….जब नक्सल प्रभावित दरभा में गुजरी कलेक्टर रजत की पूरी रात….. हिड़मा के घर सुकसी भात खाया और फिर खाट पर ही सो गये…. सुबह ग्रामीणों ने कलेक्टर को देखा तो रह गये दंग..

Update: 2020-10-23 10:57 GMT

जगदलपुर 23 अक्टूबर 2020। कलेक्टर रजत बंसल जुदा मिजाज के IAS हैं। ठेठ देसी स्टाइल में रहने वाले इस अफसर की सादगी हमेशा चर्चा में रहती है। फिर बात साइकिल पर इंस्पेक्शन पर निकलने की हो या फिर अचानक से गांव की झोपड़ी में रात गुजारकर हैरान कर देने की। बीती रात भी रजत बंसल ने अपनी रात दरभा जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र के मादर कोंटा में गुजारी। वो ग्रामीण हिड़मा के घर पहुंचे….आम लोगों की भांति जमीन पर बैठकर खाना खाया और खाट पर ही सो गये।

दरअसल कलेक्टर रजत दरभा क्षेत्र के दौरे में थे और इस दौरान रात हो गई तो उन्होंने वापस लौटने के बजाय गांव में ही किसी ग्रामीण के घर रुकने का फैसला किया। आनन-फानन में गांव के ही हिड़मा के घर व्यवस्था की गई। व्यवस्था भी क्या, केवल सोने के लिए एक खाट और एक मछरदानी जिससे रात सुकून से कट जाये। कलेक्टर ने हिड़मा से पूछा, आज खाने में क्या बना है। हिड़मा ने बताया कि कुम्हड़े की भाजी, बैगन की सब्जी और चावल। कलेक्टर ने उसी खाने की इच्छा जता दी। ग्रामीणों के साथ ही भोजन कर उनके ही घर में रात बिताने के बाद सुबह ग्रामीणों से चर्चा कि गई और उनकी समस्याओं का तत्काल निराकरण भी किया गया।पहले जिस कलेक्टर से मिलने ग्रामीणों को कई चक्कर लगाने होते थे उसी अधिकारी को अपने गांव अपने घर में पाकर ग्रामीणों को विश्वास ही नहीं हो रहा था।

गांव वालों कि समस्या जानने के लिए गांव वाला ही बनना पड़ेगा

अपने दौरे के दौरान रात्रि विश्राम गांव में ही करने के पीछे कि वजह बताते हुए कलेक्टर रजत बंसल कहते हैं कि किसी क्षेत्र का दौरा करने पर उपरी जानकारी ही मिलती है , पर यदि आपको उनकी समस्याओं को हकीकत में संपत करना है तो आपको उनके बीच उनके परिवार का हिस्सा बनकर रहना होगा।अपने रात के अनुभव को बताते हुए कलेक्टर ने बताया कि हिडमा के घर रात बिताने के दौरान उनके साथ भोजन किया और खूब चर्चा भी हुई। इस चर्चा में ही कई रोचक और चौकाने वाली जानकारी भी निकल कर सामने आई।साथ भोजन करने पर ही पता चला कि हिडमा के घर पर पांच बच्चे हैं और सभी ने पढाई छोड़ दिया है , वजह पूछने पर पता चला कि उनके जाती प्रमाणपत्र व् कई कागजात पुरे नहीं हैं।रजत बंसल ने तत्काल एसडीएम को आदेश देते हुए ग्रामीणों के लिए गांव में ही कैंप लगवा कर सभी कागजात पुरे करवाने के आदेश दिए हैं।

हिडमा ने कहा एक बार भी नहीं लगा कि घर पर कलेक्टर आए हैं

जिले के सबसे बड़े अधिकारी घर पर पहुँच जाये तो मेजबान कि क्या स्थिति होगी आप समझ सकते हैं , पर जिस ग्रामीण के घर पर रजत बंसल ने रात बिताई उसने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि अचानक घर पर बड़ी गाड़ी आई , कुछ साहब लोग आए तो मन में भय पैदा हुआ।कुछ ही देर बाद पूरा मामला समझ में आ गया था।एक कलेक्टर कि मेजबानी कैसे कि जाये इसका अनुभव भी नहीं था , पर कलेक्टर साहब ने ही आगे बढ़ कर कहा कि कोई विशेष व्यवस्था करने कि आवश्यकता नहीं है जो बना है वही खाऊंगा और जो व्यवस्था उपलब्ध है उस पर ही रात बिताऊंगा।हिडमा के अनुसार यह रात उनके जीवन कि एतिहासिक और यादगार रात होगी।

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