SECL के CMD बोले, छत्तीसगढ़ की संस्कृति हमें सद्भाव एवं मेहनत सिखाती है और कोलइण्डिया हमें देश के विकास में सक्रिय सहभागिता निभाने के लिए प्रेरित करता है

Update: 2020-11-01 05:50 GMT

0 एसईसीएल में ’’कोल इण्डिया’’ व ’’छत्तीसगढ़ राज्य’’ स्थापना दिवस हर्ष व उल्लास के साथ मनाया गया

बिलासपुर, 1 नवंबर 2020।
छत्तीसगढ़ की संस्कृति हमें सद्भाव एवं मेहनत सिखाती है और कोलइण्डिया हमें देश के विकास में सक्रिय सहभागिता निभाने के लिए प्रेरित करता है। यही वजह है कि एसईसीएल पूर्ण सद्भाव के साथ देश की कोयला आवश्यकताओं को पूर्ण करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

उक्त बातें ’’कोल इण्डिया स्थापना दिवस’’ एवं ’’छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस’’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री ए.पी. पण्डा, अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, एसईसीएल ने कही। यह कार्यक्रम आज मुख्यालय प्रशासनिक भवन स्थित प्रांगण में आयोजित किया गया। उन्होंने इस अवसर पर सभी को अपनी और प्रबंधन की ओर से शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि कोलइण्डिया एवं छत्तीसगढ़ राज्य का स्थापना दिवस 01 नवंबर की तिथि पर है। दोनों ही जब से स्थापित हुए हैं तब से दिन-प्रतिदिन पुष्पित-पल्लवित हो रहे हैं। उन्होंने एसईसीएल द्वारा अपने वशवर्ती क्षेत्रांे, राज्य के विकास एवं अपने कर्मियों वं उनके आश्रितों के जीवनस्तर को उठाने के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि एसईसीएल हमेशा की तरह ही छत्तीसगढ़ राज्य के विकास में अपनी सामाजिक जवाबदेही का निर्वाह करता रहेगा।

कार्यक्रम की शुरूआत में मुख्य अतिथि अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक श्री ए.पी. पण्डा, मुख्य सतर्कता अधिकारी श्री बी.पी. शर्मा, निदेशक तकनीकी (योजना/परियोजना) श्री एम.के. प्रसाद, निदेशक (वित्त) श्री एस.एम. चैधरी, महाप्रबंधक (कार्मिक/प्रशा.) श्री ए.के. सक्सेना द्वारा दिवंगत श्रमवीरों के सम्मान में ’’शहीद स्मारक’’ पर पुष्पचक्र अर्पित किया गया, तत्पश्चात ’’डाॅ. भीमराव अम्बेडकर’’ व ’’खनिक प्रतिमा’’ पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री ए.पी. पण्डा, अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक द्वारा कोलइण्डिया ध्वज फहराया गया, उपरांत कोलइण्डिया काॅरपोरेट गीत बजाया गया। छत्तीसगढ़ के माटी के प्रति आपना आदर व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि, विभिन्न विभागाध्यक्षों, श्रमसंघ प्रतिनिधियों, सिस्टा प्रतिनिधियों द्वारा छत्तीसगढ़ की माटी, मानचित्र, हल एवं धान की बाली की पूजा की गयी। यह सम्पूर्ण कार्यक्रम सोसल डिस्टेंसिंग अपनाते हुए मनाया गया।

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