Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक में भारत को 25वां मेडल, जूडो में कपिल परमार ने जीता ब्रॉन्ज
Paris Paralympics 2024: पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का बेहतरीन प्रदर्शन जारी है। गुरुवार को भारत को जूडो में भी मेडल मिला है।
Paris Paralympics 2024: पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का बेहतरीन प्रदर्शन जारी है। गुरुवार को भारत को जूडो में भी मेडल मिला है। जहां कपिल परमार ने पुरुषों के 60किलो J1 कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता। कपिल ने ब्रॉन्ज मेडल मैच में ब्राजील के एलिटन डी ओलिवेलिया को 33 सेकंड में इप्पन से मात दी। ये भारत का पेरिस पैरालंपिक में 25वां मेडल है।
बता दें कि, ये भारत का पैरालंपिक में जूडो में पहला मेडल है। इससे पहले कपिल को सेमीफाइनल में 0-10 से हार मिली थी। उन्हें इरान के बनीताबा ने मात दी थी। उन्होंने क्वार्टरफाइनल में वेनेजुएला के मार्को डेनिस ब्लांको को 10-0 से शिकस्त दी थी। कपिल को दोनों मुकाबलों एक पीला कार्ड मिला था।
J1 कैटेगरी में वह खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जो बिल्कुल नहीं देख पाते हैं या फिर बहुत कम देख पाते हैं। उनके कपड़ों पर लाल रंग के सर्कल बने होते हैं। उन्हें चलने के लिए, मैच के बाद उससे पहले मदद के लिए सिगनल देने का जरिया होता है।
कौन है कपिल परमार?
कपिल परमार मध्य प्रदेश के शिवोर नाम के एक छोटे से गांव से हैं। बचपन में परमार के साथ एक दुर्घटना हुई थी। जब वह अपने गांव के खेतों में खेल रहे थे और गलती से पानी के पंप को छू लिया जिससे उन्हें बिजली का जोरदार झटका लगा। बेहोश परमार को अस्पताल ले जाया गया और वह छह महीने तक कोमा में रहे। वह चार भाइयों और एक बहन में सबसे छोटे हैं।
परमार के पिता टैक्सी चालक हैं जबकि उनकी बहन एक प्राथमिक विद्यालय चलाती है। इस असफलता के बावजूद परमार ने जूडो के प्रति अपने जुनून को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने अपने मेंटोर और कोच भगवान दास और मनोज की बदौलत जूडो में अपने जुनून को आगे बढ़ाना जारी रखा। परमार जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने भाई ललित के साथ मिलकर एक चाय की दुकान चलाते। ललित उनकी प्रेरणा का स्रोत हैं और आज भी उनकी वित्तीय सहायता का मुख्य स्रोत हैं।