SC Court slams UP Gov: सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को लगाई फटकार, अतीक के नाम पर ढहाए घरों को दोबारा बनाने का दिया आदेश!

SC on Bulldozer Action: प्रयागराज में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ा संदेश दे दिया है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की मनमानी पर नाराजगी जताते हुए याचिकाकर्ताओं को ढहाए गए घरों को दोबारा बनाने की इजाजत देने का रास्ता साफ कर दिया।

Update: 2025-03-25 08:47 GMT
SC Court slams UP Gov: सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को लगाई फटकार, अतीक के नाम पर ढहाए घरों को दोबारा बनाने का दिया आदेश!
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SC on Bulldozer Action: प्रयागराज में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ा संदेश दे दिया है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की मनमानी पर नाराजगी जताते हुए याचिकाकर्ताओं को ढहाए गए घरों को दोबारा बनाने की इजाजत देने का रास्ता साफ कर दिया। मामला गैंगस्टर अतीक अहमद की जमीन से जुड़ा बताया जा रहा है, जिसके नाम पर यूपी सरकार ने कई घरों को जमींदोज कर दिया था। अतीक की 2023 में हत्या हो चुकी है, लेकिन उसके नाम पर हुई इस कार्रवाई ने अब कानूनी विवाद खड़ा कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा, "याचिकाकर्ता अपने खर्च पर घर दोबारा बना सकते हैं, लेकिन अपील खारिज होने पर उन्हें खुद ही ढहाना होगा।" कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि कानून की प्रक्रिया को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ताओं में एडवोकेट जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद, दो विधवाएं और एक अन्य शख्स शामिल हैं, जिनके घरों को बुलडोजर से ढहा दिया गया था।

24 घंटे में ढहाए गए घर

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि शनिवार रात नोटिस जारी हुआ और अगले ही दिन रविवार को उनके घर गिरा दिए गए। उन्हें नोटिस का जवाब देने या कार्रवाई को चुनौती देने का मौका तक नहीं मिला। इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत न मिलने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहीं, एटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने दलील दी कि 2020 और 2021 में कई बार नोटिस दिए गए थे, लेकिन कोर्ट ने इसे "अनुचित" करार देते हुए खारिज कर दिया।

कोर्ट ने खारिज की सरकार की सफाई

राज्य सरकार ने दावा किया कि याचिकाकर्ताओं के पास कई घर हैं, इसलिए प्रक्रिया का पालन जरूरी नहीं था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे सिरे से नकार दिया। कोर्ट ने कहा, "किसी के पास एक से ज्यादा घर होने का मतलब यह नहीं कि कानून को ताक पर रख दिया जाए। नोटिस देने से लेकर अपील तक का पूरा समय देना होगा।"

याचिकाकर्ताओं की दलील

याचिकाकर्ताओं ने खुद को जमीन का पट्टेदार बताया और कहा कि उन्होंने इसे फ्रीहोल्ड में बदलने के लिए आवेदन किया था। उनके मुताबिक, 1 मार्च 2021 को नोटिस जारी हुआ, 6 मार्च को मिला और 7 मार्च को घर ढहा दिए गए। इससे उन्हें यूपी अर्बन प्लानिंग एक्ट के तहत अपील का अधिकार भी नहीं मिल सका।

सुप्रीम कोर्ट के पुराने दिशानिर्देश

नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई के लिए सख्त नियम बनाए थे। इसमें बिना नोटिस ढहाने पर रोक, 15 दिन का जवाब देने का समय, रजिस्टर्ड पोस्ट से नोटिस और व्यक्तिगत सुनवाई का मौका शामिल है। साथ ही, ध्वस्त करने के आदेश के बाद भी 15 दिन की मोहलत देने का नियम है, ताकि लोग फैसले को चुनौती दे सकें या घर खाली कर सकें।

योगी सरकार पर सवाल

इस फैसले ने योगी सरकार की बुलडोजर नीति पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट का साफ संदेश है कि कानून से ऊपर कोई नहीं। अब देखना ये है कि क्या राज्य सरकार इस आदेश का पालन करती है या मामला और उलझता है।

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