आईएएस और मनी लॉंड्रिंग

Update: 2020-02-01 23:30 GMT

2 फरवरी 2020
दिव्यांगों के नाम पर गड़बड़झाले की अगर सीबीआई जांच हुई तो उसकी लपटें कुछ और आईएएस अफसरों को झुलसा देगी। एक सिकरेट्री के खिलाफ तो मनी लॉंड्रिंग का एक अलग मामला बन जाएगा। दरअसल, जिन अफसरों के खिलाफ हाईकोर्ट ने सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है, उनमें नीचे के एक अफसर ऐसे भी हैं, जिनके एकाउंट से मंत्रालय के एक सिकरेट्री साब ने मोटी रकम बाहर भिजवाई है। इनमें दो किश्तों में भेजी गई 65 लाख रुपए भी शामिल है। इस राशि को दो अलग-अलग एकाउंट से पुणे भेजा गया। सिकरेट्री ने अफसर की पत्नी के खाते से इसे आरटीजीएस कराया। राज्य सरकार की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के अधिकारियों ने इस रकम के बारे में जब सवाल किया तो आरोपी अफसर ने कलमबंद बयान में बताया, फलां सिकरेट्री का बेटा पुणे में पढ़ाई कर रहा था, साहब ने वाइफ के एकाउंट में पैसा जमा कराया फिर आरटीजीएस करवाया। एजेंसी के पास रिकार्डेड बयान है और अरोपी अफसर के हाउस वाइफ के खातों का पूरा डिटेल भी। इसके बाद भी जांच एजेंसी ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। जांच एजेंसी के अफसर अगर बयान को इधर-उधर कर दिए होंगे तो सीबीआई को कार्रवाई के लिए जाहिर है बैंक एकाउंट काफी होगा।

दिव्यांगों के पैसे से शादी

समाज कल्याण विभाग एक तरह से कहें तो अफसरों के लिए चारागाह बन गया था। राज्य सरकार भले ही इस विभाग को ज्यादा बजट नहीं मिलता। मगर भारत सरकार से भरपूर ग्रांट मिला। एक जांच अधिकारी ने समाज कल्याण के एक अफसर से पूछा कि आपलोगों ने इस तरह नियम-कायदों को ताक पर क्यों रख दिया, अफसर ने बताया क्या बताए साब…उपर वालों का पूरा खर्चा उठाना पड़ता था। समाज कल्याण विभाग से जुड़े एक नौकरशाह की बेटी की शादी में 80 लाख का पेमेंट विभाग के अफसरों ने किया था। ऐसे ढेरों उदाहरण हैं, जो बताता है दिव्यांगों के पैसों को हजम कर अफसरों ने किस तरह देश में छत्तीसगढ़ को बदनाम किया।

आईजी और कमिश्नर की पोस्टिंग

दुर्ग के कमिश्नर दिलीप वासनीकर और सरगुजा के आईजी केसी अग्रवाल 31 जनवरी को रिटायर हो गए। उनकी जगह पर अभी किसी नए अधिकारी की पोस्टिंग नहीं हुई है। समझा जाता है, मुख्यमंत्री दिल्ली के दौरे पर हैं। कल रायपुर लौटने पर शाम तक नए कमिश्नर और आईजी के नाम का ऐलान हो जाए। कमिश्नरों का पावर समेट देने के कारण इस पोस्ट का हालांकि क्रेज नहीं है लेकिन सरगुजा आईजी को लेकर कश्मकश चल रहा। अभी तक दो ही दावेदार थे। रतनलाल डांगी और ओपी पाल। अब इसमें दो नाम और जुड़ गए हैं। डीआईजी आरपी साय और टीएस पैकरा का। साय सरगुजा में बटालियन के कमांडेंट हैं। और, पैकरा एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर। एटीसी भी वैसे छोटा पोस्ट नहीं है फिर भी कोयला नगरी में आईजी का भी अपना अलग अहमियत है। अब देखना है, कल सरकार किसके नाम पर मुहर लगाती है।

कलेक्टरों की छोटी लिस्ट?

छह फरवरी को पंचायत चुनाव की आचार संहिता समाप्त हो जाएगी। इसके बाद सरकार के सामने कलेक्टरों के बहुप्रतिक्षित ट्रांसफर को लेकर कोई रोड़ा नहीं रहेगा। सीएम भूपेश बघेल 11 फरवरी को विदेश दौरे पर जा रहे हैं। जाहिर है, सात से 11 के बीच किसी भी दिन लिस्ट निकल सकती है। हालांकि, इसमें एक नया अपडेट यह भी है कि सरकार बजट सत्र के बाद भी ट्रांसफर पर विचार कर सकती है। तब तक धान खरीदी और बजट सत्र भी समाप्त हो जाएगा। फिर, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सरकार का किसी कलेक्टर से गंभीर नाराजगी जैसी बात नहीं है। आखिर, दस के दस नगर निगमों में कांग्रेस का मेयर बन गया है। सरकार के नजदीकी लोगों के संकेत से लगता है, सीएम के विदेश जाने से पहले अगर लिस्ट निकली भी तो छोटी होगी। इसमें एक-दो ऐसे कलेक्टरों के नाम शामिल हो सकते हैं, जिसे चीफ सिकरेट्री पुअर पारफारमेंस पर हटाने के लिए रिकमांड करें।

रिटायर आईएएस या?

सूचना आयुक्त के एक खाली पद के लिए सरकार ने विज्ञापन निकाल दिया है। ये अच्छी बात है पहली बार सूचना आयोग में पोस्टिंग के लिए विज्ञापन निकला है। मगर, इस पोस्ट पर आसीन कौन होगा, इसको लेकर लोगों में काफी उत्सुकता है। हालांकि, कुछ रिटायर आईएएस एवं एनजीओ से जुड़े लोग इसके लिए दावेदारी कर रहे हैं। मगर सरकार किसके नाम को ओके करती है, यह वक्त बताएगा।

मुदित की जगह पीसी

राज्य वन अनुसंधान संस्थान वन विभाग का बड़ा और प्रतिष्ठित इंस्टिट्यूट है। इसके डायरेक्टर मुदित कुमार को सरकार ने सीजी कास्ट का डायरेक्टर अपाइंट किया है। इसमें महत्वपूर्ण यह है कि मुदित कुमार खुद की इच्छा से सीजी कॉस्ट गए हैं। मुदित बड़े संस्थान को छोड़कर सीजी कॉस्ट में क्यों गए, इस पर सवाल उठना लाजिमी है। बहरहाल, उनकी जगह पर एडिशनल पीसीसीएफ पीसी पाण्डेय को वन अनुसंधान संस्थान का डायरेक्टर बनाए जाने की चर्चा है।

भाजपा में सब ठीक नहीं

केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह इस हफते रायपुर में थे। उन्होंने बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस कार्यक्रम के बाद बीजेपी में जिस तरह खुसुर-फुसुर हो रही, उससे लगता है, उपर में भले ही ठीक दिख रहा मगर पार्टी के भीतर नहीं। अमित शाह के कार्यक्रम का संचालन पूर्व मंत्री राजेश मूणत से कराया गया। और, आभार प्रदर्शन राजीव अग्रवाल से। पार्टी के नेताओं को ऐतराज है कि चार-चार महामंत्री के होने के बाद भी पूर्व मंत्री से संचालन क्यों? रायपुर सांसद से स्वागत कराया गया मगर नगर विधायक को छोड़ दिया गया। संचालन, स्वागत और आभार में नेताओं की हिन्दी की शैली पर भी भाजपा के अंदर चुटकी ली जा रही।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एमसीआई के सिकरेट्री छत्तीसगढ़ के सीनियर आईएएस डॉ0 आलोक शुक्ला के बैचमेट हैं। मेडिकल कॉलेजों की मान्यता और पीजी कोर्स के लिए राज्य में त्राहि माम मचा हुआ है, ऐसे में डॉ. शुक्ला की मदद क्यों नही ली जानी चाहिए?
2. आईपीएस में डीआईजी से लेकर डीजी तक के प्रमोशन किस वजह से लटक गए हैं?

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