Supreme Court On Bulldozer: सुप्रीम कोर्ट ने 'बुलडोजर न्याय' की वैधता पर उठाए सवाल, अखिल भारतीय स्तर पर दिशा-निर्देश जारी की कही बात

Bulldozer Justice Row: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 सितंबर) को 'बुलडोजर कार्रवाई' के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति का मकान सिर्फ इसलिए कैसे ढहाया जा सकता है कि वह एक आरोपी है।

Update: 2024-09-02 14:14 GMT

Bulldozer Justice Row: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 सितंबर) को 'बुलडोजर कार्रवाई' के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति का मकान सिर्फ इसलिए कैसे ढहाया जा सकता है कि वह एक आरोपी है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे पर दिशानिर्देश निर्धारित करने का प्रस्ताव रखती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति दोषी भी है तो भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर के लिए तय की है।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने ध्वस्तीकरण कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर कहा, "भले ही वह दोषी हो, फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता।"

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह किसी भी अवैध निर्माण को संरक्षण नहीं देगा। पीठ ने कहा, "हम अखिल भारतीय आधार पर कुछ दिशा-निर्देश निर्धारित करने का प्रस्ताव करते हैं, ताकि उठाए गए मुद्दों के संबंध में चिंताओं का समाधान किया जा सके।"

शीर्ष अदालत मध्य प्रदेश और राजस्थान में विभिन्न अपराध के आरोपी व्यक्तियों के घरों के संबंध में अधिकारियों द्वारा की गई बुलडोजर कार्रवाई पर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। मुस्लिम विद्वानों के संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट बार को बताने के बाद भी... हमें रवैये में कोई बदलाव नहीं दिखता।"

केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि कानून का उल्लंघन होने पर घरों को गिराया जा रहा है। उन्होंने कहा, "हम तभी कार्रवाई करते हैं जब नगरपालिका कानून का उल्लंघन होता है।"

इसके जवाब में पीठ ने कहा, "लेकिन शिकायतों को देखते हुए हमें लगता है कि उल्लंघन हुआ है"। जस्टिस गवई ने कहा, "हालांकि यह कानून की स्थिति है। लेकिन इसका उल्लंघन अधिक किया जा रहा है।" साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि निर्माण अवैध है, तो इसे "कानून के अनुसार" होना चाहिए।

जस्टिस विश्वनाथन ने पूरे राज्य में लागू किए जाने वाले अवैध भवनों को गिराने के लिए दिशानिर्देश की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया। जस्टिस गवई ने कहा, "सुझाव आने दीजिए। हम अखिल भारतीय आधार पर दिशानिर्देश जारी करेंगे।"

पीठ ने कहा, "अचल संपत्तियों को केवल प्रक्रिया के आधार पर ही ध्वस्त किया जा सकता है... हलफनामा भी दाखिल किया गया है... हम अखिल भारतीय स्तर पर कुछ दिशा-निर्देश निर्धारित करने का प्रस्ताव करते हैं, ताकि उठाए गए मुद्दों के संबंध में चिंताओं का समाधान किया जा सके।"

सुप्रीम कोर्ट 17 सितंबर को मामले की सुनवाई जारी रखेगा। शीर्ष अदालत आपराधिक गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों से कथित रूप से जुड़ी संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर का उपयोग करने की प्रथा से संबंधित कई मामलों पर विचार कर रही है। इसे अक्सर "बुलडोजर जस्टिस" कहा जाता है। यह महत्वपूर्ण विवाद का विषय रहा है।

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