संजय के दीक्षित
तरकश, 23 मई 2021
छत्तीसगढ़ में पुलिस उपेक्षित नहीं तो बहुत अच्छी स्थिति में भी नहीं कही जा सकती। एसआई, डीएसपी का प्रमोशन लंबे समय से ड्यू है तो सुपर समझने वाले आईपीएस की स्थिति भी उनसे जुदा नहीं है। आलम यह है कि 2008 बैच के आईपीएस को आधा साल बीत गया, अभी तक सलेक्शन ग्रेड नहीं मिल पाया है। जबकि, इसमें कोई डीपीसी की जरूरत भी नहीं। गृह विभाग जब चाहे, तब इनका आदेश निकाल सकता है। इस बैच के पारुल माथुर, प्रशांत अग्रवाल, नीतू कमल, डी श्रवण, मिलना कुर्रे, कमललोचन कश्यप और केएल ध्रुव जनवरी से वेटिंग में हैं। इसी तरह 2008 बैच के डीआईजी की वेंिटंग भी क्लियर नहीं हो पा रही। रामगोपाल गर्ग, जीतेंद्र मीणा, दीपक झा, अभिषेक शांडिल्य, धमेंद्र गर्ग और बालाजी राव सोमावार इस बैच के आईपीएस हैं। रामगोपाल और अभिषेक डेपुटेशन पर सीबीआई में हैं। मगर बाकी तो हैं। वीवीआईपी पुलिस रेंज दुर्ग के आईजी विवेकानंद का भी एडीजी प्रमोशन अटका हुआ है। चलिये, पुलिस विभाग में कम-से-कम आईएएस की तरह भेदभाव नहीं है….इसमें समानता है…सब इंस्पेक्टर से लेकर सीनियर आईपीएस तक, सभी एक लाइन में खड़े हैं।
उल्टा-पुलटा
एक वो भी जमाना था, जब प्रमोटी आईपीएस को ज्यादा फ्लेक्जिबल याने लचीला समझा जाता था…उनसे कुछ भी करा लो। एसपी की पोस्टिंग में सरकारें अपने एजेंडा के तहत प्रमोटी आईपीएस को प्रायरिटी देती थीं। लेकिन, अब जमाना बदल गया है। अब डायरेक्ट आईपीएस खुद को इतना बदल लिए हैं कि बैठने कहा जाए तो लेट जाने जैसी स्थिति हो गई है। छत्तीसगढ़ के 28 में से चार-पांच को छोड़ दे ंतो अमूमन सबका यही हाल है। जाहिर है, भूमिका बदल जाने से प्रमोटी आईपीएस परेशान होंगे ही। फिलवक्त, 9 प्रमोटी अफसर ही एसपी हैं। रायपुर रेंज में दो, दुर्ग में एक, बस्तर और सरगुजा में तीन-तीन। सबसे मलाईदार रेंज बिलासपुर में एक भी नहीं।
कप्तान के दावेदार!
एसपी की बहुप्रतीक्षित लिस्ट में नए नामों को लेकर इन दिनों अटकलें बड़ी तेज हैं। ट्रांसफर में कुछ पुलिस अधीक्षकों को इधर-से-उधर किए जाएंगे। मगर हटाए जाने वाले कप्तानों की जगह कुछ नए नाम भी जुड़ेंगे। इनमें अमित कांबले, गिरिजाशंकर जायसवाल, सुजीत कुमार, लाल उमेद सिंह, सदानंद, जीतेंद्र शुक्ला और उदय किरण जैसे नाम ज्यादा चर्चा में हैं। 2009 बैच के अमित कांबले के पास अब डीआईजी बनने में सिर्फ एक साल बचा है। वे एसपीजी से पिछले साल ही छत्तीसगढ़ वापिस आ गए थे। लेकिन, उनका चांस लगा नहीं। बहरहाल, सबसे अधिक जोर बिलासपुर पर है। बिलासपुर से प्रशांत अग्रवाल को सरकार हटाएगी या नहीं, अभी कुछ तय नहीं मगर अटकलें तेज है…बालाजी सोमावार, दीपक झा, पारुल माथुर और संतोष सिंह का नाम बिलासपुर के लिए चर्चाओं में है।
प्रमोशन के साथ रिटायर
प्रमोशन के मामले में आईएफएस की स्थिति भी अलग नहीं है। एडिशन पीसीसीएफ जेएससी राव अगले महीने 30 जून को रिटायर हो जाएंगे। पोस्ट खाली होने के बाद भी वे पीसीसीएफ नहीं बन पाए। अगर दु्रत गति से भी कार्रवाई की गई तो यही होगा कि वे प्रमोशन के साथ सेवानिवृत हो जाएंगे। राव के अलावा सीसीएफ से एडिशनल पीसीसीएफ के एक पद, सीएफ से सीसीएफ के 3 पद, डीएफओ से सीएफ के छह पद और एसडीओ से आईएफएस बनने के 3 पद जनवरी से खाली है। इन सभी की डीपीसी अभी तक नहीं हो पाई है।
2013 बैच कंप्लीट?
कलेक्टरों की लिस्ट पर सबसे अधिक 2013 बैच की टकटकी लगी है। इस बैच के अभी दो आईएएस ही कलेक्टर बन पाए हैं। विनीत नंदनवार और नम्रता गांधी। पांच अभी भी क्यूं में हैं। जबकि, दीगर राज्यों में 2014 बैच कलेक्टर बन गया है। 2013 वाले तो दो-दो जिला कर लिए हैं। बहरहाल, सरकार के सामने मुश्किल यह होगी कि एक साथ एक बैच के पांच को कैसे एडजस्ट करें। वजह यह कि दूसरे बैच वाले भी तो लाइन में हैं। हो सकता है, 2012 बैच की तरह एक साथ सबको मौका देकर बाद में पारफारमेंस बेस पर कुछ को वापिस बुला ले। क्योंकि, इस बैच को अब और ज्यादा वेट करा नहीं सकती।
प्रमोटी को भी मौका
दिसंबर 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद प्रमोटी कलेक्टरों की संख्या 28 में से 13 हो गई थी। याने लगभग आधा। लेकिन, धीरे-धीरे यह फीगर कम होता गया। कलेक्टरों की आने वाली लिस्ट में प्रमोटी आईएएस की दावेदारी भी अहम रहेगी। आरआर में 2013 बैच अगर पूरा नहीं हुआ है तो प्रमोटी में आलम यह है कि 2008 बैच के एसएन राठौर को पिछले साल ले देकर मौका मिल पाया। 2011, 2012 बैच में बड़ी संख्या में आईएएस हैं, और जिला संभालने के काबिल भी। सरकार को उन्हें भी देखना है।
कोरोना पीड़ित विभाग
वैसे तो करोना से कोई भी विभाग अछूता नहीं रहा है। किंतु जनसम्पर्क विभाग का तो पूछिए मत! फस्र्ट वेव में आयुक्त से लेकर चपरासी तक संक्रमित रहे। तो दूसरी वेव ने कहर बरपा दिया…. जनसम्पर्क अधिकारी छेदीलाल तिवारी और रितेश कांवरे को लाख प्रयास के बाद भी बचाया नहीं जा सका। अनेक अधिकारी, कर्मचारियों ने अपने निकटतम परिजनों को खोया। आयुक्त तारन प्रकाश सिन्हा के ससुर, अपर आयुक्त जे एल दरियों के पिता, संयुक्त संचालक संतोष मौर्य के ससुर, जनसम्पर्क अधिकारी रीनू ठाकुर की मां का निधन हो गया। कोंडागांव के जनसम्पर्क अधिकारी पुजारी ने अपने माता पिता, दोनो को खो दिया। इसके अलावा भी अनेक अधिकारियों ने अपने परिजन खोए।
सिस्टम पर सवाल
ब्लैक फंगस को महामारी घोषित की जा रही है मगर राजधानी रायपुर में क्या हो रहा इसे समझिएगा। बात कर रहे हैं, सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल आंबेडकर की। इस मेडिकल काॅलेज अस्पताल में ब्लैक फंगस का कौन सा इंजेक्शन खरीदना है, इसे तय करने में वहां के जिम्मेदार डाक्टरों ने इतनी देर कर दी कि प्रायवेट अस्पतालों ने एकतरफा खरीद कर डंप कर लिया। ब्लैक फंगस के लिए एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन दिया जाता है। चूकि इस बार का ब्लैक फंगस बे्रन में घुस जा रहा, इसमें लायसोसोमल प्रोपर्टी के एम्फोटेरेसिन बी ज्यादा इफेक्टिव है। अब ज्यादा इफेक्टिव है तो रेट ज्यादा होगा ही। महंगा-सस्ता के फेर में आंबेडकर के डाक्टर उलझे रहे और प्रायवेट अस्पताल वालों ने स्टाॅक उठा लिया।
अंत में दो सवाल आपसे
1. कलेक्टरों की आने वाली लिस्ट में महिला कलेक्टरों की संख्या दो से बढ़कर तीन होगी या चार?
2. छत्तीसगढ़ के किस मंत्री के डिप्टी कलेक्टर रैंक के पीएस स्टिंग आपरेशन में धरे गए हैं?