17 दिन पहले पिता बना था ये शहीद, बेटी का चेहरा देखे बिना ही वीरगति पायी…….18 महीने पहले हुई थी शहीद कर्नल की LAC पर तैनाती… शहीद होने वाले तीनों जवान बिहार रेजीमेंट के.

Update: 2020-06-17 02:35 GMT

नयी दिल्ली 16 जून 2020। 3 साल पहले शादी हुई….17 दिन पहले पापा बने….लेकिन बेटी का मुंह देखे बिना ही शहीद हो गये। सोमवार की मनहूस रात झारखंड के साहेबगंज के रहने वाले रविशंकर ओझा के घर कयामत बनकर आफत टूटी। उनका 27 साल का जवान बेटा कुंदन ओझा सरहद की हिफाजत करते हुए शहीद हो गया। कुंदन उन जांबाज में शामिल थे, जो सोमवार की रात भारत-चीन बोर्डर पर हुए हिंसक झड़प का शिकार बने थे। इस हमले में तेलंगाना के सपूत कर्नल संतोष बाबू, बिहार का बेटा कुंदन ओझा और तमिलनाडू के जांबाज हवालदार पलानी शामिल थे।

साल 2011 में वतन की हिफाजत की तमन्ना लिये कुंदन ने बिहार रेजिमेंट ज्वाइन की थी। बिहार रेजिमेंट कटिहार में भर्ती हुआ ये शेरदिल जवान लद्दाख में लंबे समय से तैनात था। 5 महीने पहले जब कुंदन घर लौटा था तो गर्भवती पत्नी से वादा किया था कि वो जल्द ही वापस लौटेगा और घर आने वाले नन्हे मेहमान के साथ खूब सारा वक्त बितायेगा। लेकिन विडंबना देखिये कुंदन के घर 17 दिन पहले नन्ही परी तो आयी, लेकिन वो उसका मुंह भी नहीं देख पाया और शहीद हो गया।

लद्दाख-चीन सीमा पर हुए विवाद में कर्नल सहित तीनों अफसर बिहार रेजिमेंट के जवान थे। कमांडिग अफसर संतोष बाबू भी इस हमले में शहीद हुए। संतोष बाबू तेलंगाना के सूर्यापेंड के रहने वाले थे। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है। कर्नल संतोष ने हैदराबाद के सैनिक स्कूल में पढ़ाई की और फिर NDA में चुन लिये गये। वो 18 महीने से लद्दाख में भारत-चीन बॉर्डर पर तैनात थे। कर्नल संतोष तेलंगाना के सूर्यापेट जिले के थे और उन्होंने 2 दिसंबर 2019 को ही 16 बिहार रेजिमेंट की कमान संभाली थी।कर्नल संतोष गलवान घाटी में पैट्रोलिंग पॉइंट 14 के करीब हुई झड़प में शहीद हुए। यहीं उनके साथ ही हवलदार पलानी और सिपाही ओझा ने भी देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।

45 साल पहले चीन बॉर्डर पर भारत के जवान शहीद हुए थे
20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर एम्बुश लगाकर हमला किया था। इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुए थे।

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