Video व्हील चेयर पर थी दुल्हन और इसी पर लिए सात फेरे, ये लव स्टोरी आपको भी कर देगी इमोशनल

Update: 2022-11-19 09:20 GMT

NPG ब्यूरो। शादी के मंडप में व्हील चेयर पर दुल्हन और दूल्हे के वेश में एक सुंदर नौजवान... फेरों का वक्त हो चुका है, शादी समारोह में मौजूद सभी लोग एक दूसरे को देख रहे हैं... पंडित जी फेरों के लिए मंत्र पढ़ना शुरू करते हैं, दूल्हा व्हील चेयर का हैंडल पकड़ता है और अपनी दुल्हन को लेकर सात जन्मों तक साथ निभाने का मन में प्रण कर फेरे की शुरुआत करता है, बैकग्राउंड में संगीत सुनाई दे रहा है... वहां मौजूद लोगों की आंखों में खुशी के आंसू हैं... हर कोई इस प्यार को देखकर इमोशनल हुआ जा रहा है।

ऐसी फिल्मी लव स्टोरी को हकीकत में बदला ओडिशा के बालेश्वर जिले के देवस्मिता पंडा और शुभ्रांशु महापात्र ने। दरअसल इस प्रेम कहानी की शुरुआत ही फिल्मी थी। शुभ्रांशु और देवस्मिता एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। शुभ्रांशु सीनियर थे। तब कुछ ऐसी मिसअंडर स्टैंडिंग हुई कि दोनों मिले। आंखें चार हुई। पहली नजर में ही लगा जैसे बैकग्राउंड में कहीं गिटार बजने लगा है।


देवस्मिता के लिए तो यह परियों की कहानी के राजकुमार जैसी फीलिंग थी। दिनभर शुभ्रांशु के बारे में ही सोचती रहती थी। ये सारी बातें 2014 की हैं। एक दूसरे को देखने और सोचने में ही दो साल बीत गए और वह दिन भी आया जब शुभ्रांशु ने प्रपोज किया। देवस्मिता ने अपने घर पर बताया। घरवाले राजी हो गए। दोनों परिवार के लोग भी इस रिश्ते से सहमत थे। दिन बीतते गए। शुभ्रांशु और देवस्मिता अपना आशियाना सजाने के सपने संजोते रहे। पढ़ाई लिखाई पूरी होने का वक्त आया, तब घरवालों ने शादी के लिए बात आगे बढ़ाई। अप्रैल 2018 में दोनों परिवार मिले और अप्रैल 2019 में शादी की तारीख तय की।


जब लव स्टोरी फिल्मी है तो हंसते खेलते परिवार में एक ऐसा सीन भी आता है, जब लगता है कि सबकुछ तबाह हो जाएगा। इस प्रेम कहानी में कोई विलेन नहीं था, लेकिन इसकी कमी पूरी कर दी पैरालिसिस अटैक ने। शादी के 10 दिन पहले अचानक रात में देवस्मिता को पैरालिसिस अटैक आया और कमर के नीचे का हिस्सा शांत हो गया। अब दुखों का पहाड़ टूट गया, जिस घर में शादी की तैयारियां चल रही थी। हल्दी कुमकुम गहने खरीदने की तैयारी हो रही थी, वहां के लोग अस्पताल पहुंच गए।


शुभ्रांशु बताते हैं कि कुछ दिनों के लिए तो जैसे समझ ही नहीं आया कि यह सब क्या हो गया। डॉक्टर और अस्पताल के चक्कर काटने लगे। जिसके साथ आप जीवन बिताना चाह रहे थे, वह इतनी परेशानियों में थी। उसी समय यह तय कर लिया कि यह ठीक होगी और साथ जीवन बिताएंगे। देवस्मिता कहती है कि उसे भरोसा नहीं था कि वह कभी ठीक हो पाएगी, लेकिन शुभ्रांशु ने हार नहीं मानी। पैरेंट्स भी पूरी शिद्दत से जुटे रहे। अब पहले से काफी सुधार हुआ है। पैर में मूवमेंट होने लगा है। पहले बैठ नहीं पाती थी। अब बैठने लगी है। आखिरकार दोनों 10 नवंबर को शादी के बंधन में बंध गए।

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