महिला IAS को अश्लील मैसेज भेजने की वजह से अप्रिय चर्चाओं में आए चरणजीत को पंजाब की कमान.. सिद्धू ने रंधावा की राह रोकी.. ताकि आगे खुद की राह आसान रहे

Update: 2021-09-19 10:26 GMT

यगवल्क्य मिश्र

चंडीगढ़,19 सितंबर 2021। क़रीब पाँच बजकर चालीस मिनट हुए और पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रभारी का ट्वीट स्क्रीन पर कौंधा, जिस पर लिखा गया था –
*”मुझे यह घोषणा करते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि श्री चरणजीत सिंह चन्नी को सर्वसम्मति से पंजाब कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया है”*
ट्वीटर पर जैसे ही यह चिड़िया चहचहाई, समझ आ गया कि सिद्धू ने फिर दांव खेला और वह दांव सफल हो गया या कि, कांग्रेस के शीर्ष दो युवा नेतृत्व के वे इस कदर दुलारे हैं कि उनकी बात फिर मानी गई, लेकिन क्या वाक़ई ऐसा है क्योंकि राजनीति में *असंभव.. चमत्कार.. हो नही सकता* जैसे शब्दों की कहीं कोई जगह नहीं होती, यह देखने की बात होगी कि सिद्धू ने जो दांव खेला है उसमें वह आगे चलकर बैटिंग कर पाएँगे या *वेटिंग इन क्यू* का मसला हो जाएगा।
दरअसल जबकि कैप्टन अमरिंदर ने इस्तीफ़ा दिया तो इस अंदाज में दिया कि एक बारगी समझ ही नहीं आया कि अब एकदम से करें क्या। जो दावेदार थे जिनमें सुनील जाखड़, सुखजिंदर रंधावा के नाम बहुत तेज़ी से आ रहे थे, उनमें से सुनील के साथ पहले सिद्धू की कोई असहमति सामने नहीं आई, लगा कि पहली बार पंजाब में ग़ैर सिख जाट सीएम बन जाएगा। लेकिन विधायक दल की बैठक में सुखजिंदर रंधावा ने खुला विरोध कर दिया और विधायकों के समर्थन को दिखाते हुए दलील दी कि पंजाब में ग़ैर जाट सिख को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने मौन रहकर जो समर्थन सुखजिंदर को दिया उससे सुनील जाखड़ को हैरानी हुई होगी, पर उनकी हैरानी से इतर किसी को शायद ही हैरानी हुई हो, पंजाब की पृष्ठभूमि से आने वाली और पंजाब से ही राज्यसभा सदस्य अंबिका सोनी ने आलाकमान के साथ बैठक में सीएम पद के लिए “ना” कह कर बहुत कुशलता से खुद को किनारे कर लिया। अब मैदान में बचे खुद सुखजिंदर रंधावा।
यह कोई नहीं जानता कि कुछ महिनों बाद जबकि चुनाव होंगे नतीजे किस करवट बैठेंगे। कैप्टन अमरिंदर सिंह बुरी तरह नाराज़ हैं और सिद्धू को किसी सूरत बख्शेंगे ऐसा लगता नहीं है। अब यह काम वो कैसे अंजाम देते हैं यह भविष्य के गर्भ में है, लेकिन यह मानते हुए कि कांग्रेस की सरकार लौटेगी, सिद्धू को पता था कि यदि सुखजिंदर रंधावा सीएम बने तो फिर उनके पास सिवा *क़तार में इंतजार* के कुछ बचेगा नही, उससे बेहतर होता कि, सुखजिंदर रंधावा को “खो” कर दिया जाता, और फिर वही हुआ।
यह तय माना जा रहा था कि सुखजिंदर सिंह रंधावा पंजाब के सीएम बनने जा रहे हैं, खुद सुखजिंदर रंधावा को यह यक़ीन हो गया था, हालाँकि उन्होंने सीधे नहीं कहा लेकिन उन्होंने कुछ इन शब्दों में अपनी बात रखी
*”जिसे काम करना आता है उसे चार दिन भी मिल गए तो काम कर लेगा, चार महिने तो बहुत होते हैं.. विजन स्पष्ट होना चाहिए. सब हो जाता है”*
यह बात सुखजिंदर रंधावा ने जो भी सोच कर कहीं लेकिन लगता है कि इसे नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने उपर लिया और मुकम्मल लिया। नतीजतन जब सब सुखजिंदर की ओर ध्यान लगाए बैठे थे तो ठीक उसी वक्त चरणजीत सिंह चन्नी का नाम सामने आ गया।
चरणजीत सिंह सन्नी चमकौरा सीट से विधायक हैं, और कैप्टन की सरकार में तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री थे।इसके ठीक पहले वे विपक्ष के नेता का भार भी विधानसभा में एक साल उठा चुके हैं।चरणजीत सिंह रामदसिया सिख समुदाय से संबंध रखते हैं और वे तीसरी बार विधायक हैं।
चरणजीत सिंह चन्नी तब अप्रिय विवाद में जा फंसे थे जबकि क़रीब तीन साल पहले वरिष्ठ महिला आईएएस को उनके मोबाइल से अश्लील मैसेज गया था। महिला आईएएस ने इसकी शिकायत की थी। इस पर काफी बवाल मचा था। मंत्री चन्नी उस समय विदेश यात्रा पर थे, और लौटने के बाद जबकि मामला सामने आया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि गलती से मैसेज चला गया था और उन्होंने माफी मांग ली। अमरिंदर ने भी यह कहकर मामले को खत्म किया था कि मंत्री ने माफी मांग ली है। चर्चायें हैं कि तब कैप्टन अमरिंदर का हस्तक्षेप वह कारण बना जिसकी वजह से चन्नी गंभीर विवाद में फँसते फँसते बच गए।क़िस्मत देखिए कि आज चन्नी उसी कुर्सी पर विराजने वाले हैं जो उन्हीं कैप्टन के इस्तीफ़े के बाद ख़ाली हुई है।
सियासत को देखते समझते कुछ लोगों की राय यह भी है कि, नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर कैप्टन ने पाकिस्तान वाली जो लकड़ी लगाई उसने भी सिद्धू के लिए राह मुश्किल कर दी।बहरहाल पंजाब को उसके अब तक के इतिहास में पहली बार दलित सिख बतौर मुख्यमंत्री मिल रहा है, इस राजनीति में सिद्धू आगे भी मौजूं रहेंगे पर किस रुप में यह समझने जानने के लिए इंतज़ार करना होगा और ज़ाहिर है वो इंतजार विधानसभा चुनाव के नतीजों का होगा।
हिंदी के सशक्त हस्ताक्षर प्रख्यात व्यंग्यकार शरद जोशी ने दशकों पहले लिखा था –
*”मुख्यमंत्री तीन क़िस्म के होते हैं, चुने हुए मुख्यमंत्री, रोपे हुए मुख्यमंत्री और तीसरे वे, जो इन दोनों की लड़ाई में बन जाते हैं”*
साहित्यकार शरद जोशी ने किया दशकों पहले ही वह देख लिया था जो आज हम देख रहे हैं…!

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