसरों ने 242 पेड़ों की कटाई कर दी थी। इस संबंध में मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी कि रेलवे के अफसरों ने पेड़ों की कटाई से पहले वन विभाग से अनुमति नहीं ली है। रेलवे के अफसरों ने पर्यावरण संतुलन का भी ध्यान नहीं रखा है। मीडिया रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस ने इसे पीआईएल के रूप में रजिस्टर्ड करने और सुनवाई का निर्देश दिया था। डिवीजन बेंच ने रेल अफसरों के साथ ही केंद्र सरकार व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा था।

रेलवे ने अपने जवाब में कोर्ट को बताया कि 06 जुलाई 2023 को जरुरी संशोधन किया गया है। पेड़ों की कटाई के नियम, 2022 के नियम 5 के तहत केंद्र व राज्य सरकार के परियोजना एल योजना, आवंटी विभाग/निकाय/संस्था पर स्थित वृक्षों को काट सकता है।

 वन विभाग ने बताया, अनुमति के लिए आवेदन लगाया और कर दी पेड़ों की कटाई

वन विभाग ने डिवीजन बेंच को बताया था कि रेलवे ने 242 पेड़ों की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन वन विभाग से अनुमति मिलने से पहले ही पेड़ों की कटाई कर दी गई। वनविभाग ने बताया 116 पेड़ काटे गए, 54 विस्थापित किए गए और 72 मौजूद मिले। जिसमें बबूल, मुनगा और अन्य प्रजाति के पेड़ काटे गए हैं।

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