Supreme Court News: ED को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- बिना मुकदमा लोगों को जेल में नहीं रख सकती

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को जेल में रखने के लिए बार-बार पूरक चार्जशीट दाखिल करने को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) पर सवाल खड़े किए हैं।

Update: 2024-03-20 11:49 GMT

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को जेल में रखने के लिए बार-बार पूरक चार्जशीट दाखिल करने को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) पर सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि एजेंसी बिना मुकदमा चलाए आरोपी को जेल में नहीं रख सकती और ये नहीं कह सकती कि जब तक जांच पूरी नहीं होगी, तब तक मुकदमा शुरू नहीं होगा। न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां कीं।

सुप्रीम कोर्ट ने ED की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, "डिफॉल्ट जमानत का पूरा उद्देश्य ही यह है कि आप (आरोपी को) तब तक गिरफ्तार न करो जब तक जांच पूरी न हो। आप (एक आरोपी को गिरफ्तार कर) यह नहीं कह सकते कि जांच पूरी होने तक मुकदमा शुरू नहीं होगा। ऐसा नहीं हो सकता कि आप पूरक चार्जशीट दाखिल करते रहें और व्यक्ति (आरोपी) बिना मुकदमे के जेल में रहे।"

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, "मौजूदा मामले में व्यक्ति 18 महीने से जेल में है। यह हमें परेशान कर रहा है... आपको नोटिस पर डाल रहे हैं। किसी आरोपी को गिरफ्तार करते ही मुकदमा शुरू होना चाहिए।" कोर्ट ने कहा कि धनशोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) की धारा 45 के तहत जेल में लंबा समय बिताने के आधार पर जमानत दी जा सकती है, अगर आरोपी ने अपराध नहीं किया और जमानत पर उसके कोई कानून तोड़ने की संभावना न हो।

सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम टिप्पणी झारखंड अवैध खनन मामले के आरोपी प्रेम प्रकाश की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की। प्रकाश पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी हैं, जिन्हें खुद पिछले महीने ED ने गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने कहा कि प्रकाश जेल में 18 महीने बिता चुके हैं और ये जमानत का एक स्पष्ट मामला है। इस पर ED ने सबूतों से छेड़छाड़ का मुद्दा उठाया, लेकिन कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया।

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बेहद अहम है और ऐसे कई मामलों को प्रभावित कर सकती है, जिनमें विपक्षी नेता जेल में बंद हैं। इनमें से कई मामलों में अभी तक मुकदमा शुरू नहीं हुआ है। दिल्ली का शराब नीति मामला एक ऐसा ही मामला है, जिसमें पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह शामिल हैं। विपक्षी पार्टियां भाजपा सरकार पर ED जैसी सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को जेल में डालने का आरोप लगाती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अप्रैल में भी ऐसी ही एक टिप्पणी की थी। तब न्यायाधीश कृष्ण मुरारी और न्यायाधीश सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा था कि जांच एजेंसी जांच पूरी किए बिना चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकती, ताकि आरोपी को जमानत न मिले।

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