…इस रिटायर्ड IPS अधिकारियों का करोड़ों के बंगलों पर कब्ज़ा…खाली कराने में BIC के छूट रहे पसीने !

Update: 2020-02-20 12:20 GMT

कानपुर 20 फरवरी 2020 . कपड़ा मंत्रालय की करोड़ों की जमीनों पर रिटायर्ड आईपीएस अधिकारियों का कब्जा है. जिनको खाली कराने में बीआईसी को पसीने छूट रहे हैं. हालांकि बीआईसी ने अवैध रूप से कब्ज़ा किए इन रसूखदारों को नोटिस भेज रहा है व कुछ बंगले खाली कराने में उसे कामयाबी भी मिली है. आरोप है कि रिटायरमेंट के बाद भी अपनी ठसक के चलते अधिकारी बंगले खाली नहीं कर रहे हैं. वहीं घाटे में चल रहे कपड़ा मंत्रालय की मंशा इस संपत्ति को बेच कर ऋण चुकाने की है लेकिन उससे पहले इन अवैध कब्जेदारों को निकालना बड़ी चुनौती है.

22 सालों से काबिज हैं अवैध कब्जेदार
दरअसल कानपुर की वीआईपी रोड पर ब्रिटिश इंडिया कार्पोरेशन के बड़ी संख्या में बंगले हैं और इन अधिकतर बंगलों पर अधिकारियों का कब्जा है. रिपोर्ट के मुताबिक बीआईसी के अधिकारी पिछले 22 सालों से इन बंगलों को अवैध कब्जेदारों से खाली नहीं करा पा रहे हैं. वर्तमान में इन बंगलों की कीमत 55 करोड़ से अधिक बताई जा रही है. यहां के कुछ बंगलों पर तो अधिकारी ताला डाले हुए हैं तो कुछ पर अभी भी काबिज हैं. इनमें से एक बंगले को जिसमें शहर में सीओ व एसपी ट्रैफिक रहे आईपीएस सुशील सक्सेना ने कब्जा कर रखा था उसको खाली करा लिया गया है. मगर उनके अलावा और जो कब्जेदार हैं वह कब्जा नहीं छोड़ रहे हैं.

वर्तमान में कपड़ा मंत्रालय के अधीन इन बंगलों को खाली कराने के कपड़ा मंत्रालय के निर्देश पर बीआईसी के अधिकारी इन बंगलों को खाली कराने के लिये जद्दोजहद कर रहे हैं मगर वह बंगले को खाली नहीं करा पा रहे हैं. बीआईसी के स्टेट आफिसर एमके वर्मा बताते हैं कि 2006 से 2011 तक चीफ विजलेंस आफिसर के पद पर तैनात रहे आर अवस्थी अभी भी बंगले पर कब्जा किये हुए हैं वहीं असम कैडर के आईपीएस अधिकारी नोटिसों के बाद भी बंगला खाली नहीं कर रहे हैं. कई बार नोटिस भेजी जा चुकी है. दरअसल कपड़ा मंत्रालय अपनी सम्पत्तियों को खाली कराना चाहता है. ताकि उनको बेचा जा सके और जो कर्ज हैं उनको खत्म किया जा सके. बंगले के केयर टेकर राधेश्याम का कहना है कि नोटिसें तो कई बार आई हैं मगर अधिकारी यहां पर कब्जा किये हुए हैं. अभी तक मात्र एक बंगला खाली हो सका है मगर बाकी पर कब्जा बरक़रार है.

सेवानिवृत्त हो जाने के बाद भी इन बंगलों से अफसर कब्जा नहीं छोड़ रहे हैं. वहीं क्षेत्रीय प्रशासनिक अधिकारी भी इनके दबाव की वजह से मात्र नोटिस भेज कर आगे की कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इन कब्जेदारों के खिलाफ करोड़ों रुपये का कंपनसेशन भी क्लेम किया गया है. जिसको अभी तक जमा नहीं किया गया है.

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