First woman minister of Chhattisgarh जाने छत्तीसगढ़ की पहली महिला मंत्री गीता देवी सिंह के बारे में

First woman minister of Chhattisgarh

Update: 2023-09-26 12:25 GMT

एनपीजी। First woman minister of Chhattisgarh मध्‍य प्रदेश से छत्तीसगढ़ राज्य के अलग होने के बाद यहां कांग्रेस की सरकार बनी। चूंकि राज्य निर्माण के समय अविभाजित मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, इसलिए यहां भी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री का पद संभाला। राज्य बनने के बाद बने पहले मंत्रिमंडल में अजीत जोगी ने डोंगरगढ़ विधानसभा से विधायक गीता देवी सिंह को स्थान देकर मंत्री बनाया। इस तरह से प्रदेश की पहली महिला मंत्री गीता देवी सिंह बनी।

राज परिवार से आने वाली गीता देवी सिंह का जन्म 26 सितंबर 1950 को नैनीताल में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा चंद्रभान सिंह था। उन्होंने सीनियर कैंब्रिज विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की। उनका विवाह खैरागढ़ रियासत के राजकुमार राजा शिवेंद्र बहादुर सिंह के साथ हुआ। शिवेंद्र बहादुर सिंह के पिता राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह राजनांदगांव के पहले सांसद हुए थे। पिता के बाद उनकी माता रानी पद्मादेवी सिंह भी राजनांदगांव की सांसद रही। शिवेंद्र बहादुर सिंह राजीव गांधी के बाल सखा थे और उनके स्कूल के सहपाठी रह चुके थे। उनके द्वारा टिकट दिलवाने पर शिवेंद्र बहादुर सिंह सन 1984 में सांसद बने। फिर 1991 में दोबारा सांसद बने। राजनांदगांव के प्रसिद्ध इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना रानी गीता देवी सिंह के ससुर वीरेंद्र बहादुर सिंह और रानी पद्मादेवी ने की थी।

रानी गीता देवी सिंह को भी फाइन आर्ट्स,पेंटिंग, समाज सेवा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रुचि थी। उनके दो पुत्र भवानी बहादुर सिंह व धनंजय बहादुर सिंह हैं। गीता देवी प्रदेश में मिलनसार और व्यवहारिक राजनेत्री के रूप में जानी जाती थी। वे 1990 में पहली बार डोंगरगढ़ विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुई। डोंगरगढ़ विधानसभा खैरागढ़ रियासत के ही हिस्से में आता था, और इसे विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 85 के नाम से जाना जाता है। उसके बाद 1993 में दूसरी व 1998 में तीसरी बार डोंगरगढ़ विधानसभा से ही गीता देवी सिंह विधायक निर्वाचित हुई।

First woman minister of Chhattisgarh 1981–82 में गीता देवी सिंह संयोजिका अखिल भारतीय महिला कांग्रेस रही। 1982 से 1986 तक सभापति जिला योजना मंडल राजनंदगांव व संचालक ग्रामीण बैंक दुर्ग रही। अविभाजित मध्यप्रदेश में वे सभापति महिला बाल विकास समिति मध्यप्रदेश विधानसभा रही। अध्यक्ष समाज कल्याण बोर्ड भी रही। सन 2000 में अलग राज्य बनने के बाद उन्हें प्रदेश की पहली महिला मंत्री बनाया गया। उनको महिला एवं बाल विकास विभाग तथा समाज कल्याण विभाग की जवाबदारी सौंपी गई। सितंबर 2011 में उनका निधन हो गया।

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