CG News: वन्दे मातरम पर विशेष चर्चा में विधायक भावना बोहरा ने की सहभागिता, विस में शिक्षक भर्ती सहित विद्यालयों में पुस्तक वितरण का उठाया मुद्दा
Vidhayak Bhavna Bohra: पंडरिया विधायक भावना बोहरा द्वारा विधानसभा सत्र के चौथे दिन लगातार प्रदेश एवं क्षेत्र से जुड़े प्रमुख विषयों और मुद्दों को सदन में रखा। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् पर विधानसभा में आयोजित विशेष चर्चा में भी सहभागिता निभाई और अपने विचार सदन के समक्ष रखें।
Vidhayak Bhavna Bohra: पंडरिया विधायक भावना बोहरा द्वारा विधानसभा सत्र के चौथे दिन लगातार प्रदेश एवं क्षेत्र से जुड़े प्रमुख विषयों और मुद्दों को सदन में रखा। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् पर विधानसभा में आयोजित विशेष चर्चा में भी सहभागिता निभाई और अपने विचार सदन के समक्ष रखें। इस दौरान भावना बोहरा ने शिक्षकों की भर्ती की वर्तमान स्थिति, मध्याह्न भोजन खाने से बीमारी हुए बच्चों के लिए SHG ग्रुप पर कार्यवाही, शासकीय विद्यालयों में पुस्तक वितरण में विलंब, और ई.ओ.डब्ल्यू., ए.सी.बी. द्वारा दर्ज प्रकरणों पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संलिप्त अधिकारियों पर किये गए कार्यवाही का विषय विधानसभा में उठाया।
24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने वन्दे मातरम् को भारत का राष्ट्रीय गीत घोषित किया और कहा कि इसे राष्ट्रगान के साथ बराबरी का सम्मान मिलेगा। यानि संविधान निर्माताओं को वन्दे मातरम् से कोई समस्या नहीं थी। लेकिन आज हमारे कांग्रेस के साथियों को वंदे मातरम पर चर्चा करने से समस्या है। वर्ष 2025 में वन्दे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर 8 दिसंबर 2025 को संसद में ऐतिहासिक बहस हुई। लोकसभा में लगभग 10 घंटे इस विषय पर चर्चा हुई जहां माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस बहस की शुरुआत की।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “वन्दे मातरम् स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा है” और यह भी कहा कि 1937 में लिया गया निर्णय राष्ट्रगीत की मूल चेतना को कमजोर करता है। जब भी संस्कृति की बात होती है, इतिहास की सच्चाई सामने आती है। तो कांग्रेस के साथी कहते हैं कि “यह राजनीति है, यह ध्यान भटकने की कोशिश है” मैं पूछना चाहती हूँ,क्या इतिहास याद करना राजनीति है? क्या अपनी जड़ों पर गर्व करना राजनीति है? या फिर समस्या यह है कि सच अब दबाया नहीं जा सकता? मैं कांग्रेस से खुले मन से कहना चाहती हूँ, अतीत की गलतियों को स्वीकार करना कमजोरी नहीं, परिपक्वता होती है।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह नया भारत, अपने सांस्कृतिक गौरव को स्वीकार कर रहा है और विकसित भारत की ओर बढ़ रहा है। इस यात्रा में तुष्टिकरण और विभाजनकारी सोच के लिए कोई स्थान नहीं है। इस गीत में स्वतंत्रता संग्राम की झलक दिखाई देती है इस गीत में वह भावना है जो उन क्रांतिकारियों के मन में थी जब वह हंसते-हंसते इस माटी पर बलिदान हो गए।
भावना बोहरा ने प्रश्न पूछा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 एवं 2025-26 में कितने अधिकारियों को ई.ओ. डब्ल्यू./ए.सी.बी. के द्वारा दर्ज अपराध के तहत पुर्वानुमोदन प्रदाय हेतु सचिव, छत्तीसगढ़ शासन रायपुर, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को पत्र प्रेषित किया गया है? प्रेषित पत्रों पर सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा अब तक क्या-क्या कार्यवाही की गई ? ई.ओ.डब्ल्यू/ए.सी.बी. द्वारा दर्ज प्रकरण पर विवेचना हेतु पूर्वानुमोदन पर अभिमत प्रदान किया गया है या नहीं? जिसके लिखित प्रतिउत्तर में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा जी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 एवं 2025-26 में कुल 05 अधिकारियों को ई.ओ.डब्ल्यू/ए.सी.बी. द्वारा दर्ज अपराध के तहत पुर्वानुमोदन प्रदाय हेतु पत्र प्राप्त हुआ है। इनमें 03 प्रकरण आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग को स्थानांतरण किया गया है। 02 अधिकारियों के विरूद्ध प्रतिवेदन प्राप्त करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। ई.ओ.डब्ल्यू/ए.सी.बी. द्वारा दर्ज प्रकरण पर विवेचना हेतु पूर्वानुमोदन पर अभिमत प्रदान नहीं किया गया है। इस हेतु समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
उन्होंने प्रश्न पूछा कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कितने अधिकारी अपने विभाग के अलावा अन्य विभागों में अतिरिक्त प्रभार पर कार्यरत हैं ? क्या अन्य विभाग में उन अधिकारियों की नियुक्ति का आधार प्रतिनियुक्ति है? यदि नहीं तो उनकी नियुक्ति शासन के किस नियम/आधार के तहत की गई है? क्या इन अधिकारियों की अन्य विभाग में नियुक्ति के लिये भारसाधक मंत्री का अनुमोदन प्राप्त है? उप मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान में 6 अधिकारी अतिरिक्त प्रभार पर कार्यरत हैं जिनमें 05 प्रकरण में संबंधित जिले के कलेक्टर / मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत द्वारा अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है एवं 01 प्रकरण में विभागीय सहमति के आधार पर प्रभार का अतिरिक्त दायित्व दी गई है। 05 प्रकरण में भारसाधक मंत्री का अनुमोदन प्राप्त नहीं है एवं 01 प्रकरण में भारसाधक मंत्री का अनुमोदन प्राप्त है।
भावना बोहरा ने शासकीय विद्यालयों में पुस्तक वितरण के विषय पर सदन के समक्ष प्रश्न किया कि शासकीय विद्यालयों में गत शैक्षणिक सत्र में विद्यार्थियों की संख्या की मांग के अनुरूप समय पर पुस्तकों का वितरण किया गया ? यदि नहीं तो किन विद्यालयों में पुस्तकों के वितरण में देरी, कमी अथवा गलत पुस्तकों की आपूर्ति की शिकायतें प्राप्त हुई हैं? इन अनियमितताओं के लिए कौन-कौन से अधिकारी/कर्मचारी उत्तरदायी पाए गए हैं? दोषियों के विरुद्ध अब तक क्या कार्रवाइयाँ की गई हैं? भविष्य में ऐसी अनियमितताओं की पुनरावृत्ति रोकने हेतु विभाग द्वारा क्या सुधारात्मक उपाय किए जा रहे हैं? स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव जी ने बताया कि शासकीय विद्यालयों में गत शैक्षणिक सत्र में विद्यार्थियों की संख्या की मांग के अनुरूप समय पर पुस्तकों का वितरण किया गया है इसलिए वितरण में देरी और गलत पुस्तकों की आपूर्ति का प्रश्न निरंक है। प्रदेश के सभी जिलों को मिलकर कुल मांग संख्या 29178889 थी जिसे मांग अनुरूप सभी विद्यालयों में वितरित की गई है। पुस्तकों में शीर्षकवार नंबरिंग की गयी है। हर पुस्तक का एक यूनिक नंबर है, जिसका रिकार्ड छ.ग. पाठ्यपुस्तक निगम में संधारित किया गया है।
शिक्षकों की भर्ती और मध्याह्न भोजन के विषय में प्रश्न करते हुए भावना बोहरा ने पूछा कि माह सितंबर-अक्टूबर, 2025 में विज्ञापित लगभग 4,700-5,000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया वर्तमान में किस चरण में है? बलरामपुर जिले व अन्य स्थानों पर मध्याह्न भोजन खाने से बच्चों के बीमार होने की घटनाओं पर विभाग ने क्या जाँच करवाई है? क्या संबंधित सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHG) या NGO का अनुबंध रद्द किया गया है? राज्य के ग्रामीण एवं वनांचल क्षेत्रों (बस्तर व सरगुजा संभाग) के कितने स्कूल वर्तमान में शिक्षक विहीन या एकल शिक्षकीय हैं? स्कूल शिक्षा मंत्री जी ने लिखित उत्तर देते हुए शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के विषय में जानकरी निरंक दी है।
उन्होंने बताया कि बलरामपुर जिले व अन्य स्थानों पर मध्याह्न भोजन खाने से बच्चों के बीमार होने की घटनाओं पर विभाग द्वारा जांच कराई गई है और संबंधित सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHG) या NGO का अनुबंध रद्द कर दिया गया है। स्कूल शिक्षा मंत्री जी ने बताया कि वनांचल क्षेत्रों बस्तर और सरगुजा संभाग में कुल 19 विद्यालय शिक्षक विहीन हैं एवं 1178 विद्यालय एकल शिक्षक विद्यालय हैं।