कांग्रेस की 'कुमारी' शैलजा: हरियाणा से चार बार की सांसद, दलित नेता, पिता भी चार बार सांसद और केंद्र में मंत्री रहे, मां की मौत पर दी थी मुखाग्नि

एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ की प्रभारी महासचिव नियुक्त किया है।

Update: 2022-12-06 20:15 GMT

रायपुर @NPG.News. कुमारी शैलजा। जन्म 24 सितंबर 1962। उम्र 60 साल। पहली बार 1991 में सांसद बनीं। सिरसा और अंबाला सीट से एक-एक बार सांसद रहीं। नरसिम्हा राव और डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में केंद्र में राज्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री रहीं। हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं। कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की करीबी हैं। फिलहाल छत्तीसगढ़ कांग्रेस की प्रभारी और एआईसीसी में महासचिव बनाई गई हैं, इसलिए चर्चा में हैं।

कुमारी शैलजा का परिचय सिर्फ इतना ही नहीं है। वे दलित नेता हैं, जिन्होंने समय-समय पर खुद को साबित किया। अविवाहित हैं। समाज की परंपराओं से हटकर भी अपनी पहचान बनाई। माता के निधन पर उन्हें मुखाग्नि दी। अपने कामकाज के तरीके से भी चर्चा में रहीं और कई विवादों में भी घिरीं। शुरुआत परिचय और खूबियों से...

कुमारी शैलजा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलकर आभार जताया।

नाम- कुमारी शैलजा। पिता चौधरी दलबीर सिंह। माता- कलावती। पढ़ाई- दिल्ली स्थित जीजस एंड मैरी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा, फिर पंजाब यूनिवर्सिटी से एमए और एमफिल। कुमारी शैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह भी चार बार सांसद रहे। राज्य के साथ-साथ केंद्र में भी मंत्री रहे। हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे थे। कुमारी शैलजा उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।

कुमारी शैलजा ने 1990 में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत की थी। यह जिम्मेदारी संभाले सालभर हुए थे। 1991 में लोकसभा चुनाव हुए। पार्टी ने उन्हें सिरसा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया। जीत हासिल की। नरसिम्हा राव सरकार में शिक्षा और संस्कृति उपमंत्री की जिम्मेदारी निभाई। 1992 में जुलाई से लेकर सितंबर 1995 तक 3 साल दो माह मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा और संस्कृति विभाग में राज्यमंत्री रहीं।


1996 में फिर से सिरसा से सांसद बनीं। इस बार संसदीय दल कार्यकारी समिति की जिम्मेदारी मिली। 1996 से 2004 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सचिव के साथ ही पार्टी प्रवक्ता भी रहीं। 2004 में लोकसभा चुनाव में अंबाला से चुनाव लड़ा। फिर जीतीं। मनमोहन सिंह सरकार में शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय की राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहीं। 2009 में चौधी बार सांसद चुनी गईं। इस बार उन्हें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में काम करने का अवसर मिला। कुमारी शैलजा ने 27 जनवरी 2014 को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। 2014 में राज्यसभा सदस्य बनीं।


इन विवादों से भी रहा है नाता

मार्च, 2011 में मिर्चपुर कांड हुआ। तब शैलजा केंद्र में पर्यटन मंत्री थीं। हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए शैलजा को नोटिस जारी किया था क्योंकि उन पर आपराधिक साजिश के सबूतों के साथ जालसाजी करने और डराने धमकाने के आरोप थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शैलजा ने खुद को बचाने के लिए उन लोगों पर "खाली व गैर न्यायिक पत्रों' पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाया, जिनके खिलाफ ट्रायल चल रहा था।

इसी तरह 2014 में शैलजा के दिल्ली स्थित निवास पर एक लाश मिली थी, तब काफी समय तक वह चर्चाओं में थीं। लाश उनकी नौकरानी के पति की थी और इस मामले में शैलजा के एक बावर्ची को गिरफ्तार भी किया गया था। इसके अलावा, 2015 में उन्होंने राज्यसभा में यह कहकर हंगामा मचा दिया था कि द्वारका मंदिर में उनकी जाति पूछी गई थी। शैलजा ने जिस समय का जिक्र किया था, उस समय वह केंद्र में मंत्री थीं।

कुमारी शैलजा अपनों के बीच भी विवादों में घिरी रहीं। हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के विरोध के कारण उन्हें समय से पहले पीसीसी अध्यक्ष के पद से हटाया गया। इसके बाद हुड्‌डा के करीबी पूर्व विधायक उदयभान को यह जिम्मेदारी दी गई। कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में शामिल होने पर भी विवाद की स्थिति बनी थी। शैलजा और हुड्‌डा दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ आरोप प्रत्यारोप लगाए हैं। छत्तीसगढ़ प्रभारी के रूप में नियुक्ति को हुड्‌डा के पक्ष में बताया जा रहा है।

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