Muslim Wedding Rules: शादी और बारात में अब नहीं बजेगा डीजे, नहीं होगी आतिशबाजी: जाने क्यों लिया गया ये ऐतिहासिक फैसला

उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के गंजडुंडवारा-सहावर रोड स्थित शाही गार्डन में मुस्लिम समाज की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। खिदमत-ए-खल्क कमेटी की अगुवाई में हुई इस बैठक में सर्वसम्मति से एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया कि अब पचपोखरा गांव में शादी, बारात या किसी अन्य सामाजिक कार्यक्रम में डीजे, आतिशबाजी, हर्ष फायरिंग और नाच-गाने पर पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा।

Update: 2025-06-21 08:19 GMT

Muslim Wedding Rules: कासगंज: शादी समारोह या अन्य कार्यक्रमों में अब के समय में डीजे बजाना, नाच गाना और आतिशबाजी करना आम बात हो गई है। इसी को लेकर उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के गंजडुंडवारा-सहावर रोड स्थित शाही गार्डन में मुस्लिम समाज की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में ब्लॉक क्षेत्र के गांव पचपोखरा के मजहबी रहनुमाओं और समाज के जिम्मेदार लोगों ने मिलकर सामाजिक आयोजनों में बढ़ती दिखावेबाजी और अनुशासनहीनता पर चिंता व्यक्त की। खिदमत-ए-खल्क कमेटी की अगुवाई में हुई इस बैठक में सर्वसम्मति से एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया कि अब पचपोखरा गांव में शादी, बारात या किसी अन्य सामाजिक कार्यक्रम में डीजे, आतिशबाजी, हर्ष फायरिंग और नाच-गाने पर पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन

उन्होंने बताया गया कि यह निर्णय व्यक्तिगत या धार्मिक भावना से प्रेरित नहीं है, बल्कि यह पूरे गांव की सामाजिक चेतना, सामूहिक आत्ममंथन और भावी पीढ़ियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है। इस पहल को सामाजिक सौहार्द, नैतिक अनुशासन और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। कमेटी ने यह भी बताया कि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप है, जिसमें डीजे और आतिशबाजी को लेकर कुछ सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं। सामाजिक सुधार की इस दिशा में गांव के लोगों ने संकल्प लिया है कि वे आत्म अनुशासन, सहयोग और जागरूकता के माध्यम से इस फैसले को धरातल पर उतारेंगे।

उल्लंघन करने पर होगी  प्रशासनिक कार्रवाई

खिदमत-ए-खल्क कमेटी ने जिलाधिकारी से भी आग्रह किया है कि यदि कोई व्यक्ति इस सामूहिक संकल्प का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। इस प्रकार का अनुरोध यह दर्शाता है कि गांव का समाज सिर्फ आंतरिक अनुशासन पर ही निर्भर नहीं रहना चाहता, बल्कि कानूनी रूप से भी अपने फैसले को मजबूत करना चाहता है।




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