बिलासपुर में अमर ने जीत का बनाया नया रिकार्ड, लॉ एंड आर्डर और कांग्रेस प्रत्याशी का नकारापन ने बनाया जीत का कीर्तिमान
बिलासपुर। पूर्व मंत्री एवं भाजपा के दिग्गज नेता अमर अग्रवाल ने 28 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी शैलेष पाण्डेय से पिछले चुनाव का हिसाब चूकता कर लिया। पिछले चुनाव में भाजपा सरकार की तगड़ी एंटीइंकांबेंसी के बाद भी अमर अग्रवाल 11 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे। उन्हें कांग्रेस के पैराशूट नेता शैलेष पाण्डेय ने हराया था। इस बार भी कांग्रेस ने शैलेष को टिकिट दिया था। मगर शैलेष के खिलाफ लोगों इतना आक्रोश था कि न कांग्रेस पार्टी भांप पाई और न ही बिलासपुर के सियासी प्रेक्षक। तभी बिलासपुर में अमर की स्थिति टाईट बताई जाती रही।
मगर आज जब ईवीएम में वोटों की काउंटिंग शुरू हुई तो राउंड-दर-राउंड अमर कांग्रेस प्रत्याशी को पटखनी देते चले गए। अमर अग्रवाल ने जीत का अपना ही रिकार्ड तोड़ दिया। 2013 के विधानसभा चुनाव में वे 15990 मतों से जीते थे। इस बार लगभग डबल हो गया। 28 हजार से अधिक की लीड। बता दें, बिलासपुर कांग्रेस को गढ़ माना जाता है। इस सीट का जब से गठन हुआ तब से सिर्फ दो ही गैर कांग्रेसी नेता विधायक चुने गए हैं। एक मूलचंद खंडेलवाल और दूसरे अमर अग्रवाल। हालांकि, मूलचंद दूसरी बार हार गए थे। मगर अमर लगातार चार बार इस सीट से निर्वाचित हुए। और इस दफा पांचवी बार।
मूलचंद खंडेलवाल भी मात्र 6 हजार से जीते थे। अमर भी कांग्रेस के इस गढ़ में चुनाव दर चुनाव जीत का मार्जिन बढ़ाते गए। बिलासपुर में 22 हजार मुस्लिम हैं और नौ हजार के करीब ईसाई वोट। सो, कांग्रेस की चकरी 30 हजार से चालू होती है और बीजेपी की जीरो से। मगर इस बार बिलासपुर के मतदाताओं ने कांग्रेस के शैलेष पाण्डेय के झांसे में न आते हुए अमर अग्रवाल पर विश्वास व्यक्त किया।
दरअसल, पिछले पांच साल में न्यायधानी अपराधों का गढ़ बन गया था। आए दिन हत्याएं, रहजनी, लूटपाट। भूमाफियाओं का आतंक। अमर अग्रवाल ने लोगों की मानसिकता को भांपते हुए चतुराई से इसे ही मुद्दा बनाया। उन्होंने चुनाव प्रचारों में लोगों को भरोसा दिलाया कि वे जीते तो 15 दिन में बिलासपुर से गुंडागर्दी खतम कर देंगे। लोगों ने अमर के इस भरोसे पर ऐतबार करते हुए उन्हें प्रचंड मतों से ऐसी जीत दिला दी, जिसका खुद अमर को भी यकीन नहीं होगा।