MLA Dharmjeet Singh Biography in Hindi: विधायक धर्मजीत सिंह का जीवन परिचय...
MLA Dharmjeet Singh Biography in Hindi : किसी भी पार्टी में जाकर और किसी भी सिंबाल से चुनाव जीतने में सक्षम विधायक धर्मजीत सिंह ने आजादी के बाद से तखतपुर विधानसभा में हुए चुनाव में सर्वाधिक वोटों से लीड लेकर चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाया है। नई पार्टी और नई विधानसभा से भी चुनाव लड़ने पर उन्होंने कांग्रेस की प्रत्याशी रहीं सिटिंग विधायक व संसदीय सचिव रश्मि सिंह को चुनाव हराया हैं। अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी। धर्मजीत सिंह ने विद्याचरण शुक्ल से राजनीति का ककहरा सीखा। विद्याचरण शुक्ल उनके गॉडफादर रहे है। 1998 में विद्याचरण शुक्ला के खेमे के होने के चलते उन्हें पहली बार लोरमी विधानसभा से कांग्रेस का टिकट मिला। और उन्होंने भाजपा के सिटिंग एमएलए मुनीराम साहू को 19000 वोटों से शिकस्त दी। पहली बार विधायक बनने के साथ ही धर्मजीत सिंह को उत्कृष्ट विधायक का खिताब भी मिला। बाद में विधानसभा उपाध्यक्ष भी बने। जानिए उनके बारे में...
- पिता का नाम:– कल्पनाथ सिंह
- जन्मतिथि:– 30 जून 1953
- जन्म स्थान:– पंडरिया, जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
- विवाह की तिथि:–14 जून 1992
- पत्नी का नाम:– शशि सिंह
- पत्नी की जन्म तिथि:– 3 सितंबर 1952
- संतान:–
- शैक्षणिक योग्यता:– बीए
- व्यवसाय:–कृषि, डेयरी व्यवसाय
- कुल संपत्ति:–3 करोड़, 4 लाख,64 हजार रुपए
- आपराधिक प्रकरण:– नहीं है।
- स्थाई पता:– मातोश्री, विकास नगर, 27 खोली जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़
- मोबाइल नंबर:– 9827133116
- राजधानी रायपुर में स्थानीय पता:– ई– शांतिनगर, रायपुर छत्तीसगढ़
- अभिरुचि:– वनांचल क्षेत्रो का भ्रमण
- पुरस्कार:– वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ विधानसभा का प्रथम उत्कृष्ट विधायक पुरस्कार, वर्ष 2006 में पुनः वर्ष 2005–06 के लिए उत्कृष्ट विधायक पुरस्कार
- विदेश यात्राएं:– ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इटली, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, श्रीलंका, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम, हालैंड, ऑस्ट्रिया
सार्वजनिक एवं राजनैतिक जीवन का परिचय:–
1988–89 में धर्मजीत सिंह अध्यक्ष कृषि उपज मंडी समिति पंडरिया कवर्धा रहे। 1994 से 1998 तक सचिव मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति रहे। 1998 में पहली बार लोरमी विधानसभा से चुनाव लड़े और भाजपा के सिटिंग एमएलए मुनीराम साहू को 19 हजार वोटो से हराया। धर्मजीत सिंह विद्याचरण शुक्ला के खेमे के थे। राज्य बनने के बाद अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने। तब धर्मजीत सिंह ने मौके की नजाकत को भांपते हुए पाला बदल कर जोगी के खेमे में एंट्री कर ली। यहां भी उन्हें भरपूर तवज्जो मिली। भाजपा के विधानसभा उपाध्यक्ष बनवारी लाल अग्रवाल के इस्तीफा देने के बाद धर्मजीत सिंह को पहली बार ही विधायक बने होने के बाद भी जोगी ने उन्हें विधानसभा उपाध्यक्ष बनवाया। वे लोक लेखा समिति, मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। वह जिला न्यायालय बिलासपुर के भी सदस्य रहे। दिसंबर 2001 में उन्हें सदस्य गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बनाया गया। 2001 से 2004 तक वे सभापति पुस्तकालय समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा बने।
वे छत्तीसगढ़ विधानसभा के लोक लेखा समिति, विशेषाधिकार समिति, याचिका समिति, सामान्य प्रयोजन समिति, सभापति पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति, विशेष आमंत्रित सदस्य कार्य मंत्रणा समिति, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति, प्राक्कलन समिति, प्रश्न एवं समन्वय समिति, सुविधा एवं सम्मान समिति के सदस्य रहे। इसके अलावा सदस्य रोगदा जलाशय हस्तांतरित करने जांच हेतु बनी समिति के भी सदस्य रहे।
2003 के विधानसभा चुनाव में धर्मजीत सिंह ने दूसरी बार भाजपा के प्रत्याशी मुनीराम साहू को 16 हजार वोटो से हराया और दूसरी बार विधायक चुने गए। 2008 के चुनाव में उन्होंने भाजपा के जवाहर साहू को 5 हजार वोटो से शिकस्त दी और तीसरी बार विधायक चुने गए। सामाजिक समीकरण धर्मजीत सिंह के पक्ष में ना होने के पश्चात भी वह लगातार तीन बार लोरमी से विधायक बने। पर चौथी बार उन्हें 2013 के विधानसभा चुनाव में लोरमी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू से 6 हजार वोटों से हार मिली। इस बीच अजीत जोगी ने जोगी कांग्रेस का गठन कर लिया। तब धर्मजीत सिंह ने भी कांग्रेस छोड़ जोगी कांग्रेस का दामन थाम लिया।
अजीत जोगी की छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से 2018 में धर्मजीत सिंह ने लोरमी विधानसभा में ताल ठोंकी और उन्होंने भाजपा के तोखन साहू के विरुद्ध 67742 वोट हासिल किए। जबकि तोखन साहू को 42189 वोट मिले। अजीत जोगी के निधन के बाद उनकी निष्ठा जोगी कांग्रेस में भी संदेह के दायरे में देखी जाने लगी। उनके भाजपा या कांग्रेस नेताओं के मुलाकात पर उनके पार्टी छोड़ने की अटकलें लगती रही। अंततः जोगी कांग्रेस ने उन्हें निष्कासित कर दिया। जिसके बाद उन्होंने भाजपा प्रवेश कर लिया। धर्मजीत सिंह को सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय ने पीएचडी की मानद उपाधि भी प्रदान की है।
2023 विधानसभा चुनाव में जीत की कहानी:–
धर्मजीत सिंह ने कुछ माह पहले ही जोगी कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा प्रवेश किया था। धर्मजीत सिंह ने पार्टी तो बदली ही साथ ही विधानसभा भी बदल दिया। वे लोरमी विधानसभा की जगह तखतपुर विधानसभा से चुनाव लड़े। इस चुनाव में उनका 10 साल तक तखतपुर से भाजपा विधायक और संसदीय सचिव रहें राजू सिंह छत्री ने खुल कर साथ दिया और जमकर भाजपा के पक्ष में प्रचार किया। जबकि कांग्रेस में संतोष कौशिक भी टिकट के दावेदारों में शुमार थे पर उन्हें टिकट नहीं मिल पाया। संतोष कौशिक भी विधानसभा क्षेत्र में लोकप्रिय है,पिछले चुनावों में जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी रहने के दौरान वे दूसरे नंबर पर रहे थे। जिसका भी नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा।
आजादी के बाद 1990 में भाजपा के मनहरण लाल पांडे ने भाजपा की टिकट पर 11000 से अधिक मतों से चुनाव जीता था। यह तखतपुर विधानसभा में चुनाव में जीत हार का सर्वाधिक आंकड़ा रहा था अब हाल ही में प्रवेश लेकर चुनाव लड़ रहे धर्मजीत सिंह ने ही इस रिकार्ड को तोड़ दिया। 14892 वोट से चुनाव जीतने के साथ ही धर्मजीत सिंह ने तखतपुर विधानसभा में हुए मतदान में से 50% से भी अधिक वोट पाकर एक नया रिकार्ड कीर्तिमान स्थापित किया है। 1993 से तखतपुर विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी के चुनाव लड़ने से त्रिकोणीय मुकाबलें में भाजपा को फायदा मिलता रहा और कांग्रेस नुकसान में रहती थी। 2003 में चुनाव त्रिकोणीय न होकर सीधा मुकाबला रहा जिसमें कांग्रेस को अच्छी जीत मिली थी। इस बार काफी अरसे के बाद 2003 में भाजपा कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था। जिस पर कांग्रेस को जीत मिली थी। इस बार भाजपा कांग्रेस के बीच फिर से सीधा मुकाबला था। वोट करने के लिए कोई भी मजबूत तीसरी पार्टी या प्रत्याशी नहीं होने के चलते लगाया जा रहा था कि कांग्रेस को फिर से बढ़त मिलेगी। पर तखतपुर विधानसभा से पार्टी और सीट बदलकर आए प्रत्याशी धर्मजीत सिंह ने अपने पहले ही चुनाव में सारे समीकरणों और मिथकों को ध्वस्त करते हुए सर्वाधिक मतों से जीत हासिल की।
नगर पालिका से भी मिली बड़ी बढ़त:–
तखतपुर नगर पालिका क्षेत्र से भी विधानसभा चुनाव में अब तक का सर्वाधिक रिकार्ड तोड़ मत प्राप्त कर धर्मजीत सिंह ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। तखतपुर नगर पालिका के इतिहास में किसी ने यहां से 3116 मतों से लीड हासिल नहीं की है। इस विधानसभा चुनाव में तखतपुर नगर पालिका क्षेत्र से धर्मजीत सिंह ने 7553 में प्राप्त किया जबकि कांग्रेस प्रत्याशी रश्मि सिंह ने 4417 मत प्राप्त किए। नगर में कुल 12398 मत पड़े थे। इस हिसाब से धर्मजीत सिंह को तखतपुर नगर में ही लगभग 61% मत प्राप्त हुए है हो अब तक हुए सभी चुनावों का रिकार्ड ध्वस्त करते हुए एक नया कीर्तिमान है।
कद इतना ऊंचा की पार्टियों या सिंबाल बदलने का नहीं पड़ा कोई असर:–
धर्मजीत सिंह के बड़े राजनैतिक कद के अलावा उनकी छवि और उनका व्यक्तित्व ऐसा है कि पार्टी या सिंबाल बदलने का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और वे हर पार्टी और हर सिंबाल से चुनाव जीतते हैं। कांग्रेस में रहते हुए भी रिकार्ड मतों से भी चुनाव जीत चुके हैं। पिछला चुनाव उन्होंने विधानसभा से छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से लड़ा था। लोगो प्रोग्राम चुनाव हार जाएंगे पर वे 26000 मतों के प्रचंड बहुमत से चुनाव जीत गए थे। धर्मजीत सिंह का व्यक्तित्व ऐसा है कि लोग उन्हें पार्टी नहीं व्यक्तिगत तौर पर पसंद कर वोट देते हैं। उन्हें उत्कृष्ट विधायक से कई बार सम्मानित किया जा चुका है।
तुक्का नहीं प्रभावी कद, तीसरे नंबर :–
तखतपुर विधानसभा में पिछले चुनाव में भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी इस चुनाव में धर्मजीत सिंह ने खड़े होकर न केवल चुनाव जीता बल्कि आजादी के बाद से लेकर आप तक के सबसे बड़ी लीड लेकर विजयी हुए। तखतपुर विधानसभा से हुई रिकॉर्ड जीत ने साबित कर दिया कि धर्मजीत की कोई तुक्का नहीं थी।
कांग्रेस की प्रत्याशी रश्मि सिंह के खिलाफ नाराजगी भी थी। कई गांव के पंचायत प्रतिनिधि उनसे नाराज चल रहे थे। साथ ही कौन से नाराज कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने चुनाव में काम भी नहीं किया। रश्मि सिंह के एक ही पंचवर्षीय कार्यकाल में उनके खिलाफ नाराजगी इतनी बढ़ी कि उनके पक्ष में तखतपुर विधानसभा के सकरी में राहुल गांधी के द्वारा की गई चुनावी सभा भी काम नहीं आई। यहां 179492 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। धर्मजीत सिंह को 90978 (50.58%) वोट मिले। जबकि रश्मि सिंह को कुल 76086 (42.03%) वोट मिलें। नोटा को 1395 वोट मिलें।