Bilaspur High Court: 35 की उम्र में 6 साल की बच्ची से किया रेप, अब 59 साल की उम्र में जाना होगा.....
Bilaspur High Court: युवावस्था में 6 साल की मासूम से दरिंदगी करने वाले आरोपी को अब 59 साल की उम्र में काटनी होगी सजा। ऐसा इसलिए कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का फैसला 24 साल बाद आया है। कोर्ट ने आरोपी को 3 साल 6 महीने की सजा सुनाई है। आरोपी जमानत पर है। हाई कोर्ट ने आरोपी को 28 दिनों के भीतर सरेंडर करने का आदेश दिया है। आरोपी को जेल भेजने के बाद पुलिस के आला अफसर को हाई कोर्ट में इसकी जानकारी भी देनी होगी।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 6 साल की बच्ची के साथ रेप की कोशिश करने वाले आरोपी की अपील को खारिज करते हुए तीन साल 6 महीने की सजा सुनाई है। 24 साल पहले आरोपी 35 साल का था। अब उसकी उम्र 59 साल है। बीते 10 महीने 6 दिन से आरोपी जेल में बंद है। जेल से ही उसने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने आरोपी को 28 दिनों के भीतर सरेंडर करने का आदेश दिया है।कोर्ट ने पुलिस को यह भी कहा कि आरोपी नियत तिथि तक सरंडर नहीं करता है तो गिरफ्तार कर जेल दाखिल कर कोर्ट को इस बात की जानकारी भी दें। इस मामले में
24 साल बाद कोर्ट का फ़ैसला आया है।
दुर्ग जिले के 35 वर्षीय आरोपी अगस्त 2001 को खेल रही 6 साल की मासूम बच्ची को अपने घर ले गया। बेड रूम में ले जाकर उसके कपड़े उतार कर दुष्कर्म का प्रयास किया। बच्ची रोते हुए उसके घर से बाहर आई। बच्ची की मां ने रोने का कारण पूछा तो बच्ची ने रोते हुए घटना के बारे में जानकारी दी। मां ने पुलिस थाने में घटना की रिपोर्ट लिखाई। पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल एवं आवश्यक कार्रवाई के बाद आरोपी को धारा 376, 511 के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया। कोर्ट ने पीड़िता के अलावा गवाहों के बयान सहित 9 गवाहों का प्रतिपरीक्षण भी कराया। इसके बाद कोर्ट ने आरोपी को 2002 में तीन वर्ष 6 माह कैद एवं 500 रूपये अर्थदंड की सुनाई।
निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में दी थी चुनौती
जिला एवं सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए आरोपी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में अपील की थी। हाई कोर्ट में अपील लंबित रहने के दौरान आरोपी को जमानत मिल गई थी। अपील पर हाई कोर्ट में अगस्त 2024 में अंतिम सुनवाई हुई। अपीलकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार नहीं होना पाया गया है। सिर्फ प्रयास किया गया है। मामला 354 का बनता है। आरोपी ने युवावस्था में अपराध किया था। वर्तमान में बुजुर्ग एवं दिव्यांग है। परिवारिक जिम्मेदारी भी है। इस कारण से जेल में बिताए हुए 10 माह 6 दिन की सजा को पर्याप्त मानते हुए रिहाई की अपील की थी।
ला अफसरों ने कड़ी सजा देने की पैरवी
राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने अपीलकर्ता के अधिवक्ता द्वारा किये गए जिरह और रिहाई की मांग का विरोध किया। कहा कि 6 साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया गया है। इस कारण मामले में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
28 दिन के भीतर करना होगा सरेंडर
मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए कहा है कि मासूम के बयान से अपराध सिद्ध होना पाया गया है। पीड़िता के अलावा अन्य गवाहों ने भी अपराध की पुष्टि की है। कोर्ट ने अपीलकर्ता को 4 सप्ताह के भीतर सरेंडर करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश जारी किया है कि तय समय सीमा में सरेंडर नहीं करने पर उसे गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर जेल भेजने की प्रक्रिया पूरी करने के बाद सूचना दे।
तब लागू नहीं हुआ था पॉक्सो एक्ट
आरोपी के बुजुर्ग व दिव्यांग होने के आधार पर सजा में छूट दिए जाने की गुहार पर कोर्ट ने कहा कि पाक्सो एक्ट लागू होने के बाद यदि अपराध होता तो इसमें आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। घटना के समय धारा 375 लागू था। कोर्ट ने धारा 376 एवं 511 में सजा सुनाई है। इस कारण से सत्र न्यायालय के आदेश में कोई त्रुटि नहीं हुई है। इसके साथ कोर्ट ने सजा में छूट देने से इनकार कर दिया है।