विशेष सत्र से चुनाव में फायदा: भाजपा के मुख्य प्रवक्ता ने कहा- 5 दिसंबर को मतदान इसलिए गोपनीय सत्र बुलाएं
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर अब नई बहस छिड़ गई है। भानुप्रतापपुर में 5 दिसंबर को मतदान है। इससे पहले एक दिसंबर को विशेष सत्र है। ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या विशेष सत्र से उपचुनाव में सत्ता पक्ष को लाभ होगा? भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अजय चंद्राकर ने उपचुनाव के लिए मतदान के मद्देनजर 6-7 दिसंबर को विशेष सत्र बुलाने या गोपनीय सत्र करने की मांग रखी है।
विधानसभा के डिप्टी स्पीकर मनोज मंडावी के निधन के बाद भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव है। इसमें आदिवासियों का आरक्षण बड़ा मुद्दा हो सकता है। इसे लेकर भाजपा लगातार राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है, वहीं राज्य सरकार और कांग्रेस की ओर से भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस बयानबाजी के दौरान ही भाजपा की ओर से भी अध्यादेश लाने या विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की गई थी।
राज्यपाल अनुसुइया उइके ने भी विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश की थी। सीएम भूपेश बघेल ने बुधवार को सुबह विधानसभा स्पीकर डॉ. चरणदास महंत को विशेष सत्र के लिए लिखा और शाम को राज्यपाल की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता चंद्राकर ने सीधा आरोप लगाया है कि राज्य सरकार का उद्देश्य आदिवासियों को आरक्षण देना नहीं, बल्कि उपचुनाव को लेकर राजनीति करना है।
विधानसभा विशेष सत्र-
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) November 9, 2022
आदिवासी आरक्षण के विषय को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत जी को भेजा है।
आगामी एक एवं दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का आग्रह किया है।
10 दिनों का हो शीतकालीन सत्र: नेता प्रतिपक्ष
इधर, विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने 10 दिन का शीतकालीन सत्र बुलाने की मांग की है, ताकि जनता से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हो सके। चंदेल ने सवाल किया कि सीएम बघेल चर्चा से क्यों भागना चाहते हैं? नेता प्रतिपक्ष ने आग्रह किया कि दस दिन का शीत सत्र बुलाया जाए और विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा कराई जाए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जहां तक आदिवासी आरक्षण की बात है तो भारतीय जनता पार्टी का पहले भी और अब भी यह स्पष्ट मत है कि आदिवासी भाई-बहनों को जो 32 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा था, वह बरकरार रहना चाहिए। आदिवासियों को उनका हक मिलना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष चंदेल ने कहा कि सरकार आदिवासी आरक्षण पर दो तरह की बातें कर रही है। अफसरों का अध्ययन दल किसने बनाया। सरकार आदिवासियों के लिए 32 फीसदी आरक्षण का अध्यादेश क्यों नहीं लाती? सरकार तत्काल अध्यादेश लाए। अक्टूबर में फैसला आ गया था। इतने दिन क्या कर रहे थे?
कांग्रेस ने भाजपा को आदिवासी विरोधी बताया
नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि आदिवासी वर्ग को 32 प्रतिशत आरक्षण देने बुलाए जा रहे विधानसभा के विशेष सत्र का विरोध कर भाजपा ने अपने आदिवासी आरक्षण विरोधी मंसूबे को ही प्रदर्शित किया है। विधानसभा के विशेष सत्र में चर्चा के दौरान पूर्व रमन सरकार ने कंवर कमेटी के रिपोर्ट को न्यायालय में क्यों प्रस्तुत नहीं किया? इसका जवाब देने से बचने के लिए भाजपा विधानसभा के विशेष सत्र बुलाने का विरोध कर रही है। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल का बयान भाजपा के आदिवासी आरक्षण विरोधी होने का प्रमाण है। आदिवासी समाज के सामने अब स्पष्ट हो गया आखिर रमन सरकार के दौरान आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण के विषय को न्यायालय में मजबूती से क्यों नहीं रखा गया था, क्योंकि भाजपा नहीं चाहती थी कि 32 प्रतिशत आरक्षण का अधिकार आदिवासी वर्ग को मिले।