Mahakumbh 2025: IAS बनने का था सपना, महाकुंभ जाकर बदला मन, 13 साल की उम्र में लिया साध्वी बनने का फैसला...
Mahakumbh 2025: आगरा से प्रयागराज घुमने आई 13 साल की बच्ची ने साध्वी बनना का निर्णय लिया हैं. जिसके बाद 14 मढ़ी जूना अखाड़ा के श्रीमहंत कौशल गिरि के माध्यम से राखी का शिविर में प्रवेश कराया गया.
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन की तैयारिया खूब जोरो-शोरो पर चल रही है. महाकुंभ करोड़ों श्रद्धांलुओं की आस्था का प्रतीक हैं जिसमें पहुंच कर हर कोई स्वयं को धन्य मानता है. इस बीच महाकुंभ घमने आई एक 13 साल की बच्ची के फैसले ने झकझोर कर रख दिया है. बच्ची की इस फैसले के बाद से लोग इस विचार और निर्णय का एक तरफ प्रोत्साहन कर रहे है. तो वही दूसरी ओर लोग इससे हैरान है.
दरअसल, आगरा की रहने वाली 13 वर्षीय बच्ची का नाम राखी सिंह धाकरे हैं. जो कभी आईएएस बनना चाहती थी. राखी सिंह धाकरे अभी नौवीं कक्षा में पढ़ती हैं. अभी हालही में 20 दिसम्बर को प्रयागराज के महाकुंभ में घुमने पहुची थी. राखी अपने माता पिता और छोटी बहन के साथ पहुंची. राखी के पिता संदीप सिंह आगरा में पेठा का कारोबार करने वाले कारोबारी हैं. और माता रीमा सिंह हैं. राखी की छोटी बहन अभी कक्षा दूसरी में हैं. राखी के माता पिता बताते है कि राखी बचपन से ही पढाई-लिखाई में बेहद ही होशियार है और आगे पढ़ लिख कर वो आईएएस बनना चाहती थी. लेकिन प्रयागराज महाकुंभ घुमने आई राखी सिंह ने साध्वी बनने के निर्णय से सभी हैरान रह गए. वही बच्ची के इस फैसले के बाद जूना अखाड़ा के श्रीमहंत कौशल गिरि ने उसे महाकुंभ के शिविर में शामिल होने का निमंत्रण दिया हैं. वही परिवार ने अपनी 13 साल की बेटी को जूना अखाड़े को दान कर दिया है. बता दें कि, जल्द ही महाकुंभ में उसका पिंडदान किया जाएगा, जिसके बाद वो सांसारिक जीवन त्याग कर संन्यासी जीवन में प्रवेश कर लेगी. माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी शुरू से साध्वी बनना चाहती थी.
आपको बता दें कि, महाकुंभ मेला में इस बार प्रयागराज में आयोजित हो किया जा रहा हैं. पहले से इस बार महाकुंभ मेले की खूब चर्चा हो रही हैं. रुद्राक्ष वाले बाबा, अनाज वाले बाबा और पता नही क्या-क्या, इस तरह से अलग-अलग साधू महंत इस कुंभ मेले में शामिल हो रहे हैं. वही अब इस बीच महाकुंभ घुमने आई एक 13 साल की बच्ची ने आईएएस के सपने को छोड़ कर साध्वी बनने का फैसला लिया. इस फैसले से राखी के माता पिता भी हैरान हैं. राखी का कहना की अब वो माता पिता भाई बहन सभी से सारे नाते रिश्ते तोड़ इस आध्यात्म की दुनिया में जाने का फैसला कर लिया हैं. जिसके बाद राखी ने जूना अखाड़ा में साध्वी बनने का संकल्प लिया. और अपने आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की. इसके बाद राखी का नाम गौरी रखा गया और 14 मढ़ी जूना अखाड़ा के श्रीमहंत कौशल गिरि के माध्यम से राखी यानि गौरी का शिविर में प्रवेश कराया गया.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि, ये कहानी बहुत पहले से ही शुरू हो चुकी थी. जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरी महाराज भागवत के लिए आते थे तब उनकी मुलाकात राखी से हुई थी. राखी ने 11 साल की उम्र में महाराज से दीक्षा भी ली हैं. इसके बाद जब महाराज ने राखी को इस बार प्रयागराज महाकुंभ के मेले में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया जहाँ राखी ने ये फैसला लिया.