Minister of State (Independent Charge): जानिए कौन होते हैं राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), राज्य मंत्री के बारे में भी जानें ये खास बातें

आज हम जानेंगे कि राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कौन होते हैं। इसके अलावा राज्य मंत्री कौन होते हैं और इनका क्या काम होता है, हम इसके बारे में भी आपको बताएंगे।

Update: 2024-06-12 13:10 GMT

रायपुर। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के लिए 9 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कैबिनेट मिनिस्टर्स ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। इस सरकार में 30 कैबिनेट मंत्री, 5 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 36 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। आज हम जानेंगे कि राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कौन होते हैं। इसके अलावा राज्य मंत्री कौन होते हैं और इनका क्या काम होता है, हम इसके बारे में भी आपको बताएंगे।

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद राज्य मंत्री के पद से बड़ा होता है। राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं और मंत्रालय की सारी जिम्मेदारी इनके पास होती है। राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अपने विभाग के कैबिनेट मंत्री के प्रति उत्तरदायी नहीं होते हैं। हालांकि राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार भी कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं होते हैं। लेकिन अगर जरूरत पड़ती है, तो इन्हें भी बैठक के लिए बुलाया जा सकता है।


राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को इतना मिलता है वेतन

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को 2 लाख 31 हजार और राज्य मंत्री को 2 लाख 30 हजार 600 रुपये मिलते हैं। राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को हर महीने एक लाख रुपए मूल वेतन के रूप में मिलते हैं। इसके साथ ही सांसदों की तरह निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 70 हजार रुपए मिलता है। कार्यालय के लिए भी हर महीने 60 हजार रुपए मिलते हैं। सत्कार भत्ता के रूप में एक हजार रुपए प्रतिदिन मिलते हैं। ये भत्ता असल में हॉस्पिटैलिटी के लिए रहता है। मंत्रियों से मिलने आने वाले लोगों की मेजबानी पर खर्च होता है। वहीं जब संसद का सत्र चलता है, तो दो हजार रुपये का डेली अलाउंस भी मिलता है।


राज्य मंत्री को इतना मिलता है वेतन

वहीं राज्य मंत्री को हर महीने एक लाख रुपए मूल वेतन के रूप में मिलते हैं। इसके साथ ही सांसदों की तरह निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 70 हजार रुपए मिलता है। कार्यालय के लिए भी हर महीने 60 हजार रुपए मिलते हैं। सत्कार भत्ता के रूप में 600 रुपए प्रतिदिन मिलते हैं। वहीं जब संसद का सत्र चलता है, तो दो हजार रुपये का डेली अलाउंस भी मिलता है।

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री में अंतर

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) - कैबिनेट मंत्री के बाद स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों का नंबर आता हैं। इनकी भी सीधी रिपोर्टिंग प्रधानमंत्री को होती है। इनके पास भी अपना मंत्रालय होता है। ये कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट नहीं करते। स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होते।

राज्य मंत्री- राज्य मंत्री कैबिनेट मंत्री की मदद करते हैं। ये सीधे कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करते हैं। कैबिनेट मंत्री की गैरमौजूदगी में मंत्रालय की सारी जिम्मेदारी राज्य मंत्री की होती है। राज्य मंत्री कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होते हैं। आमतौर पर मंत्रालय के आकार के हिसाब से एक कैबिनेट मंत्री के अधीन एक या दो राज्यमंत्री नियुक्त किए जाते हैं। गृह, वित्त, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे बड़े मंत्रालयों में कई विभाग शामिल होते हैं। इनमें से अलग-अलग विभागों का जिम्मा राज्य मंत्रियों को सौंपा जाता है।

हर पांच साल के बाद वेतन-भत्ते में बढ़ोतरी का प्रावधान

सांसदों को मिलने वाली सैलरी और भत्ते सैलरी एक्ट के तहत तय होते हैं। बता दें कि 1 अप्रैल 2023 से लागू नए नियम के तहत सांसदों की सैलरी और दैनिक भत्ते में हर पांच साल के बाद बढ़ोतरी का प्रावधान है। सदस्यों के लिए यात्रा भत्ता की भी व्यवस्था की गई है। इसके तहत सदन के सत्र में या किसी समिति की बैठक में शामिल होने या संसद सदस्य से जुड़े किसी भी काम से यात्रा करने पर अलग से भत्ता दिया जाता है।

सरकारी बंगला, फोन, यात्रा के खर्च की भी सुविधा

वहीं मंत्रियों को वेतन और भत्ते के अलावा दिल्ली में सरकारी बंगला भी मिलता है, साथ ही मंत्रियों को भी संसद सदस्यों की तरह ही यात्रा भत्ता/यात्रा सुविधाएं, ट्रेन यात्रा की सुविधाएं, स्टीमर पास, टेलीफोन की सुविधा और वाहन खरीदने के लिए अग्रिम राशि मिलती है। वहीं मंत्रियों को अपने विभाग के संचालन के लिए कई कर्मचारियों की सुविधा भी मिलती हैं।

सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क इलाज की सुविधा

मंत्री को हर साल भारत में अकेले या पति/पत्नी या बच्चों या साथियों या रिश्तेदारों के साथ यात्रा के लिए किराया मिलता है। नियम के मुताबिक, मंत्री को जो यात्रा भत्ता मिलेगा, वो प्रतिवर्ष अधिकतम 48 किराए के बराबर ही होगा। कोई भी यात्रा भत्ता नकद या उसके बदले में उपलब्ध कराए गए निशुल्क सरकारी परिवहन में दिया जा सकता है। मंत्री को इलाज खर्च भी मुहैया कराया जाता है। मंत्री और उनके परिवार के लोग सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क इलाज करा सकते हैं। इन अस्पतालों में ठहरने की व्यवस्था भी निःशुल्क होती है। 


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